छिंदवाड़ा। 31 अगस्त को छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा और सावरगांव के बीच जाम नदी के किनारे गोटमार मेले का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन में लोग एक-दूसरे पर जमकर पत्थर फेकेंगे। खास बात यह है कि यह सब पुलिस की देखरेख में होगा।
इस आयोजन में पिछले कई वर्षों में 14 लोगों की जान जा चुकी हैं। प्रशासन की कोशिशों के बावजूद लोग इस खेल को बंद करने के लिए तैयार नहीं हैं। लगभग 140 वर्ष पहले से यह परंपरा चली आ रही है।
कलेक्टर वेदप्रकाश ने बताया कि गोटमार मेले के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर लिए गए हैं। सुरक्षा में तैनात किए जाने वाले बालिंटियरों को इस बार हेलमेट दिया जाएगा।
प्रेम कहानी से बनी परम्परा
गोटमार की यह परंपरा एक प्रेम कहानी से जुड़ी है। इसी प्रेम कहानी से आज गोटमार परम्परा बन गई है। इस परंपरा से जुड़ी एक किवदंती है कि यह दो गांव की दुश्मनी और प्रेम करने वाले युगल के याद में शुरू हुई। सावरगांव की लड़की थी और पांढुर्णा का लड़का, जो एक-दूसरे को प्रेम करते थे। एक दिन लड़का-लड़की को लेकर भाग रहा था और जाम नदी को पार करते समय लड़की पक्ष के लोगों ने देख लिया। फिर पत्थर मारकर रोकने की कोशिश की। यह बात लड़का पक्ष को पता चली तो वह उन्हें बचाने के लिए लड़की वालों पर पत्थर बाजी करने लगे। हालांकि प्रेमी प्रेमिका कौन थे आज तक किसी को पता नहीं। तब से लेकर आज तक यह परम्परा चली आ रही है।
14 लोगों की जा चुकी हैं जान
अगर मेले की बात की जाए तो सैकड़ों लोग अपंग हो चुके हैं। 14 लोगों की पत्थर लगने से मौत हो चुकी है। फिर भी बराबर हिंसा से भरा मेला नहीं रुका। यहां हर व्यक्ति आस्था के नाम पर शराब पीता है और इंसानियत भूल जाता है। इसमें धर्म जैसी कोई चीज दिखाई नहीं देती। कुछ लोग इसका विरोध भी करते हैं। प्रशासन भी चाहता है यह मेला बंद हो जाए। एक बार यहां पर पत्थरों की जगह गेंद को भी प्रशासन ने रखा लेकिन लोगों ने पत्थरों से ही खेल को खेला।
भारी पुलिस बल तैनात
इस बार भी इस खूनी खेल में किसी प्रकार की दुर्घटना ना हो इसलिए प्रशासन ने पांच सौ से ज्यादा जवानों की तैनाती की हैं।