November 23, 2024

कितने क्रिएटिव हैं आप?

लेखिका डॉ. अनन्या मिश्र, आईआईएम इंदौर में सीनियर मैनेजर – कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन एवं मीडिया रिलेशन के पद पर हैं। 

एक्सपोज़ टुडे।
प्राची
 समय से ही भारत में रचनात्मकता यानिक्रिएटिविटी को आध्यात्मिकता के एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में देखा जाता रहा है भारतीय शास्त्रों की कई कहानियाँ हमारे जीवन में रचनात्मकता के महत्व पर प्रकाश डालती हैं। ऐसी ही एक कहानी है देवताओं के शिल्पी राजा विश्वकर्मा कीजो अपने रचनात्मक कौशल के लिए जाने जाते थे।

वे एक कुशल शिल्पकार थे और उन्होंने अनन्य रचनाओंका निर्माण किया। उनका मानना था कि रचनात्मकता समाज और व्यक्तियों के कल्याण के लिए आवश्यक है। अतः सृजनात्मकता हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति का अनिवार्य अंग रही है। इसे परमात्मा से जुड़ने और सार्थक तरीके से खुद को अभिव्यक्त करने के तरीके के रूप में देखा गया है। लेकिन आधुनिक समय में आध्यात्मिकता, रचनात्मकता से कैसे संबंधित है?

मेरे अनुसार यह एक आध्यात्मिक साधना हैक्योंकि जब हम रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न होते हैंतो हम प्रवाह की स्थिति में प्रवेश कर सकते हैं… स्वयं कोकिसी अद्भुत और शक्तिशाली चीज़ से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। यह एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव हो सकता है जो शांतिआनंद और तृप्ति की भावनाओं को जन्म दे सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार रचनात्मक गतिविधियां हमारे मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार कर तनावचिंता और अवसाद को कम करतीहैं

इसी प्रकार, नवाचार के लिए भी रचनात्मकता जरूरी है। वर्तमान परिदृश्य में नए विचारों और जटिल समस्याओं के समाधान के लिए रचनात्मकता की आवश्यकता है। दुनिया के कई महानतम नवाचार औरअविष्कार उन लोगों ने ही किए जिन्होंने कुछ नया सोचनेका सहस जुटाया। ऐसा ही एक उदाहरण रवींद्रनाथ टैगोर का है, पॉलीमैथ माने जाते हैं टैगोर की रचनाएँ आध्यात्मिक विषयों में डूबी है और प्रकृति के साथ उनके अनुभवों से प्रभावित हैं। इसी प्रकार संगीतकार जॉन कोलट्रैन ने अपने संगीत में आध्यात्मिकता के तत्वों को शामिल कियाऔर ‘स्पिरिचुअल जैज़‘ का निर्माणकिया

भारत ही नहीं, रचनात्मकता अलग-अलग संस्कृतियों का एक अनिवार्य हिस्सा है क्योंकि प्रत्येक संस्कृति की अपनी अनूठी कलात्मक परंपराएँ होती हैंजैसे संगीतनृत्यचित्रकला और मूर्तिकला। उदाहरण के लिएअफ्रीकी संस्कृति मेंकहानी सुनाना और संगीत परमात्मा से जुड़ने का एक तरीका माना गया है। जापान में, ‘वाबी-साबी‘ की अवधारणा – अपूर्णता की सुंदरता का जश्न मनाती है। अफ्रीका में, ‘उबंटू‘ की अवधारणा समुदाय के महत्व और सभी चीजों की संबद्धता पर जोर देती है।

रचनात्मकता के लाभों के बावजूदबहुत से लोग रचनात्मक अवरोधों यानि क्रिएटिव ब्लाक से संघर्ष करते हैं। वे नए विचारों के साथ अटके हुएउदासीन या असमर्थ महसूस कर सकते हैं। हालांकिशोध से पता चला है कि रचनात्मक अवरोधों को दूर करने के कई तरीके हैं। ब्लॉक से निकलने के लिए एक ब्रेक लें और उन गतिविधियों में संलग्न हों जो रचनात्मक कार्य से संबंधित नहीं हैं। यह दिमाग को नए सिरे से सोचने में मदद कर सकता है। किताबेंसंगीत या प्रकृतिऔर दूसरों के साथ सहयोग करने से भी यह संभव हो सकताहै। सभी बड़ी रचनाएं समाधान की खोज में हुई हैं सहयोग से स्टीव जॉब्स और स्टीव वोज्नियाक का पहला एप्पल कंप्यूटर का निर्माण उनकी रचनात्मक समस्या-समाधान और कंप्यूटिंग के लिए अद्वितीय दृष्टिकोण का परिणाम था। इंटरनेट का विकास कई व्यक्तियों के रचनात्मक सहयोग का परिणाम था जो एक ऐसी दुनिया की कल्पना करने में सक्षम थे जहां दुनिया भर में सूचनाओं को तुरंत साझा किया जा सकता था।

अब चाहे हम रचनात्मकता को एक साधना के रूप में देखें या समस्याओं को हल करने के तरीके के रूप मेंयह एक मूल्यवान उपकरण है ज हमारे लाभ के लिएहै और हमें स्वयं से और अपने आसपास की दुनिया से जुड़ने में मदद कर सकता है। रचनात्मकता को अपनाने और आध्यात्मिकता के साथ इसके संबंध की खोज करकेहम अधिक पूर्ण जीवन जी सकते हैं और दुनिया पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। तो आज आपक्या ‘क्रिएटिव’ कर रहे हैं?

Written by XT Correspondent