November 21, 2024

सीआईडी का खुलासा, इंदौर से ख़रीदी गई थी बहुचर्चित मर्डर केस में कार।

एक्सपोज़ टुडे।
मध्यप्रदेश के बहुचर्चित आत्माराम पारदी मर्डर केस के तार इंदौर से जुड़ गए है। सीआईडी की जाँच में सामने आया है की घटना में उपयोग की गई कार इंदौर से नगद रूपए देकर ख़रीदी गई। सीआईडी के आवेदन पर गुना की कोतवाली पुलिस ने 2 जनवरी 2024 को बर्खास्त एसआई सहित तत्कालीन आरटीओ मधु सिंह (वर्तमान में डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर), आरटीओ के बाबू बादाम सिंह राजौरिया के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।

लंबे समय से गुना जिले में हुआ आत्माराम पारदी हत्याकांड सुर्खियों में रहा। इस मामले की जांच कर रही सीआईडी ने एक नया खुलासा किया है। जिस गाड़ी में आत्माराम को ले जाया गया था, वो हत्या के मुख्य आरोपी और बर्खास्त सब इंस्पेक्टर (एसआई) रामवीर सिंह कुशवाह उर्फ दाऊ ने 11 लाख नकद देकर इंदौर से खरीदी थी। रामवीर सिंह ने गाड़ी का रजिस्ट्रेशन फर्जी दस्तावेज के आधार पर करवाया था।

सीआईडी के आवेदन पर गुना की कोतवाली पुलिस ने 2 जनवरी 2024 को बर्खास्त एसआई सहित तत्कालीन आरटीओ मधु सिंह (वर्तमान में डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर), आरटीओ के बाबू बादाम सिंह राजौरिया के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।

आगर मालवा में पोस्टेड रहा रामवीर आईजी ने किया बर्खास्त
हत्या का प्रकरण दर्ज होने के बाद रामवीर सिंह कुशवाह का ट्रांसफर आगर-मालवा जिले में कर दिया गया था। हत्या के प्रकरण में बयान दर्ज कराने के लिए सीआईडी लगातार नोटिस जारी करती रही, लेकिन वह हाजिर नहीं हुआ। आगर-मालवा जिले में तीन साल की पोस्टिंग में तीन दिन भी ड्यूटी पर नहीं रहा।

लगातार गैर हाजिर होने के बाद उज्जैन आईजी ने उसे सेवा से 2022 में बर्खास्त कर दिया। इससे पहले सीआईडी ने दिनेश उर्फ दीनू को गिरफ्तार किया, लेकिन उससे पूछताछ नहीं हो पाई। पूछताछ करने से पहले विवेचक ही बदल दिए गए। दीनू से पूछताछ में सीआईडी को काफी कुछ जानकारी मिली थी।

रामवीर पिछले साल से फरार है। उस पर 30 हजार का इनाम घोषित है।

•  9 जून 2015- आत्माराम अपने जीजा वीर सिंह और करीब 25 महिलाओं के साथ पार्वती नदी के परघाट गांव पर मौसी मिश्री बाई की अस्थियां विसर्जित करने गया था।

आत्माराम और उसके जीजा वीर सिंह अस्थियां विसर्जित करने पानी में उतरे, तभी धरनावदा थाने की पुलिस पहुंची।

एसआई रामवीर सिंह कुशवाह ने बगैर किसी चेतावनी के आत्माराम और वीर सिंह पर फायर किया।

आत्माराम घायल हुआ, पुलिस ने उसे पानी से निकाला तो उसकी सांसें चल रही थीं।

पुलिस उसे इलाज का कहकर नीली डस्टर कार एमपी 08 सीए 0022 से अपने साथ ले गई। उसके बाद से आत्माराम का पता नहीं चला।

दो साल बाद परिवार के लोग ग्वालियर हाईकोर्ट गए, बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई। हाई कोर्ट ने सीआईडी जांच के आदेश दिए।

सीआईडी ने 2021 में गुमशुदगी के केस को हत्या और अपहरण में दर्ज किया। इसमें मुख्य आरोपी एसआई रामवीर सहित चार लोगों को बनाया।

दो आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। एसआई रामवीर सहित एक अन्य फरार है। दोनों पर 30-30 हजार का इनाम घोषित है।

हाईकोर्ट तक गया मामला
ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश पर धरनावदा थाने की पुलिस ने आत्माराम की 2017 में गुमशुदगी दर्ज करते हुए विवेचना शुरू की। मां अप्पी बाई सहित गवाह के बयानों के बावजूद जांच अधिकारियों को हत्या की धारा बढ़ाने में चार साल लग गए। इस दौरान 12 से अधिक विवेचक बदल गए। 2021 में पुलिस ने गुमशुदगी की धारा को हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, हत्या की साजिश रचने, शव को छुपाने सहित एससी-एसटी एक्ट में प्रकरण कायम किया। हाईकोर्ट ने पुलिस की लापरवाही को देखते हुए इस मामले की जांच सीआईडी को ट्रांसफर करने का आदेश दिया।

ग्वालियर में पदस्थ डीएसपी सतीश चतुर्वेदी को इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच सौंपी गई। 2020 में प्रदेश में सत्ता बदली, तो इस केस की जांच में तेजी भी आई।सीआईडी के आवेदन पर गुना की कोतवाली पुलिस ने 2 जनवरी 2024 को बर्खास्त एसआई सहित तत्कालीन आरटीओ मधु सिंह (वर्तमान में डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर), आरटीओ के बाबू बादाम सिंह राजौरिया के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।

Written by XT Correspondent