एक्सपोज़ टुडे,भोपाल।
मध्य प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक पर कैबिनेट की मुहर लग गई। विधेयक के मुताबिक़ ज़बरिया धर्म परिवर्तन कराने पर10 साल की सजा का प्रावधान है। मंत्रीमंडल द्वारा पारित यह प्रस्ताव विधानसभा के परसों होने वाले सत्र में पारित कराया जाएगा।
अधिनियम के मुताबिक़ डरा धमका कर विवाह करने वाले या धर्म परिवर्तन कराने वाले लोगों पर 1 से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान रखा गया है । जिसमें धर्म छिपाकर विवाह करना या कराना भी अपराध माने गए हैं। अधिनियम के अनुसार सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कराने वाले भी सजा के पात्र होंगे । इस अधिनियम में दर्ज अपराध ग़ैर ज़मानती तो होंगे ही साथ ही इसकी जाँच उपनिरीक्षक या उच्च स्तरीय अधिकारियों द्वारा की जा सकेगी । धर्म परिवर्तन कर कराए गए विवाह को निरस्त किए जाने के लिए परिवार न्यायालय को अधिकृत किया गया है । अधिनियम की ख़ास बात यह है कि इसमें निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करने की बाध्यता अभियुक्त पर ही रखी गई है।
पैतृक धर्म में लौटना अपराध नहीं
अधिनियम में यह भी है की कोई व्यक्ति अगर अपने पैतृक धर्म में लौटना चाहता है तो वह अपराध नहीं माना जाएगा । लेकिन धर्म परिवर्तन करने वाले धार्मिक व्यक्ति द्वारा द्वारा सात दिवस के पूर्व ज़िला दंडाधिकारी को सूचना देना अनिवार्य होगा । अन्यथा उसे भी 3 से लेकर 5 साल तक की सजा का पात्र माना जाएगा ।
क़ानून के प्रमुख प्रावधान
1. कोई भी व्यक्ति प्रलोभन या धमकी, बल प्रयोग के ज़रिए कपटपूर्ण तरीक़े से धर्म परिवर्तन कराकर विवाह करता है तो वह इस सजा का पात्र होगा।
2. अधिनियम के तहत धर्म परिवर्तन करने वालों को एक से पाँच साल तक की सजा तथा 25 हज़ार रूपए अर्थ दंड भरना होगा ।
3. महिला, नाबालिग, अनुसूचित जाति, जनजाति के धर्म परिवर्तन पर 2 से 10 साल की सजा और दोगुना अर्थ दंड ।
4. धर्म छुपा कर शादी करने पर 3 से 10 साल तक की सजा ।
5. सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 5 से 10 साल तक की सजा।
6.एक से अधिक बार गुनाह पर 5 से 10 साल तक की सजा।
7. इस अधिनियम में दर्ज अपराध ग़ैर ज़मानती होंगे तथा सुनवाई सत्र न्यायालय में ही होगी ।
8. जाँच उप निरीक्षक स्तर के अफसर से नीचे के अफ़सर नहीं कर सकेंगे ।