एक्सपोज़ टुडे,इंदौर।
लोकायुक्त पुलिस ने आबकारी अधिकारी पराक्रम सिंह चंद्रावत के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में दर्ज केस में चालान प्रस्तुत कर दिया है। अब चंद्रावत की मुश्किलें बढ़ना तय है। चंद्रावत अभी इंदौर आबकारी उड़न दस्ते के प्रभारी है। चंद्रावत के घर 2018 में लोकायुक्त टीम ने छापा मारा था । तब वे धार में पदस्थ थे। उनके ख़िलाफ़ अपराध क्रमांक 97/2018 धारा 13(1)आ और 13(2)भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधित 2018 13(बी ),120बी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में केस दर्ज है।
2018 में चंद्रावत के
इंदौर स्थित निवास और अन्य ठिकानों पर छापे मारकर करोड़ों की बेनामी संपत्ति पकड़ी। चंद्रावत के आलीशान बंगले में 90-90 लाख की तीन कारें मिलीं। पराक्रम शहीद टीआई नरेंद्रसिंह चंद्रावत के पुत्र हैं। उनके चाचा दिवंगत पूर्व कैबिनेट मंत्री महेंद्रसिंह कालूखेड़ा थे।
आबकारी अधिकारी के धार आॅफिस और पैतृक गांव कालूखेड़ा में भी तलाशी ली गई। चंद्रावत ने मई में अमेरिका जाने के लिए शासन से अनुमति मांगी थी। उससे पहले लोकायुक्त पुलिस के हत्थे चढ़ गए। पराक्रम पिता की हत्या के बाद 2001 में अनुकंपा नियुक्ति पाकर आबकारी अधिकारी बने। लोकायुक्त पुलिस ने पकड़ी गई संपत्ति की कीमत बताने से इनकार किया है किंतु जानकारों का मानना है कि यह 50 करोड़ से अधिक है। कीमत 100 करोड़ तक भी जा सकती है।
विरोध के बावजूद चंद्रावत को बनाया था अफसर
– विदेश यात्राओं के कारण चर्चा में रहे चंद्रावत पिछले साल धार से हटाने के तीन माह बाद ही पुन: वहां पदस्थ हो गए थे।
– तत्कालीन लोकायुक्त एसपी दिलीप सोनी के मुताबिक टीम शुक्रवार सुबह पौने छह बजे चंद्रावत के 34, सेक्टर बीजी, स्कीम 74-सी स्थित निवास पर पहुंची।
– चौकीदार ने परिसर का मेन गेट खोला। फिर घर के अंदर से नौकरानी ने दरवाजा खोला। घर पर चंद्रावत और उनकी मां पुष्पलता थीं।
– टीम के कहने पर चंद्रावत को जगाया। नींद खुलते ही उन्हें कोर्ट वारंट दिखाया तो वे सन्न रह गए। घर में शेर की असली खाल में नकली शेर और बारह सिंगा लगे मिले।
– आबकारी अधिकारी का कहना है कि इसका लाइसेंस है। यह मकान उनकी मां पुष्पलता के नाम पर पाया गया। इसलिए पकड़ी गई संपत्ति में इसे शामिल नहीं किया गया।
लोकायुक्त डीएसपी एसएस यादव के मुताबिक ये सारी संपत्ति नौकरी के बाद की है। कालूखेड़ा गांव की पैतृक चल-अचल संपत्ति इसमें शामिल नहीं है।
पिता की हत्या के बाद 2001 में मिली थी अनुकंपा नियुक्ति
– पराक्रम के पिता नरेंद्रसिंह चंद्रावत 1996 में महू में थाना प्रभारी थे। तब एक गुंडे द्वारा किए गए हमले में उनकी मौत हो गई थी। सरकार ने पराक्रम को आबकारी अधिकारी पद पर 2001 में अनुकंपा नियुक्ति दी थी।
– लोकायुक्त डीएसपी यादव के मुताबिक ट्रेनिंग के बाद 2003 में पदस्थापना हुई थी।
नौकरी से अब तक का वेतन 70-80 लाख रु.
– आबकारी अधिकारी की वर्तमान में 75 हजार रु. सैलरी है और नौकरी में अब तक की उनकी तनख्वाह लगभग 70-80 लाख रु. बनती है।
– इतने साल की नौकरी में उन्होंने करोड़ों की बेहिसाब संपत्ति खरीदी।
क्या-क्या मिली संपत्ति
– घर पर नकद 12 लाख। दोनों पेट्रोल पंप पर एक करोड़ 12 लाख।
-1 करोड़ रुपए कीमत के गहने।
-बंसी ट्रेड सेंटर में दूसरी मंजिल पर
एक फ्लैट।
-बीसीएम हाइट्स के पांचवें माले पर एक दुकान।
-स्कीम 140 में साढ़े पांच हजार वर्ग मीटर का प्लाॅट।
– लसूड़िया मोरी क्षेत्र में एक प्लाॅट।
-जावरा में 20 बीघा जमीन में छह वेयर हाउस।
– एक मर्सिडीज पुरानी विदेशी और करोड़ों की कीमत की है। दूसरी मर्सिडीज 90 लाख रुपए वाली। 60 लाख रुपए कीमत की आॅडी कार।
-सयाजी होटल के सामने पेट्रोल पंप (मां के नाम पर)।
-एमआर-10 पर पेट्रोल पंप पत्नी विभावरी कुमारी चंद्रावत के नाम पर।