- करोड़ों रूपए बटोर कर नहीं भाग सकेंगी कंपनी
- चिटफंड एड मनी सरक्यूलेशन एक्ट में डीआईजी करेंगे कार्रवाई
- निक्षेपक हित संरक्षण अधिनियम में कलेक्टर कराएंगे कंपनी का रिकॉर्ड जब्त
चिटफंड कंपनियां जनता के करोड़ों रूपए लेकर भाग नहीं सकेंगी। ऐसी कंपनियों के खिलाफ कलेक्टर और डीआईजी ने त्रिस्तरिय कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं। अब चिटफंड कंपनी के शिकायत मिलते ही पुलिस केस दर्ज होगा इसके कर्ताधर्ता होंगे गिरफतार। चिटफंड कंपनियों पर शिकंजा कसने की तैयारी जिला प्रशासन ने कर ली है इन पर निक्षेपक हित सरंक्षण अधिनियम के तहत कलेक्टर भी कार्रवाई करेंगे। पिछले दिनों शहर में दर्जनों चिट फंड कंपनियों ने जनता को पैसा दुगना करने के सपने दिखाए और कंपनी में गाढ़ी कमाई का पैसा लगवा कर रफूचक्कर हो गई।
पीड़ीत लोगों ने कलेक्टर को शिकायत की। कलेक्टर की जांच में एक दर्जन कंपनियों का फर्जीवाड़ा सामने आ गया। पैसा दुगना करने के नाम पर यह कंपनियां लोगो को लुभाती हैं जबकि आरबीआई के लायसेंस के बिना कोई भी न तो पैसा डबल कर सकता है न ही ब्याज ले या दे सकता है।
चिटफंड कंपनियां अब जनता का पैसा लेकर भाग नहीं सकेंगी। इन पर त्रिस्तरिय कार्रवाई की तैयारी पुलिस और जिला प्रशासन कर रहा है। इस कार्रवाई में पहले कलेक्टर जिला प्रशासन के माध्यम से निक्षेपक हित संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई करेंगे वहीं दूसरे फेज में डीआईजी चिटफंड सर्कयूलेशन एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराएंगे। तीसरे फेज में ऐसी कंपनियों पर कार्रवाई होगी जो पैसा दोगुना करने का लालाच देती है। इनकी जानकारी आरबीआई को देकर कार्रवाई की जाएगी।
पिछले दिनों इंदौर से लगभग एक दर्जन चिटफंड कंपनियां जनता की करोड़ों रूपए की गाढ़ी कमाई लेकर भाग गई। इन कंपनियों ने पहले अपने ऑफिस खोले इसके बाद जनता का पैसा दौगुना करने का और बीमा करने का लालच दिया। लोगों ने इनकी बातो में आकर पैसा जमा करा दिया। पैसा लेकर कंपनियो ने कुछ दिनों तक जमाकर्ताओं को बहलाया फिर अपना सामान समेट कर रफूचक्कर हो गई। ऐसी 12 चिट फंड कंपनियों की शिकायत कलेक्टर को हुई थी कलेक्टर ने इन सभी कंपनियों की जांच कराई सभी में घपले सामने आए हैं।
यह है त्रिस्तरिय कार्रवाई
1. प्रलोभन देकर पैसा लेने पर म.प्र.निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत कार्रवाई कोई भी चिटफंड कंपनी अगर किसी व्यक्ति को पैसा दोगुना करने का लालच देती है। इसमें बीमा करने का लालच दिया जाता है। ऐसे मामलों की शिकायत पीड़ीत व्यक्ति कलेक्टर को कर सकता है। कलेक्टर म.प्र.निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत चिट फंड कंपनियों का रिकॉर्ड जब्त कर सकते हैं। इनके खिलाफ 420 का केस दर्ज कराने के अधिकार भी जिला प्रशासन को है।
यह है म.प्र. निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000
म.प्र. निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 एवं भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45 आईए तथा इंश्योरेंस रेग्यूलेटरी एवं डेवलपमेंट एक्ट 1999के तहत जांच कर वैघानिक कार्रवाई करने के अधिकार कलेक्टर को हैं। इसमें स्पष्ट हैं की कंपनी द्वारा आम जनता के साथ गलत प्रलोभन देकर पैसा लिया जाता है और धोखा दिया जाता है तो इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत केस दर्ज कराया जा सकता है।
2. सदस्य बनाने पर पैसा चिटफंड एंड मनी सर्कयूलेशन एक्ट के तहत कार्रवाई कोई चिट फंड कंपनी सदस्यों को कहती है की आप अपने जैसे कई सदस्य बनाओ और सभी से कंपनी में पैसा लगवाओ। ऐसा करने पर आपको कंपनी इन्सेटीव देगी या पैसा देगी। ऐसा करने पर पीड़ीत सीधा पुलिस में शिकायत कर सकता है। इस मामले में पुलिस चिटफंड एंड मनी सर्कयूलेशन एक्ट के तहत तुरंत एफआईआर कर लेगी। इसकी मॉनिटरिंग डीआईजी खुद कर रहे हैं।
