भोपाल। सरदार सरोवर बांध को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज दो पेज में आठ बिन्दुओं के साथ अपना वक्तव्य जारी किया है। इस वक्तव्य का लब्बोलुआब यह है कि सर्दन सरोवर परियोजना में गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश सहभागी राज्य है। इसलिए किसी एक राज्य द्वारा कोई निर्णय लिया जा सकता। न्यायालीन आदेशों का पलान किया जा रहा हैं। नर्मदा आन्दोलन के साथ लगातार संवाद भी स्थापित किया जा रहा है। ऐसे प्रभावित परिवारों जिन्हें पिछली सरकार ने अपात्र मान लिया था उन्हें 60 लाख रुपए के लिए पात्र माना गया है। लेकिन यह राशि गुजरात सरकार से अभी तक नहीं मिली है। बांध में जल भराव का नियंत्रण नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण का होता है। लेकिन प्राधिकरण निष्पक्ष काम नहीं कर रहा है। मध्य प्रदेश सरकार खुद भी इसके लिए विरोध कर रही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने वक्तव्य में नर्मदा बचाओ आन्दोलन की नेता मेधा पाटकर को संबोधित करते हुए कहा कि वे आन्दोलन और उनके साथियों को आश्वस्त करना चाहते है कि उनकी सरकार डूब प्रभावितों के पूर्व पुनर्वास के लिए प्रतिबद्ध है। प्रभावितों के सभी दावों और मुद्दों का सम्पूर्ण निराकरण गांव-गांव शिविर लगाकर किया जाएगा। मेधा पाटकर से कमलनाथ ने आग्रह किया कि वह अपना अनशन समाप्त कर डूब प्रभावितों के मुद्दों के त्वरित निराकरण में सरकार का सहयोग करें। कमलनाथ ने अपने अंतिम बिंदु में कहा कि हमारी सरकार का पूरा प्रयास होगा कि बांध के गेट खोले जाए और पूर्ण स्तर तक जल भराव को फ़िलहाल स्थगित किया जाए।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूर्व मुख्य सचिव शरदचन्द्र बेहार को अपना दूत बनाकर मेधा पाटकर से चर्चा करने के लिए अनशन स्थल पर भेजा है।