इंदौर, द टेलीप्रिंटर। हलमा और मातानु वन जैसी समाजोपयोगी परम्पराओं को पुनर्जीवित करने के आदिवासी समाज के प्रयासों को इस साल देश के बेहतरीन पानी और पर्यावरण प्रयासों के पूरे देश में हुए काम में से पहला स्थान मिला है।
नेशनल वाटर मिशन आवार्ड 2019 जलशक्ति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा फोकस्ड एरिया में शिवगंगा समग्र ग्रामविकास परिषद को वर्ष 2019 का प्रथम पुरस्कार दिया गया।
गौरतलब है कि झाबुआ और आलीराजपुर जिलों में सक्रिय शिवगंगा संस्था हर साल हलमा और मातानु वन सहित आदिवासी परम्पराओं को फिर से ज़मीन पर ले आई है। यहाँ साल में एक दिन हजारों आदिवासी अपने परिवार के साथ बिना किसी सरकारी मदद खुद ही श्रमदान से हजारों जल संरचनाओं का निर्माण और देखरेख करते हैं। इसके तहत अपने गाँव कस्बों में तालाबों के साथ झाबुआ की हाथीपावा पहाड़ी पर भी नया जंगल खडा कर दिया गया है।
भारत सरकार जलशक्ति मंत्रालय के नेशनल वाटर इनोवेशन में संपूर्ण भारत में जल के बेहतर काम के लिये आवार्ड दिये गये जिसमें शिवगंगा ही ऐसी एकमात्र सामाजिक संस्था थी जिसे समाज के प्रयासों के लिए प्रथम पुरस्कार मिला।
दिल्ली में आयोजित अवार्ड सेरेमनी में शिवगंगा की ओर श्री राजाराम कटारा और श्री महेश शर्मा ने अवार्ड और सर्टिफिकेट ग्रहण किया।
अन्य पुरस्कार पानेवालों में आन्ध्र, राजस्थान, पंजाब, तेलंगाना की राज्य सरकारें हैं।जबकि झाबुआ और अलीराजपुर जिले के आदिवासी समाज को पहला स्थान मिला।
जल के अभाव की विश्वव्यापी समस्या के कारण इस मिशन के अंतर्राष्ट्रीय प्रमुख भागीदारों में भारत सरकार के साथ जापान, जर्मनी, यूरोपिय यूनियन हैं।
पुरस्कार विजेताओं को देश भर से प्रविष्टियों में से एक समूह से चुना गया था, जो जल संसाधन मंत्रालय, आरडी एण्ड जी. आर. के पूर्व सचिव, शशि शेखर की अध्यक्षता में प्रख्यात पैनलिस्टों की एक जूरी ने किया गया था।