गौतमपुरा। द टेलीप्रिंटर। जलते हुए अग्निबाण फेंकने का यह दृश्य किसी पुरातन काल के युद्ध की यादें ताजा करता है। दीवाली के दूसरे दिन इंदौर के पास गौतमपुरा में ऐसा युद्ध हर साल देखा जाता है। पंरपरा के नाम पर लडा जाने वाला हिंगोट युद्ध तुर्रा औक कलंगी टीमों के बीच खेला जाता है। इस बार इस युद्ध में 25 से ज्यादा लोग जख्मी हुए।
दीवाली के दूसरे दिन पड़वा पर गौतमपुरा के इस मैदान में बरसों से हिंगोट युद्ध की परंपरा चली आ रही है। इसमें दो अलग-अलग गाँवों की टीमें हिस्सा लेती है। युद्ध के लिए 15 दिन पहले से ही अग्निबाण बनाए जाने की तैयारी की जाती है। इलाके में हिंगोरिया नामक पेड़ पर लगने वाले फल हिंगोट की खोल में बारुद भर कर राकेट की तरह पटाखा तैयार किया जाता है। शाम ढलते ही साफे बांध कर योद्धा युद्ध मैदान में पंहुचने लगते हैं। इनके झोले में हिंगोट भरे होते हैं। हाथों में ढाल होती है। देनवारायण भगवान के दर्शन के बाद युद्ध का आगाज होता है। दोनों दल एक दूसरे के उपर जलते हुए हिंगोट फेंकते हैं। इसमें कई लोग बूरी तरह जख्मी हो जाते हैं। इस रोमांचकारी युद्ध को देखने के लिए आसपास के इलाके से कई लोग यहां पंहुचते हैं। प्रशासन इसकी खास तौर पर तैयारी करता है। दर्शकों के लिए जाली वाली बेरिकेटिंग की जाती है।
यह परंपरा कितने सालों से निभाई जा रही है किसी को पता नहीं है। सरकारी अस्पताल के कर्मचारी और डॉक्टर मौके पर ही तैनात एंबुलेंस में जख्मी लोगों का इलाज करते हैं। यह नाजारा देखने के लिए इलाके के विधायक और सांसद भी यहां आते हैं। जिला प्रशासन और पुलिस भी आयोजन के बंदोबस्त के लिए तैनात होती है।