मेरी हीरो पैशन प्रो गाड़ी (MP09-QK178) आप वेदा बिजनेस पार्क से चुरा कर ले गए हैं। आप चोरी करते हुए कैमरे में कैद हुए हैं। मेरा नाम सतीश साल्वे है। मैं एक निजी ऑफिस मे एक छोटे पद पर कर्मचारी हूं। मुझे हर महीने सिर्फ आठ हजार रुपए मिलते हैं। मैंने जिंदगी भर की कमाई से इस गाड़ी को खरीदा था। जब से मेरी गाड़ी चोरी हुई है तब से मैं सो नहीं पाया हूं। मैं बहुत दुखी हूं। मेरे पिताजी भी नहीं हैं। मेरी तीन छोटी बहनें भी हैं और पूरे परिवार का भार मुझ पर है। मैं बहुत मजबूर हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि मेरा ये मैसेज आप तक जरूर पहुंचेगा। मेरी मजबूरी समझिए चोर साहब। मेरी गाड़ी लौटा दीजिये। मैं आप को दुआ दूंगा। मैं गरीब इंसान हूं। मेरी जिंदगी भर की कमाई यह गाड़ी है। मेरा बच्चा गाड़ी पर घूमने के लिए रोता है। मैं उसे क्या जवाब दूं, जो हर रोज इस गाड़ी पर घूमता था उसने खाना भी छोड़ दिया है। और मेरे पास अब दूसरी गाड़ी खरीदने के पैसे भी नही हैं। मैं आपको हर गली मोहल्ले में ढूंढ रहा हूं। कृपा कर मेरी गाड़ी लौटा दीजिए।
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निवेदक : सतीश साल्वे
यह लेटर रियल एस्टेट सेक्टर में काम करने वाले युवक ने बाइक चोरी कर ले जाने वाले चोर के नाम सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। बाइक चोरी करता चोर सीसीटीवी कैमरों में भी कैद हो गया। घटना को चार दिन हो गए हैं, लेकिन वाहन चोर पुलिस गिरफ्त से दूर है। इससे परेशान होकर पीड़ित ने सोशल मीडिया को जरिया बनाकर चोर से अपील की है। यह लेटर उन्होंने कई ग्रुप पर वायरल किया है। फ़िलहाल भंवरकुआ पुलिस बाइक चोर की तलाश कर रही है।
मामला मूसाखेड़ी निवासी सतीश साल्वे (27) का है। वे भंवरकुआ क्षेत्र स्थित एक कंपनी में जॉब करते हैं। 4 जून को उन्होंने अपनी बाइक भंवरकुआ चौराहा स्थित वेदा बिजनेस पार्क के बेसमैंट (2) में खड़ी की थी। शाम 6.30 बजे जब वे घर जाने के लिए बाइक लेने गए तो नहीं मिली। उन्होंने दोनों बेसमैंट सहित आसपास चेक किया लेकिन नहीं मिली। इस पर उन्होंने बिल्डिंग के सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखे तो घटना का खुलासा हुआ।
कैमरों में बेसमैंट में दोपहर ढाई बजे चोर दिख रहा है। वह यहां करीब पौन घंटे रहा और आने-जाने वालों की टोह लेता रहा। इस दौरान उसने अपने पास की चाबी से कई बाइक का ताला खोलने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ। आखिरी में वह साल्वे की बाइक का ताला खोल कर बाइक ले जाने में सफल रहा। बेसमैंट में सिक्योरिटी गार्ड की ड्यूटी रहती है, लेकिन उन्हें भनक तक नहीं लगी। अगले दिन साल्वे भंवरकुआ थाने पहुंचे और रिपोर्ट दर्ज कराई।
साल्वे के परिवार में पत्नी, दो बच्चे आराध्या (7) और कृष्णा (3), मां और तीन बहनें हैं। पिता का पिछले साल निधन हो चुका है। उनका कहना है कि मेरा वेतन बहुत कम है। मैंने 2015 में बमुश्किल डाउन पेमेंट पर 70 हजार रुपए की बाइक फाइनेंस कराई थी। परिवार की पूरी जिम्मेदारी साल्वे पर है। ऐसे में अब बिना बाइक के रोज समय पर ऑफिस आना-जाना, फिर परिवार के अन्य काम भी रहते हैं जिससे अब परेशानियां बढ़ती जा रही है। साल्वे को इस बात का ज्यादा दुख है कि वे रोज सुबह-शाम अपने बच्चे को बाइक घुमाते थे। अब बच्चा रोज बाइक के लिए जिद करता है और रोता है। खाना भी नहीं खाता।