लेखिका हेमल क़ामत
एक्सपोज़ टुडे।
परिरिदृश्य बदल रहा है। महिलाओं की भागीदारी सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय रूपसे बढ़ रही है।’ Women Empowerment हो रहा है।’ ये कुछ चुनिन्दापंक्तियां हैं जो यदा कदा अखबारों में] टीवी न्यूज़ चैनल पर] और नेताओं केमुँह से सुनी जाती रही है।
अपने क्षेत्र में खास उपलब्धियां हासिल करने वाली कुछ महिलाओं काउदाहरण देकर हम महिलाओं की उन्नती को दर्शाते हैं। पर अगर आप ध्यानदें तो कुछ अद्भुत करने वाली महिलाएं तो हर काल में रही है। सीता से लेकरद्रौपदी] रज़िया सुल्तान से लेकर रानी दुर्गावति] रानी लक्ष्मीबाई से लेकरइंदिरा गांधी] किरण बेदी एवं सानिया मिर्ज़ा। परन्तु महिलाओं की स्थिति मेंकितना परिवर्तन आया\ और आम महिलाओं ने परिवर्तन को किस तरह सेदेखा\
दरअसल] असल परिवर्तन तो आना चाहिए आम लोगों के जीवन में। ज़रूरतहै उनकी सोच में परिवर्तन लाने की। उन्हें बदलने की। आम महिलाओं केजीवन में परिवर्तन] उनकी स्थिति में] उनकी सोच में परिवर्तन। यही तो हैअसली empowerment।
उनके खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं। शहर असुरक्षित होते जा रहे हैं। कुछचुनिंदा घटनाओं एवं कुछ चुनिंदा लोगों की वजह से कई सारी अन्यमहिलाओं एवं लड़कियों के बाहर निकलने के दरवाजे बंद हो जाते हैं। ज़रूरतहै बंद दरवाज़े को खोलने की। रौशनी को अंदर आने देने की। प्रकाश मेंअपना प्रतिबिम्ब देखने की। उसे सुधारने की । निहारने की। निखारने की।
इसी कड़ी में एक और दरवाज़ा है आत्म निर्भरता। आर्थिक आत्म निर्भरता।
उन्हें बचपन से सिखाया जाता है कि खाना बनाना ज़रूरी है। ज़रूरत है किसिखाया जाये की कमाना भी ज़रूरी है। आर्थिक रूप से सक्षम होना भीज़रूरी है। परिवार के लिये नहीं वरन अपने लिए। पैसे से खुशियाँ नहीं आती]पर बहुत कुछ आता है जो साथ खुशियाँ लाता है। अगर शिक्षा में कुछ अंशजोड़ें जाये जो आपको किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी दे। आपकेकौशल को उपयुक्त बनाये। आपको इस लायक बनाये कि आप अपना खर्चतो वहन कर ही सकें। तभी शिक्षा के मायने सार्थक होंगे।
महिला सशक्तिकरण % बदलाव की बयार
जीवन के सभी क्षेत्रों में आज महिलाएं पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलकरकार्य कर रही है और महिला सशक्तिकरण एक बहुचर्चित मुद्दा बन चुका है।घर के अंदर या बाहर सभी जगहों पर महिलाएं अपना एक स्वतंत्र दृष्टिकोणरखती हैं और वे अपनी शिक्षा] व्यवसाय या जीवन शैली से संबंधित सभीनिर्णय स्वयं लेते हुए अपने जीवन पर तेजी से अपना नियंत्रण कायम करने मेंकामयाब हो रही हैं।
कामकाजी महिलाओं की संख्या में लगातार वृद्धि होने की वजह से महिलाओंको वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त हुई है और इस वजह से उन्हें अपने जीवन कानेतृत्व खुद करने एवं अपनी पहचान बनाने का अत्मविश्वास भी प्राप्त हुआ है।वे सफलतापूर्वक विविध व्यवसायों को अपनाकर यह साबित करने काप्रयास कर रही हैं कि वे किसी भी मामले में पुरूषों से पीछे नहीं हैं। लेकिनऐसा करते हुए भी महिलाएं अपने व्यवसाय के साथ–साथ अच्छी तरह सेअपने घर एवं परिवार के लिए प्रतिबद्धता के बीच संतुलन कायम रखने पर भीध्यान देती हैं। वे उल्लेखनीय सद्भाव के साथ आसानी से माँ] बेटी] बहन]पत्नी एवं एक सक्रिय पेशेवर जैसी कई भूमिकाएं एक साथ निभाने मेंकामयाब हो रही हैं। काम करने के समान अवसरों के साथ वे टीम वर्क कीभावना के साथ तय समय सीमा के भीतर लक्ष्य की प्राप्ति के लिएअपने–अपने व्यवसायों में पुरुष समकक्षों को हर संभव सहयोग दे रही हैं।