यह है चिट फंड एंड मनी सर्कयूलेशन एक्ट चिट फंड एंड मनी सर्कयूलेशन एक्ट के तहत ऐसी गतिविधीयों को रोकने का प्रयास है जो किसी व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्तियों को चेन सिस्टम में जोड़ कर उनसे अवैधानिक तौर पर पैसा वसूली का काम करे। वह व्यक्तियों को इस बात का लालच दे की जितने ज्यादा लोग जुड़़ेगे पैसा मिलेगा।
ऐसी शिकायत मिलते ही पुलिसचिट फंड एंड मनी सर्कयूलेशन एक्ट की धाराएं और 420 व 120 बी के तहत केस दर्ज कर लेगी।
3. पैसा ब्याज पर देना बढ़ा देना मनी सर्कूलेशन एक्ट आरबीआई की जानकारी में लाकर होगी कार्रवाई कोई भी चिट फंड कंपनी अगर पैसा जमा कर ब्याज पर देने का लालच देती है ऐसी शिकायत मिलती है तो ऐसी स्थिती में जिला प्रशासन और पुलिस मनी सर्कूलेशन एक्ट में पहले यह जांच करेगी की ऐस करने वाली कंपनी के पास आरबीआई रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का लायसेंस है या नहीं। फिर आरबीआई को सूचना देकर कार्रवाई की जाएगी।
यह है आरबीआई एक्ट भारतीय रिजर्व बैक अधिनियम 1934 की धारा 45 आईए के अनुसार कोई भी गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी बिना रिजर्व बैंक के पंजीयन कराए जनता से धन नहीं ले सकती।
यह है इंदौर की ठग चिटफंड कंपनी
5 सौ रूपए जमा कराने पर 45 हजार का लालच
1. मेसर्स जी. लाइफ इंडिया डेवलपर्स एंड कॉलोनाइजर लिमिटेड इस कंपनी का ऑफिस 105 106 कंचन सागर बिल्डींग पलासिया पर है। इस कंपनी के संबंध में सुमित सिंह निवासी स्कीम नंबर 74 ने कलेक्टर को शिकायत की थी। शिकायत मे लिखा था कंपनी ने एक आर.डी. डिपॉजिट पॉलिसी 8 जनवरी 2013 को दी। कंपनी ने यह वादा किया की 5 सौ रूपए प्रतिमाह जमा कराने पर 5 सालों में 43 हजार रूपए कंपनी देगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
पैसा दोगुना करने का दिया लालच
2. सनबीन इंडिया लिमिटेड इस कंपनी का ऑफिस प्लाट नंबर 96 स्कीम नंबर 78 में है। इसके संबंध में विजया शर्मा द्वारा कलेक्टर को शिकायत की गई। शिकायत में लिखा है इस कंपनी ने पैसा दोगुना करने का कह कर पैसा लिया लेकिन पैसा नहीं लौटाया। कलेक्टर की जांच में यह सामने आया सनबीन निर्माण् इंडिया द्वारा जनता से बीमारी बीमा व कमीशन एजेंट के रूप में काम करने के नाम पर पैसा वसूला जा रहा है।
पैसा मांगने पर जान से मारने की धमकी
3. मेसर्स टयूलिप मेगामार्ट प्रायवेट लिमिटेड इस कंपनी का ऑफिस आरएनटी मार्ग 208 बी ब्लाक कारपोरेट हाउस पर है। 12दिसंबर 2012 को के.पी. सिह निवासी इंद्रपुरी कॉलोनी ने शपथ पत्र देकर शिकायत दर्ज करा दी की कंपनी ने 3 हजार 5 सौ रूपए लेकर सदस्य बनाया।
इसके बाद आश्वासन दिया की उन्हे 1 लाख का एक्सीडेंट बीमा और बीमार होने पर 30 हजार रूपए की सहायता दी जाएगी। इस दौरान सिंह का बेटा बिमार हुआ वे कंपनी के पास मदद मांगने गए लेकिन उन्हे कोई सहायता नही दी गई। उन्हे जान से मारने की धमकी देकर भगा दिया।
हम म.प्र. निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत कार्रवाई कर रहे हैं हम चिटफड कंपनियों के खिलाफ म.प्र. निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत कार्रवाइ कर रहे हैं। इनके रिकार्ड जब्त कर पुलिस केस दर्ज कराएंगे। – आकाश त्रिपाठी, कलेक्टर
हम चिटफंड एंड मनी सर्कयूलेशन एक्ट के तहत कार्रवाई कर रहे हैं हम चिटफंड कंपनियों के खिलाफ चिटफंड एंड मनी सर्कयूलेशन एक्ट के तहत कार्रवाई कर रहे है कोई भी पीड़ीत पुलिस के पास आए तुरंत केस दर्ज करेंगे। – राकेश गुप्ता, डीआईजी