November 24, 2024

सात दशक से शहर में मौजूद है महात्मा गांधी का भस्म कलश

जगदलपुर। महात्मा गाँधी का भस्म कलश पिछले 71 वर्षों से जगदलपुर में दबा हुआ है। लेकिन हैरानी की बात है कि बस्तर की 95 फीसदी आबादी इस महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक स्थल से अनभिज्ञ है। वहीँ प्रशासन भी लगातार इस ऐतिहासिक स्थल की उपेक्षा करता आ रहा है। गांधीवादी लोग लंबे समय से इस स्थान को बापू स्मारक के रूप में विकसित करने की मांग कर रहे हैं।

दरअसल साल 1948 में महात्मा गांधी की शहादत के बाद उनकी चिता की राख को सैकड़ों कलशों में भरकर देश के विभिन्न हिस्सों में भिजवाया गया। ताकि लोग बापू के भस्म कलश का दर्शन कर पुष्पांजलि अर्पित कर सकें। ऐसे ही एक कलश को बस्तर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिलख नारायण अग्रवाल दिल्ली से जगदलपुर लाए थे। इस कलश को जगदलपुर के गोल बाजार पर दर्शन के लिए रखा गया था। हालाँकि इस कलश को इंद्रावती में विसर्जित करने की बजाय गोल बाजार में ही गड्ढा खोदकर दबा दिया गया। इसके ऊपर झंडा चौरा बना दिया गया।

पिछले 71 सालों से भस्म कलश गोल बाजार में झंडा चौराहा के नीचे दबा हुआ है। लेकिन बस्तर की 95 फीसदी आबादी को इसके बारे में पता ही नहीं है। हर साल गांधी जयंती, शहीद दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर बस्तर में माता रुक्मिणी आश्रम के संस्थापक पद्मश्री विभूषित धर्मपाल सैनी, आश्रम की छात्राएं व कई गांधीवादी यहां पहुंचते हैं। सबसे पहले यहाँ सामुहिक रुप से साफ-सफाई करते हैं। इसके बाद झंडा चौरा में बापू को पुष्पांजलि के बाद शांति-पाठ व भजन कर लौट जाते हैं।

नगर निगम जगदलपुर ने इस स्थान पर गांधी उद्यान जरुर विकसित किया लेकिन क्षेत्र के व्यापारियों ने इसे पार्किंग स्थल बना रखा है। सेनानी परिवार के सदस्यों व गांधीवादियों की पन्द्रह साल पुरानी मांग है कि इस स्थल को बापू स्मारक के रूप में विकसित किया जाए ताकि नई पीढ़ी बापू के कर्म-धर्म से रूबरू हो सके। लेकिन यह स्थल अब तक उपेक्षा का शिकार हो रहा है। बता दे कि पूरे देश में सिर्फ दो स्थान ही ऐसे हैं जहाँ पर बापू का भस्म कलश अभी भी जमीन में दबा हुआ है। एक बस्तर के जिला मुख्यालय जगदलपुर के गोल बाजार में और दूसरा मध्य प्रदेश के धार जिला में नर्मदा नदी के किनारे धर्मपुर नामक स्थान पर।

Written by XT Correspondent