November 30, 2024

7 हजार लाख लीटर बरसात के पानी की एफडी

इंदौर। मध्यप्रदेश के सबसे बडे शहर में पानी की एक ऐसी तकनीक इस्तेमाल की जा रही है जिससे इसी साल बरसात के पानी को रोककर जमीन के भीतर उतार दिया। इस तकनीक का नाम है रुफ वाटर हार्वेस्टिंग। इस तकनीक के जरिए शहर मे अब तक 7 हजार लाख लीटर पानी जमीन के भीतर उतार कर उसकी एफडी यानी फिक्स डिपॉजिट कर दी है। अब गर्मी के दिनों में पानी की जरुरत पडने पर इस एफडी से पानी लिया जा सकेग। इंदौर में आने वाले एक साल के भीतर 50 हजार रुफ वाटर हार्वेस्टिंग लगाकर इंदौर को जल संकट से मुक्ति दिलाने की कोशिश की जा रही है।

जल शक्ति अभियान से इंदौर में सकारात्मक नतीजा देखने को मिल रहा है। यहां बरसात के दिनों में घरों की छत पर गिरने वाला पानी व्यर्थ बह जाता है। इस पानी को बचाकर बोरवेल के जरिए पानी को जमीन में उतारने की तकनीक रुफ वाटर हार्वेसिंग पर काम किया जा रहा है। बीते साल कुछ लोगों ने रुफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक इस्तेमाल की थी। इससे जिन लोगों के बोरवेल जनवरी आते सूख जाया करते थे अब जून तक पानी की कमी नहीं होती। इंदौर में नागरथ चैरिटेबल ट्रस्ट और नगर निगम मिल कर जल मित्र के जरिए रुफ वाटर हार्वेस्टिंग लगाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। अब तक इंदौर जल संकट के मामले में देश में 21 वें नंबर पर था। इंदौर में साढे 27 लाख की आबादी है। यहां हर महीने 900 एमएलडी पानी की जरुरत लगती है। फिलहाल नर्मदा से 300 एमएलडी पानी की आपूर्ति होती है। जमीन में 8 सौ से 9 सौ फीट तक पानी पंहुच गया है इसके बाद भी कहीं-कहीं जमीन में धूल उड रही है। यानी जमीन के भीतर पानी तेजी से खत्म हो रहा है।

नागरथ चैरिटेबल ट्रस्ट के डायरेक्टर सुरेश एमजी के मुताबिक यह जरुरी है कि जमीन से पानी उलचने से पहले उसमें बरसाती पानी को डिपॉजिट करें। हमारी कोशिश है कि नगर निगम और सरकार की मदद से हम अगले साल तक 50 हजार रुफ वाटर हार्वेस्टिंग लगवाएं ताकि बारिश के व्यर्थ बहने वाले पानी को रोक कर हम इंदौर शहर को ‘सेव वाटर’ में भी नंबर वन बनाएं।

एक हजार स्क्वेयर फीट के जी प्लस वन यानी एक मंजिला मकान में रुफ वाटर हार्वेस्टिंग लगाने का खर्च पांच हजार रुपए होता है। इससे एक से सवा लाख लीटर पानी सहेजा जा सकता है।

क्या है रुफ वाटर हार्वेस्टिंग-

रुफ वाटर हार्वेस्टिंग ऐसी तकनीक है जिससे घर की छत पर गिरने वाले बारिश के पानी को पाईप और फिल्टर के जरिए गुजारते हुए अपने ही घर के बोरवेल में छोडा जा सके। इससे बारिश का साफ सुथरा पानी अपने ही बोरवेल को रिचार्ज करेगा। इसमें घर की छत के पानी को पाईप से जोडा जाता है। बारवेल में छोडे जाने से पहले एक फिल्टर लगाया जाता है जो पानी को फिल्टर करता है। पहली बरसात के पानी के बाद गिरने वाले पानी को फिल्टर के जरिए बोरवेल में उतारा जा सकता है।

Written by XT Correspondent