November 30, 2024

लालटेन युग से चली आ रही 130 साल पुरानी रामलीला की परंपरा

छिंदवाड़ा। सोशल मीडिया के इस दौर में जहाँ एक तरफ लोग अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। वहीँ छिंदवाड़ा में एक मंडली ऐसी है जो आज भी 130 सालों पुरानी रामलीला के मंचन की परम्परा को जिंदा रखे हुए है।

हम बात कर रहे है मध्य प्रदेश की सबसे पुरानी रामलीला मंडल की। साल 1889 में पहली बार रामलीला मंडल ने लालटेन की रोशनी में रामलीला का मंचन किया था। पिछले 130 सालों से छिंदवाड़ा में यह परंपरा निभाई जाती है। हालाँकि समय के साथ आधुनिक तकनीक के हिसाब से रामलीला मंडल में बदलाव भी किए गए, लेकिन मंडल के सदस्यों ने इसके संस्कार और परंपरा को मरने नहीं दिया।

400 लोगों की टीम करती है काम

रामलीला मंडल के लिए करीब 4 सौ लोंगो की टीम काम करती है। रामलीला का मंचन शुरू होने से एक महीने पहले ही लोग अपने अपने काम में लग जाते हैं। रामलीला में काम करने वाले सभी लोग किसी ना किसी नौकरी या व्यवसाय से जुड़े हैं। लेकिन अपनी परंपरा चलती रहे इसके लिए एक महीना अपने कामों से समय निकालकर निशुल्क रामलीला को देते हैं।

चार पीढ़ियाँ कर रही हैं काम

रामलीला की सबसे बड़ी खासियत है कि यहाँ एक नहीं चार-चार पीढ़ियाँ एक साथ काम कर रही है। रावण का किरदार निभा रहे डाक घर में पोस्टमास्टर की नौकरी करने वाले विनोद विश्वकर्मा बताते हैं कि वे 47 सालों से रामलीला में मंचन कर रहे हैं औऱ रावण का किरदार 23 सालों से निभा रहें है। उनकी खुद की तीसरी पीढ़ी अब रामलीला में मंचन कर रही है।

घरों से दर्शकों को निकालना मुश्किल काम

रामलीला मंडल के अध्यक्ष सतीश दुबे बताते हैं कि समय बदला है और आधुनिक मीडिया के युग में रंगमंच तक दर्शकों को लाना बड़ी चुनौती होती है लेकिन फिर वे इस दौर में लोगों को मंच तक लाकर राम की लीला और उनके आदर्शों को परोसने का काम कर रहे हैं जिससे की लोग अपनी संस्कृति से जुड़े रहें।

अब तकनीक सहारा, 3 डी इफेक्ट से हो रहा मंचन

समय बदला है तो रामलीला ने अपनी तकनीक बदली है। शुरुआत में बिजली नहीं थी तो लालटेन की रोशनी में रामलीला होती थी लेकिन अब इसमें तकनीक सहारा लेते हुए 3 डी इफेक्ट डाले गए हैं। ऐसे नजारे जो मंच पर दिखाना मुश्किल होता है उनको पहले छिंदवाड़ा में ही कलाकारों द्वारा फिल्माया गया और फिर उन्हें स्क्रीन पर दिखाया जा रहा है। लेकिन खास बात ये है कि जो कलाकर एलईडी में दिखाया जाता है वो ही असल कलाकर मंच पर भी होता है।

दशहरा में होता है समापन

14 दिनों तक चलने वाली इस रामलीला का समापन दशहरे के दिन रावण के पुतले के दहन के साथ होता है। शहर के दशहरा मैदान में भव्य समारोह के दौरान रामलीला में रावण के पुतले का दहन करते हैं।

Written by XT Correspondent