November 29, 2024

डूब प्रभावित इलाके में महामारी की आशंका

बड़वानी। सरदार सरोवर बाँध से प्रभावित गाँवों में अभी पानी भरने से हुई परेशानियों से लोग उबरे भी नहीं है कि एक और बड़ा संकट अब उनके सामने खड़ा है। लम्बे समय तक बारिश का पानी भरे रहने से गंदगी और दूषित पानी पीने की वजह से इलाके के कई गाँवों में बीमारियाँ फ़ैल रही हैं। गाँव-गाँव में सैकड़ों लोग बीमारियों की जद में हैं। उधर जलजनित बीमारियों से लड़ने के लिए सरकारी तौर पर फिलहाल कोई बड़ी कवायद नहीं की जा रही है। इससे यहाँ महामारी का खतरा बढ़ता जा रहा है।

सरदार सरोवर से डूब प्रभावित गाँवों में हालात को देखते हुए महामारी से इंकार नहीं किया जा सकता। समय रहते प्रशासन ने कोई कवायद नहीं की तो अस्पतालो में मरीजों की कतारें लग जाएंगी। डूब वाले इलाके के हर गाँव में जितना हिस्सा डूब गया है, वहाँ लगातार भरे हुए पानी में जीव-जन्तु, गंदगी, पेड पौधे और जंगली झाडियो के डूबने से वे पानी में सड़ रहे हैं और उसकी दूषित हवा पूरे गाँव में फैल रही है। यह बड़ी तादात में बीमारियों का कारण बन रही है। इसके अलावा दूषित पानी पीने से भी बीमारियाँ फ़ैल रही हैं। लगातार बारिश में गीले होते रहने तथा कई घंटे गीले कपड़ों में रहने के कारण से भी बीमारियाँ बढ़ रही हैं। पूरे विश्व में प्रति वर्ष करीब एक करोड़ से अधिक मौतें दूषित जल के इस्तेमाल से होती हैं। आज भी करोड़ो लोग साफ़ पानी न मिल पाने के कारण भयंकर खतरे में जी रहे हैं, ऐसे में नर्मदा घाटी का भविष्य क्या होगा, कहा नहीं जा सकता।

नर्मदा घाटी के गाँवों में लगातार बारिश की वजह से आज काफी बड़ी आबादी को स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है और उन्हें दूषित पानी से ही जैसे-तैसे गुजारा करना पड़ रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक दूषित पानी से आंत्रशोथ या आँतों के रोग, हैजा, हेपेटाइटिस-ए, हेपेटाइटिस-ई, पोलियो, टायफाइड और पैरा-टायफाइड जैसी बीमारियाँ होती हैं। ये रोग जीवाणुओं, विषाणुओं और अन्य सूक्ष्मजीवों से होते हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक दूषित जल द्वारा पहुँचते हैं। ये कई बार महामारी का रूप भी ले लेते हैं।

नर्मदा घाटी के डूब प्रभावित गाँवों में पानी बढ़ने पर जगह की कमी हो गई और मवेशी भी मनुष्य के साथ रहने लगे हैं और ऐसे में पानी से होने वाली बीमारियों में इजाफा हो रहा है। पानी से होने वाली बीमारियों का मुख्य कारण है पानी का हमारे एवं पशुओं के मल आदि से दूषित होना। पूरे विश्व में करीब दस से बीस लाख मौतें दस्त या पेचिश के कारण होती है, जिनमें से 90 प्रतिशत पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चे होते हैं।

इसका मुख्य कारण दूषित जल ही है। हैजा रोग एक जीवाणु से होता है, जो पीड़ित व्यक्ति के मल से जल या अन्य खाद्य पदार्थों में पहुँचता है। टायफाइड रोग सॉलमोनेला टाइफी नामक जीवाणु से होता है जो दूषित जल एवं भोजन से अन्य व्यक्ति तक पहुँचता है। हेपेटाइटिस-ए विषाणु से हेपेटाइटिस-ए रोग होता है और यह विषाणु भी रोगी के मल से शरीर के बाहर आता है और फिर इन अपशिष्ट का सही निकास न होने पर यह पीने के पानी को दूषित करता है और कई बार अगर हमारे हाथ गन्दे हो तो इससे खाना भी दूषित हो जाता है। यहाँ तक कि मक्खियाँ आदि भी इन रोगों के सूक्ष्मजीवों को इधर से उधर ले जाती हैं।

घाटी के गाँवों में पारम्परिक जलस्रोत कुएँ, हेण्डपंप आदि बाँध के पानी में डूब चुके हैं। पीने के पानी की लाइन में सीवर का पानी मिल रहा है, इससे भी कई गंभीर रोग हो जाते हैं। पोलियो का विषाणु सीवर या नाले में पनपता है। जब पोलियो का विषाणु नाले के अनुपचारित पानी के साथ बहता हुआ पीने के पानी में मिल जाता है और कोई व्यक्ति इस पानी का सेवन कर लेता है तो वह पोलियो से ग्रस्त हो सकता है।

काफी समय तक जमा पानी में मच्छर आदि खूब पनपते हैं जो डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसे रोगों के वाहक होते हैं। जल दूषित नहीं है तो भी वह रोग फैलाने में सक्षम होता है क्योंकि वह उन वाहकों जैसे मच्छर, घोंघे आदि को जीवन देता है, जो रोग फैलाते हैं। इस तरह प्रशासन को यह बात पता है कि इन इलाकों में रह रहे लोगों को किस तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने एहतियातन अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। क्या उन्हें किसी विभीषिका का इंतज़ार है।

Written by XT Correspondent