बालाघाट। एक पूर्व चीनी सैनिक मप्र आने को बेताब है।उसने पहले अपने वतन चीन जाने के लिए 54 साल का संघर्ष किया और अब चीन से भारत वापस आने से लिए मशक्कत कर रहा है। हम बात कर रहे है पूर्व चीनी सैनिक वांग शी उर्फ रायबहादुर की।
रायबहादुर साल 1963 में गलती से भारत की सीमा में दाखिल हो गया था। उसे भारतीय सेना ने पकड़ लिया था। बिना किसी कागजात के भारत में घुसने के कारण उन पर जासूसी का मुकदमा चलाया गया। करीब 6 से 7 सालो तक वह भारत की अलग-अलग जेल में रखा गया।जेल से छूटने के बाद वह बालाघाट के तिरोड़ी गांव में रहने लगा।वांग शी के परिवार में उसका एक बेटा विष्णु बहु और दो बेटियाँ, नाती है। पत्नी का करीब डेढ़ साल पहले निधन हो चुका है।
भारत में 54 साल रहने के बाद 2017 में आखिरकार चीन पहुंचने वाला वांग शी अब अपने भारतीय परिवार से मिलने भारत नहीं आ पा रहा है।बीते चार महीनों से उसे बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास से वीजा नहीं मिल पा रहा है। रायबहादुर के लड़के विष्णु ने बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क किया लेकिन वहाँ से कोई स्पष्ट जवाब नही मिल सका है। दूतावास का कहना है कि वीजा मिल भी सकता है और नही भी।
वांग शी उर्फ राजबहादुर दो नाम, दो पहचान, दो देश लेकिन आदमी एक जिसका परिवार उस के आने की चाहत और इंतजार में है। परिवार कभी फोटो देख कर तो कभी वीडियो कॉल पर बात कर मन बहलाता है। उसकी घर वापसी का इंतजार उन्हें हर पल है। सरहदी कानून इंसान को आने जाने से रोक सकते है पर उन से जुड़े रिश्ते और भावनाओं को कैसे।कभी 56 सालो तक भारत में रहने वाला राजबहादुर फिर एक बार घर वापसी के लिए लड़ रहा है।वांग शी का परिवार जहा उनके इंतजार में है। वहीं यहां का प्रशासन भी प्रयास करने की बात कर रहा है
षियनयांग सिटी में रह रहा है चीनी सैनिक
पूर्व चीनी सैनिक चायना के शांसी प्रांत के षियनयांग शहर में रह रहा है। वहाँ से उसे 1200 किलोमीटर दूर बीजिंग स्थित एम्बेसी में वींजा के लिए आना पड़ता है। परिजनों के मुताबिक 5 माह पहले दूतावास में वींजा के लिए आवेदन किया था। 3-4 बार बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के ऑफिस जा चुके है। वहाँ से कहा जाता है कि आपके आवेदन को दिल्ली विदेश मंत्रालय भेजा जा चुका है। वहां से जब क्लियर होकर आने पर ही जानकारी दी जायेगी।
54 साल के बाद अपने वतन चीन गया था वांग शी
विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय की मदद से साल 2017 में वांग को चीन जाने की अनुमति मिली थी। वांग के साथ उनके बेटे और बेटियाँ भी चीन जाकर आ चुके हैं। उधर वांग के परिवार वाले चीन में काफी समय से उनका इंतजार कर रहे थे और जब मिले तो आंसूओं को रोक नहीं सके। 2017 में चीन जाने और कुछ दिनों वहां रहने के बाद वांग शी वापस भारत आ गये थे। उसके बाद वे दुबारा अकेले ही चीन गये थे। इस बीच उनका दो बार पासपोर्ट भी रिनीवल हो चुका है। लेकिन साल 2019 में उन्होंने दुबारा भारत आने के लिए भारतीय दूतावास में वींजा के लिए आवेदन किया था। लेकिन उनका वीजा नही बन पा रहा है। जिससे वांग शी काफी परेशान है।
वीडियो कॉलिंग में बयां किया अपना दर्द
वांच शी ने वीडियो कॉलिंग में अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि पहले उसे अपने वतन चीन जाने के लिए 54 साल तक के लिए लड़ाई लड़नी पड़ी। उसके बाद वो अपने वतन चीन में अपने परिवार से मिला। अब वो भारत में रह रहे भारतीय परिवार के पास वापस आना चाहता है लेकिन उसे भारत आने के लिए वींजा नही दिया जा रहा है। उसने भारत सरकार से मांग की है कि उसे 5 साल का मल्टी वीजा दिया जाये ताकि वो बे-रोक टोक आना-जाना कर सकें।
बालाघाट कलेक्टर दीपक आर्य का कहना है कि, ‘मीड़िया के माध्यम से इसकी जानकारी मिली है। मानवीय आधार पर जो भी मदद उन्हें मिल सकती है, दी जायेगी। हमारे द्वारा एम्बेसी को रिपोर्ट भेजी जायेगी और प्रयास किये जायेगे कि वह भारत वापस आ सकें।‘