महिला सशक्तिकरण सिर्फ शहरी कामकाजी महिलाओं तक ही सीमित नहींहै बल्कि दूरदराज के कस्बों एवं गांवों में भी महिलाएं अपनी आवाज बुलंदकर रही हैं। वे पढ़ी–लिखी हों या ना हों] अब किसी भी मायने में अपने पुरुषसमकक्षों से पीछे नहीं रहना चाहती। अपनी सामजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमिकी परवाह किए बिना वे अपने सामाजिक एवं राजनीतिक अधिकारों कोप्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हैं और साथ ही अपनी उपस्थिति भी महसूसकरा रही हैं।
हालांकि यह भी सच है कि ज्यादातर महिलाओं को अब समाज में बड़ेभेदभाव का सामना नहीं करना पड़ता] लेकिन दुर्भाग्यवश अभी भी उनमें सेकई को विभिन्न प्रकार के भावनात्मक] शारीरिक] मानसिक और यौनउत्प्रीरणों से दो–चार होना पड़ता है और वे अक्सर बलात्कार] शोषण औरअन्य प्रकार के शारीरिक और बौद्धिक हिंसा का शिकार हो जाती हैं।
सही मायनों में महिला सशक्तिकरण तभी हो सकता है जब समाज मेंमहिलाओं के प्रति सोच में परिवर्तन लाया जा सके और उनके साथ उचितसम्मान] गरिमा] निष्पक्षता और समानता का व्यहार किया जाए। देश केज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी सामंती और मध्ययुगीन दृष्टिकोण कावर्चस्व है और वहां महिलाओं को उनकी शिक्षा] विवाह] ड्रेस कोड, व्यवसायएवं सामाजिक संबंधों इत्यादि में समानता का दर्जा नही दिया जाता हैं। हमेंउम्मीद करना चाहिए कि जल्दी ही महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रयासहमारे विशाल देश के प्रगतिशील एवं पिछड़े क्षेत्रों में भी किया जाएगा।
ग्रामीण–शहरी विभाजन% ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति शहरी क्षेत्रोंमें रहने वाली महिलाओं की तुलना में ज्यादा दयनीय है। यह सर्वविदित है किमहिलाएं पुरुषों के समकक्ष समान अधिकार से वंचित हैं और विकास केलिए महत्वपूर्ण संसाधनों के उत्पादन में भी उनका योगदान एवं भागीदारी कमहोने की वजह से वे शक्तिहीन बने रहने को मजबूर हैं। इसलिए यदि हमेंमहिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को समग्रता से प्राप्त करना है तो महिलाओंको पुरुषों के साथ सक्रिय भागीदार बनाना होगा। किसी भी समाज मेंआधुनिकीकरण के प्रयासों को सफल बनाने के लिए महिलाओं को विकासकी मुख्य धारा में शामिल करना जरूरी है। खासकर] हमें ग्रामीण समाज मेंपुरुषों के प्रति पक्षपाती हुए बिना महिलाओं एवं पुरुषों को समान अवसरउपलब्ध कराना होगा।
ऐसा संभव हो सके इसके लिए सामाजिक] आर्थिक] राजनीतिक और साथही धार्मिक] सभी मोर्चों पर महिलाओं को इस प्रकार सशक्त बनाने कीआवश्यकता है कि वे समाज का विकास करने के सभी प्रयासों में सक्रियरूप से भाग ले सकें। अगर उन्हें जीवन में सामाजिक] आर्थिक औरराजनीतिक सभी क्षेत्रों में समान अवसर प्रदान किए जाएं तो महिलाओं को सार्वजनिक रूप से सक्रिय जीवन व्यतीत करने की स्वतंत्रता प्राप्त होगी औरइससे समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन भी लाया जा सकेगा। हमें समाजमें अनुकूल वातावरण बनाने की जरूरत है ताकि महिलाएं अपने विचारों कोस्पष्ट करने में सक्षम हो सके एवं अपने कार्यक्षेत्र में भी अधिक उत्पादक बनसके। उन्हें उनके परिवार] समाज एवं देश के लिए किए जा रहे निर्णयों मेंसमान रूप से शामिल किए जाने की आवश्यकता है।
