उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत चिंता का सबब बनी हुई. टेरेटरी फाइट और दूसरे कारणों से यहां लगातार बाघों की मौत हो रही है. आलम यह है कि पिछले 10 सालों में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 46 बाघों की मौत हो चुकी है. ऐसे में अब बाघ संरक्षण को पर्यटन से अलग किए जाने की माँग उठने लगी है.
टाइगर एस्टिमेशन 2018 के ताजा नतीजों से मध्यप्रदेश को 13 साल बाद फिर से टाइगर स्टेट का दर्जा मिल गया है। प्रदेश भर में बाघों की संख्या की बढ़ाने में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का विशेष योगदान रहा है।
बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत बीते 8 सालों में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से 14 बाघ अन्य टाइगर रिजर्वो में भेजे गए हैं। जिसमे पन्ना टाइगर रिजर्व में एक, संजय टाइगर रिजर्व में एक, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में तीन, नौरादेही अभ्यारण में एक, वन विहार भोपाल में चार बाघों को पुनर्स्थापित कर बाघों की संख्या बढ़ाने का कार्य किया गया है।
इसके अलावा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा जून 2018 में एक बाघिन को प्रदेश के बाहर उड़ीसा राज्य के सतकोसिया अभ्यारण में भेजा गया है। खास बात यह है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अलग-अलग बाड़ों में कैद 7 बाघ अभी और बाघ पुनर्स्थापना के तहत अन्य बाघ विहीन जंगलों में भेजे जाएंगे।
प्रबंधन के मुताबिक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का प्राकृतिक वातावरण बाघों के आवास आहार एवं प्रजनन के लिए सबसे उपयुक्त है। यही वजह है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व बीते दस सालों में बाघों के ब्रीडिंग सेंटर के रूप में विकसित हुआ है।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1536 वर्ग किमी है। जिसमे बाघों के लिए सघन कोर जंगल महज 694 वर्ग किमी है। बाकी का हिस्सा बफर जोन का है जिसमे सैकड़ों गांव आबाद है। जहां वन्य जीव और मानव द्वंद एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आई है।
दूसरी ओर बाघों के बीच बढ़ती वर्चस्व की लड़ाई ने बाघों की असामयिक मौत में भी इजाफा किया। टाइगर रिजर्व में बीते दस सालों में 46 बाघों की मौत हुई है जिसमे टेरिटरी फाइट में बाघों की मौत सबसे ज्यादा हुई है।
वन्य जीव विशेषज्ञ बांधवगढ़ में बाघों की असामयिक मौत को चिंता का विषय बता रहे हैं और इसे रोकने के लिए सूक्ष्म अध्ययन की मांग के साथ बाघ सरंक्षण को पर्यटन से अलग करने की भी मांग की जा रही है ताकि बाघ संरक्षण में जुटे अधिकारी कर्मचारी एकाग्रता से कार्य कर सकें।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के घने जंगल पहाड़ियों से झरते झरने बाघों के लिए बेहतर हैबिटेट का निर्माण करते हैं। यही वजह है कि यहां बाघों का औसत घनत्व दुनिया मे सबसे ज्यादा है और प्रजनन दर भी। बाघ संरक्षण की दिशा में कार्यरत प्रबंधन के सामने बाघों की बढ़ती संख्या के बराबर प्राकृतिक वातावरण बनाये रखना और उनकी असामयिक मौत को रोकना मुख्य चुनौती है।