एक्सपोज़ टुडे, भोपाल।
मप्र हाई कोर्ट ने अपने पूर्व आदेश की नाफ़रमानी के रवैये को गंभीरता से लेकर राज्य के प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा को अवमानना नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण माँगा है। जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है। न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ ने यह स्पष्ट करने कहा है कि पूर्व आदेश के बावजूद याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निर्धारित समय पर निराकरण
क्यों नहीं किया गया। चार सप्ताह के भीतर वस्तु स्थिति साफ करने कहा गया है। ऐसा न किए जाने पर अवमानना की सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। कोर्ट ने साफ किया है कि इस तरह पूर्व आदेश-निर्देश को हल्के में लेना उचित नहीं है।
याचिकाकर्ता मयंक मोहन निगम की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता शासकीय पालिटेक्निक कालेज में कार्यरत था। फरवरी माह में उसे भ्रष्ट आचरण के चलते सस्पेंड कर दिया गया। याचिकाकर्ता को सस्पेंशन अलाउंस भी नहीं दिया गया।
हाई कोर्ट ने इस मामले में 29 सितंबर, 2021 को प्रमुख सचिव को निर्देश दिए थे कि 45 दिन के भीतर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का उचित आदेश पारित कर निराकरण करें। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की।
चूंकि निर्धारि 60 दिन बीतने के बाद भी प्रमुख सचिव ने अभ्यावेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया, इसलिए अवमानना याचिका दायर करने विवश होना पड़ा। याचिकाकर्ता ने चार अक्टूबर को प्रमुख सचिव को अभ्यावेदन पेश कर दिया था और रिसीविंग भी ली थी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया है। कोर्ट ने पूर्व आदेश की नाफरमानी पर आश्चर्य भी जताया है।