November 23, 2024

जागृति में भूखंड छोटे करने के साथ 14 करोड़ का विकास घोटाला भी।

एक्सपोज़ टुडे, इंदौर।
भूमाफिया बाबी छाबड़ा (Babi Chhabra) के कब्जे वाली चर्चित गृह निर्माण संस्था जागृति गृह निर्माण संस्था (Jagriti Griha Nirman Sanstha) की कालोनी राजगृही के भूखंड पीडि़तों ( Plot Victims) को कब्जा दिलवाने की प्रक्रिया प्रशासन शुरू करने जा रहा है। 25 हैक्टेयर पर काटी गई राजगृही का सीमांकन कलेक्टर के निर्देश पर राजस्व अमले ने लगभग पूरा कर लिया है। 1685 रजिस्ट्रियां सामने आई है, जिनकी जांच-पड़ताल की जा रही है। जागृति से सविता, दीप गणेश व अन्य संस्थाओं के साथ कुछ ग्रुप ने भी भूखंड कबाड़ रखे हैं। दरअसल, मूल 1500 स्क्वेयर फीट के भूखंडों की रजिस्ट्रियां ही करवाई गई थी। बाद में भूमाफियाओं ने भूखंडों की साइज छोटी कर 1250 स्क्वेयर फीट कर दी और 250-250 स्क्वेयर फीट छोटे भूखंड करने के बाद बची 15 एकड़ से अधिक जमीनें बेच डाली। कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देश पर एसडीओ प्रतुल्ल सिन्हा इसकी जांच-पड़ताल कर रहे हैं।

पिपल्याहाना (Piplyhana) स्थित जागृति गृह निर्माण की जमीन पर भी बहुत फर्जीवाड़े हुए हैं। सबसे पहले सन् 2006 में अग्निबाण ने इन घोटालों को उजागर किया और तत्कालीन कलेक्टर विवेक अग्रवाल (Vivek Agarwal)  ने एक जांच समिति भी गठित की, जिसने 21 पेज की रिपोर्ट में कई गड़बडिय़ां पकड़ी। मगर बाद में भूमाफियाओं के दबाव-प्रभाव के चलते यह जांच रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में चली गई। अब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) के निर्देश पर संस्थाओं के घोटालों की जांच का जो अभियान शुरू हुआ, उसमें कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh)  की सख्ती के चलते दो हजार करोड़ रुपए से अधिक की जमीनें सरेंडर हो गई है। जागृति संस्था ने भी सविता, दीप गणेश के अलावा दीप गृह, कुशल गुरु गृह निर्माण, ऋषभ गृह निर्माण के साथ-साथ चामाणिया और मालपानी ग्रुप को भी कई भूखंड दिए हैं। संस्था की 25 हैक्टेयर यानी 65 एकड़ जमीन पर 1990 से भूखंड आबंटन और रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू की गई थी। 894 भूखंडों का विक्रय तो 91 से 93 के बीच हो गया और फिर 15 एकड़ जमीन अतिशेष बताकर भू्माफियाओं ने अन्य गृह निर्माण संस्था और समूहों को बेच डाली। सविता गृह निर्माण ने ही 118 रजिस्ट्रियां कर दी। पिछले दिनों अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर ने सविता और दीप गणेश को बिकी जमीन सरेंडर करवाने की प्रक्रिया शुरू की, ताकि पीडि़तों को भूखंड मिल सके। प्रशासन का कहना है कि वह मूल रूप से 1500 स्क्वेयर फीट की रजिस्ट्री के आधार पर ही कब्जा पात्र रजिस्ट्रीधारकों को दिलवाएगा। एसडीएम प्रतुल्ल सिन्हा ने 25 हैक्टेयर जमीन का सीमांकन करवा लिया है। 1685 रजिस्ट्रियों की जानकारी सामने आई है, जिनकी जांच शुरू की गई है। वहीं एक विकास घोटाला भी सामने आया। दरअसल भूमाफिया ने भूखंडों का आकार छोटा करवा दिया था और उसके मुताबिक नए सिरे से राज गृही में सडक़, ड्रैनेज, बिजली के खम्भे, पानी की लाइन सहित अन्य विकास कार्य करवाए और इसकी राशि भी भूखंडधारकों से वसूल की गई। चूंकि सालों से लड़ते-लड़ते भूखंडधारक भी थक गए थे। लिहाजा वे भूखंड छोटे करवाने के साथ विकास शुल्क की राशि भी चुकाने को तैयार हो गए। इस तरह से लगभग 14 करोड़ रुपए की राशि एकत्रित कर विकास कार्य के नाम पर माफिया हड़प गए। अब दिक्कत यह है कि प्रशासन पूर्व के स्वीकृत नक्शे और रजिस्ट्रियों के आधार पर कब्जे दिलवाएगा, जिसके चलते इन विकास कार्यों को तोडऩा पड़ेगा। नगर तथा ग्राम निवेश से भी छोटे भूखंडों का अभिन्यास मंजूर होकर निरस्त कुछ समय पूर्व हो गया था।

Written by XT Correspondent