बहुत दूर है मंजिल% ग्रामीण क्षेत्रों में तो महिलाओं की स्थिति और भी बुरीहै और साथ ही अर्थव्यस्था में उनका योगदान भी नगण्य है। हालांकि वे देशकी आबादी का लगभग 50 izfr’kr है लेकिन उन्हें उनके सपनों को साकारकरने के लिए पर्याप्त अधिकार नहीं दिए गए हैं और इस वजह से उन्हें उनकीक्षमताओं का पूरा प्रदर्शन करने का मौका भी नहीं मिल पाता। इन हालातोंमें] हम यह निश्चित रूप से कह सकते हैं कि हमारा देश एक विकसित राष्ट्रतब तक नहीं बन सकता जबतक हम महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशामें सही मायनों में प्रयास ना करें। महिलाओं को सभी क्षेत्रों में विकास केसमान अवसर उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है।
परिवर्तन की ओर% महिलाओं को हर धर्म में एक विशेष दर्जा दिया गया हैउसके बावजूद सदियों से समाज में महिलाओं के खिलाफ कई बुरी प्रथाएंप्रचलन में रही हैं। लेकिन अब सकारात्मक परिवर्तन दृष्टिगोचर होना प्रारंभहो चुका है और पितृसत्तात्मक प्रणाली धीरे–धीरे समाप्ति की ओर अग्रसर है।महिलाएं अब खुद के लिए सामाजिक एवं राजनीतिक अधिकारों, जैसे किकाम करने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार] निर्णय करने का अधिकार, आदि की मांग कर रही हैं। विभिन्न सरकारों ने महिलाओं की मदद के लिएकई संवैधानिक और कानूनी अधिकार भी लागू किए हैं] ताकि महिलाएं एकसार्थक एवं उद्देश्यपूर्ण जीवन जी सकें।
अब महिलाओं की अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और इसदिशा में प्रयासरत विभिन्न गैर सरकारी संगठनों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं काअभिर्भाव इसका प्रमाण है। व्यक्तिगत स्तर पर भी महिलाएं अब दमन केबंधनों को तोड़ते हुए अपने अधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलंद कर रहीहैं।
महिला सशक्तिकरण Women Empowerment के लिए सबसे ज़रूरी हैमहिलायो का अपने ऊपर विश्वास होना ] अपने सारे डरो को तोड़ देना ] औरजीवन को एक नए तरीके से देखना]
महिलायो को हर जगह अलग अलग समस्याओ का सामना करना पढता है& इन समश्याओ का समाधान करने के लिए ज़रूरी है की महिलायो कोसबसे पहले स्कूल से ही self defend तकनीक सिखाई जाये ]मेरे पासअक्सर महिलाये एक समस्या लेकर आती है & वह है हमें आज़ादी नहीं दीजाती में जॉब करना चाहती हु पर जॉब नहीं करने दी जा रही &फिर पूरी बातकरने पर पता चलता है की उस लड़की की शादी हुई और उसका छोटा बच्चाहै उसके परिवार के सदस्य चाहते हैं की अभी वह अपने बच्चे को संभाले औरजॉब बाद में कर ले ] तो इसमें परिवार वाले क्या गलत करते हैं यह तोमहिलायो को भी समझना होगा अगर आप एक परिवार में है तो उनके हैंनिर्णय को समझने की कोशिश करनी होगी ] हर समय की हमें न्याय मिलेऐसे काम नहीं चलता ] कुछ समय पहले तक भारतीय महिलायो का नामअच्छा खान बनाने ]और अच्छी तरह घर सँभालने में ही लिया जाता था A
पर आज महिलाओं ने साबित कर दिया हैं की वो हर केवल पुरषो के बराबरही नहीं पुरषो से आगे भी है Aजो घर सँभालने के साथ साथ बाहरी दुनिया मेंभी अपना नाम कमा रही है A
क्या आप जानते हैं ! हम मात्र महिला सशक्तिकरण कि बात ही क्यों करते हैंपुरुषों कि नहीं \आखिर महिला को सशक्त बनाने कि जरूरत क्यों हैं औरपुरुष को नहीं \जबकि महिलाओं को अल्पसंख्यक नहीं माना तो उन्हेंसशक्तिकरण कि जरूरत क्यों है\
यह इसलिए है क्योंकि सदियों से समाज तथा पुरुष महिलाओं के ऊपरभेदभाव] हिंसा और बुरा वर्ताव करते आ रहा है। महिलासशक्तिकरण(Women Empowerment), महिलाओं को आगे बढ़ाने औरउन्हें स्वयं के निर्णय लेने के लिए एक बहुत ही बड़ा कदम है जिससे कि वेसमाज में व्यक्तिगत सीमाओं को दूर कर आगे बढ़ सकें और अपने विचारोंको लोगों के सामने रख सकें।