लेखिका डॉ. अनन्या मिश्र, आईआईएम इंदौर में सीनियर मेनेजर – कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन एवं मीडिया रिलेशन के पद पर हैं।
एक्सपोज़ टुडे।
आज रूप चौदस है और कल दीपावली। सभी कार्यस्थल और संस्थाएं भी सजी हुई हैं। कहीं फूलों की लड़ियाँ हैं तो कहींखुबसूरत रंगोलियाँ बनी हुई हैं। सभी एक-दूसरे को त्योहारों की शुभकामनाएं दे रहे हैं। एकजुटता का प्रतीक हैं त्यौहार। सभी पद-वेतन-तनख्वाह के भेद मिटाते त्यौहार। भारतीयों के जीवन में दिवाली और रामायण का बहुत महत्व है। यह महाकाव्य हमें नेतृत्व और प्रबंधन में कुछ मूल्यवान सबक भी सिखाता है।आइए, जानते हैं इन्हीं के बारे में, जो हमारे कार्यस्थल पर सहायक सिद्ध हो सकते हैं:
दूरदृष्टि: राजा दशरथ ने अति उत्साह में रानी कैकई को वादा किया, और रानी कैकई ने उसी वादे का अनुचित लाभ उठाया।कोई भी वादा करने से पहले, या निर्णय लेने से पूर्व, हमेशा लंबी अवधि के बारे में सोचें। एक प्रबंधक की प्रतिष्ठा उसकी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने में होती है। किन्तु हर कदम उठाने से पूर्व मूल्यांकन करें ताकि भविष्य में प्रतिबद्धताएं आपको और आपके संस्थान को नुकसान न पहुंचाएं।
ब्रांड का समझें महत्व: भरत ने श्रीराम की अनुपस्थिति में उनकी पादुका को राजगद्दी पर रखा और एक कार्यवाहक के रूप में अयोध्या पर शासन किया। सफल और लोकप्रिय अग्रणीअक्सर अपनी ब्रांड को स्वयं से ज्यादा महत्व देते हैं और इस बात का ध्यान रखते हैं कि ब्रांड की प्रतिष्ठा सदा बनी रहे। नए ब्रांड के निर्माण या अधिग्रहण के दौरान भी, वे ब्रांड की मौजूदा विरासत को उचित सम्मान देते हुए उसकी प्रतिष्ठा बनाए रखते हैं। भरत जानते थे कि अयोध्यावासी उन्हें राजा के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे, इसलिए उन्होंने श्रीराम के नाम का इस्तेमाल किया और उनकी शरण में शासन किया।
टीम को करें अपने लक्ष्य में शामिल: श्रीराम की सेना में प्रत्येक के पास विशिष्ट कौशल था, जिसने उन्हें लंका पर विजय पाने में मदद की। विविध गुणों से परिपूर्ण सदस्यों वाली एक समावेशी टीम अलौकिक परिणाम लाती है। इस प्रकार, जहां समरूप दृष्टि और लक्ष्य रखने वाले लोगों के साथ काम करना लाभकारी है, वहीं अधिकतम लाभ के लिए विविध पृष्ठभूमि के लोगों को नियुक्त करना आवश्यक है। अपने अधीनस्थों को सशक्त बनाएं, न कि उनके कौशल का हनन करें।
प्रोत्साहन से नेतृत्व निर्माण: श्रीराम लंका जलाने के पक्ष में नहीं थे और इसलिए हनुमान निर्णय लेने में हिचकिचा रहे थे।अन्तर्यामी श्रीराम ने सुनिश्चित किया कि यह स्थिति हनुमान को उनकी क्षमताओं को फिर से खोजने में सहायक होगी और उन्हें प्रोत्साहित किया। इस प्रकार, उन्होंने एक कुशल प्रबंधक का निर्माण किया। उत्कृष्ट नेतृत्व का मूल तेज़ी से अन्य प्रमुखों का निर्माण है, और यह तभी संभव है जब शक्ति और अधिकार उचित और योग्य हाथों में हो।
सहानुभूति रखें: रावण द्वारा विभीषण को कभी पर्याप्त महत्व नहीं दिया गया, जिससे वह असंतुष्ट महसूस करने लगा।इसीलिए उसने श्रीराम को सभी रहस्य बता दिए जो अंततः रावण के विनाश का कारण बने। इसी तरह, प्रमुखों को हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक संगठन में अपने प्रति समर्पित लोगों का हमेशा ध्यान रखा जाए और उन्हें पर्याप्त महत्व दिया जाए। उनके असंतोष से कंपनी को रणनीतिक नुकसान हो सकता है।
समुचित योजना और सटीक निष्पादन: श्री राम के समान ही रावण के पास भी कौशल और संसाधन थे – बल्कि बेहतर थे।लेकिन श्रीराम की सेना की रणनीति, योजना और निष्पादन मेंअंतर था। वानर सेना होने के बावजूद उनका समर्पण और भक्ति अनन्य थी। संसाधनों का अधिकतम लाभ उठाना, दक्षता के लिए उनका अनुकूलन करना ही एक सफल व्यवसाय को बाकियों से अलग करता है।
रामायण ज्ञान से पूर्ण है और हमें सिखाती है कि कैसे मुसीबतों का सामना करें। कभी-कभी, हमें ऐसे निर्णय लेने और युद्ध लड़ने पड़ते हैं जिनसे हम बचना चाहते हैं, पर कई बार ये निर्णय विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता होते हैं। सुनिश्चित करें कि मुसीबत कितनी भी विशाल हो, चुनौतियाँ कितनी भी कठिन हों,अपने भीतर के श्रीराम को हारने न दें। स्वयं के मूल्यों, विश्वास और शक्ति के प्रति सच्चे रहें, नैतिकता पर अडिग रहें, और अपने अहंकार को कभी भी अपने ऊपर हावी न होने दें, तभी हम वास्तविक रूप से समृद्ध, संतुष्ट, सुखी और सफल हो सकेंगे।दीपावली की शुभकामानाएं!