November 29, 2024

खेल-खेल में शिक्षा की नायाब कोशिश

छिंदवाड़ा। छोटे-छोटे बच्चों को बस्ते के बोझ से लदी हुई तस्वीर तो आम है लेकिन मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाक़े का एक ऐसा स्कूल जहाँ बच्चों को बस्ते के बोझ से मुक्त कर खेल-खेल में शिक्षा देकर नायाब कोशिशें की जा रही है।

स्कूल की दीवारों पर रंग बिरंगे ककहरा, देश दुनिया का ज्ञान और फर्श पर साँप सीढ़ी से लेकर लूडो के चित्र और खेल-खेल में पढ़ते बच्चे, यह नजारा है छिंदवाड़ा के आदिवासी अंचल तामिया के धूसावानी गाँव के सरकारी स्कूल का।

दरअसल पहले इस स्कूल में बच्चों की उपस्थिति काफी कम रहती थी। ऐसे में प्रधान अध्यापक अरविंद सोनी ने बच्चों को पढ़ाने की ठानी और पूरे स्कूल की दीवारों को सामान्य ज्ञान, ककहरा और फर्श पर बच्चों को खेलने चार्ट से रंगवा दिया। उन्होंने बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई कराने का संकल्प लिया। आज यहां के सभी बच्चे बिना बस्ता के स्कूल पहुँचते हैं और खेल-खेल में शिक्षा ले रहे हैं। अरविंद सोनी की इस पहल से स्कूल में बच्चों की उपस्थिति भी पूरी रहने लगी है।

अरविंद सोनी बताते हैं कि आदिवासी गाँव होने के चलते बच्चे स्कूल नहीं आते थे जो उनके लिए बड़ी चुनौती थी। उन्होंने अपने खर्चे से ही स्कूल के एक कमरे को इस तरह सजवाया कि बिना बस्ता के ही बच्चों को पढ़ाया जा सके और अब बच्चे यहाँ पर आकर खेलने के साथ ही पढाई भी पूरी कर लेते हैं।

Written by XT Correspondent