April 16, 2025

तंत्र क्रियाओं के लिए प्रसिद्ध बगलामुखी पीठ पर देश-दुनिया के भक्तों का ताँता

आगर-मालवा। इस समय पूरा देश नवरात्री के जश्न में डूबा हुआ है। इन दिनों बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के मंदिर पहुँच रहे हैं। आगर-मालवा जिले में माता बगलामुखी का ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है जहाँ नवरात्री में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँच रहे हैं। क्षेत्र की आस्था का केंद्र माता बगलामुखी के मंदिर में लोगों की गहरी आस्था हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास हैं कि यहाँ दर्शन मात्र से ही कष्टों का निवारण हो जाता है। यहाँ आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। यहां प्रतिवर्ष देश-विदेश से लाखों भक्त दर्शन करने के लिए पहुँचते हैं।

आगर मालवा जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर नलखेडा में लखुंदर नदी के तट पर पूर्वी दिशा में विराजमान माँ बगलामुखी की प्रसिद्ध ऐसी है कि दूर-दूर से भक्त यहाँ खींचे चले आते हैं। पूरे विश्व में माँ बगलामुखी की पावन मूर्ति केवल तीन स्थानों पर विराजित है नेपाल में, मध्य प्रदेश के दतिया में और नलखेडा में। नेपाल और दतिया में 1008 आदि शंकराचार्य जी द्वारा माँ की प्रतिमा स्थापित की गयी थी जबकि नलखेडा में पीताम्बर रूप में शाश्वत काल से विराजित है। इस धार्मिक स्थल पर माँ बगलामुखी के एक ओर धन दायिनी महा लक्ष्मी और दूसरी तरफ विद्या दायिनी महा सरस्वती विराजित है। माँ बगलामुखी की उपासना से श्रद्धालुओं को शक्ति के साथ धन और विद्या की प्राप्ति भी होती है।

वैसे माँ बगलामुखी की इस विचित्र और चमत्कारी मूर्ति की स्थापना का कोई एतिहासिक प्रमाण नही मिलता है। मान्यता है कि यहाँ स्थापित मूर्ती स्वयं सिद्ध स्थापित है और करीब पांच हजार साल से भी पहले से स्थापित है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि महाभारत काल में जब पांडवों पर विपत्ति आई थी तो भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें माँ बगलामुखी के इस स्थान की उपासना करने करने के लिए कहा था। उस समय माता की मूर्ती चबूतरे पर विराजित थी। पांडवो ने इस त्रिगुण शक्ति स्वरूप की आराधना कर विपत्तियों से मुक्ति पाई और अपना खोया हुआ राज्य वापस पा लिया।

माता बगलामुखी मन्दिर में स्थापित प्रतिमा पीताम्बर स्वरूप में हैं। इसलिए यहाँ माता को पीले रंग की सामग्री चढ़ाई जाती हैं। जैसे पीला कपड़ा, पीली चुनरी, पीला प्रसाद, पीले फूल, आदि। माता के मंदिर में पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए स्वस्तिक बनाने का प्रचलन है। मंदिर परिसर में हवन कुण्ड है जिसमे आम और खास सभी भक्त आहुति देते हैं। नवरात्र के दौरान हवन की क्रियाओं को संपन्न कराने का विशेष महत्व है।

माता बगलामुखी मन्दिर के उत्तर में भैरव महाराज का स्थान, पूर्व में हनुमान जी की प्रतिमा, हनुमान जी के पीछे चंपा नीम और बिल्व पत्र के पेड़ों की एक साथ मौजूदगी, दक्षिण भाग में राधा कृष्ण का प्राचीन मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर के पास ही भगवान शंकर, माता पार्वती और नंदी की स्थापना है। मंदिर परिसर में संत महात्माओं की सत्रह समाधियाँ और उनकी चरण पादुका है। गर्भगृह के ठीक सामने कच्छप की मूर्ति इस बात का प्रमाण है की प्राचीन काल में यहाँ बलि दी जाती रही होगी। मूल मंदिर के दक्षिण में बाहर की तरफ एक शिव मंदिर बना हुआ है जो पहले मठ के रूप में था। मंदिर के सामने बाहर सूर्यमुखी हनुमान मंदिर पर चल रहा अखंड रामायण पाठ आस्था की डोर को मजबूती प्रदान कर रहा है। मंदिर के चारों दिशाओं शमशान की मौजूदगी तंत्र क्रियाओं आभास कराती है।

माता के इस मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। यहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिजनों के अलावा, कई केंद्रीय मंत्री, कई दिग्गज नेता, कई अभिनेता व अभिनेत्रियां आकर माता के दरबार में माथा टेक चुके हैं। खासकर चुनाव के समय यहाँ बड़ी संख्या में नेता माता का आशीर्वाद लेने के लिए पहुँचते हैं।

नारात्रि में यहाँ पर स्थानीय समिति द्वारा भंडारा किया जाता है। जिसमें रोजाना हजारों लोग भोजन ग्रहण करते हैं।

Written by XT Correspondent