धार। पाँचवी और आठवीं में पढ़ने वाली दो छोटी बच्चियों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर अपने साथ हो रहे भेदभाव की शिकायत की है। उन्होंने चिट्ठी में अपनी पीड़ा बयान करते हुए कहा है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे और यहाँ का स्टाफ नेपाली कहकर चिढ़ाते हैं। जब इसकी शिकायत स्कूल प्रबन्धन से की तो उन्होंने इस मामले में कार्यवाही करने के बजाए दोनों छात्राओं को स्कूल से ही निकाल दिया। जिला शिक्षा अधिकारी का दावा है कि इस तरह किसी मित्र देश के विद्यार्थी से भेदभाव कर उसे स्कूल से निकाल देना ग़लत है।
यह मामला धार के प्रतिष्ठित ऐमिनेंट पब्लिक स्कूल का है। स्कूल में दो नेपाली बहनें अवनिशा खड़का आठवीं में और अनुष्का पाँचवी में पढ़ती हैं। वे इसी स्कूल में नर्सरी से लगातार पढ़ती आ रही हैं। लेकिन यहाँ सहपाठी बच्चों और शिक्षकों ने उनके साथ कभी अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है। उन्हें नेपाली-नेपाली कहकर चिढ़ाया जाता है।
उनके माता-पिता ने जब इस बात की शिकायत सम्बंधित शिक्षकों से की तो उनके बीच विवाद हो गया। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने दोनो बच्चियों को स्कूल से बाहर का रास्ता दिखाते हुए कूरियर से ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) भेज दी। स्कूल प्रबंधन ने टीसी में लिखा कि बच्चियों के परिजन का व्यवहार अच्छा नहीं है। आख़िरकार बच्चियों ने परेशान होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है। उन्होने जिला शिक्षा अधिकारी को भी इस पूरे मामले की शिकायत की है।
मामले के तूल पकड़ने के बाद स्कूल प्रबंधन अब बच्चियों के माता-पिता पर ही अभद्र व्यहार करने का आरोप लगा रहा है। ऐमिनेंट पब्लिक स्कूल के प्राचार्य डॉ पी भुवनेंद्रम ने छात्राओं के पेरेंट्स पर ही अभद्रता करने के आरोप लगाये है। उन्होने अब छात्राओं को दोबारा प्रवेश देने से भी इंकार कर दिया है।
बच्चियों के पिता सरोज खड़का बताते हैं कि बच्चियों के साथ नेपाली होने के कारण स्कूल में भेदभाव किया जाता है। उनसे स्कूल प्रबन्धन ने माफीनामा भी लिखवाया है।
धार के जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास का साफ कहना है कि ऐसे मामलो में कोई भी स्कूल विद्यार्थियों को टीसी देकर निकाल नहीं सकता। वे इस मामले की जाँच करवाने और छात्राओं को न्याय दिलाने का भरोसा दे रहे हैं।
एक तरफ़ सरकारे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के दावे कर रही है तो दूसरी तरफ निजी स्कूलों में ऐसी मनमानी से सरकार की इस मंशा को पलीता लग रहा है।
इस मामले ने नेपाली बच्चो से हो रहे भेदभाव को भी उजागर कर दिया है। मित्र देश होने तथा इसकी बड़ी आबादी भारत में रहने के बावजूद इस तरह का भेदभाव उचित नहीं है। इस मामले में पीएम मोदी भी कोई बड़ी कार्यवाही कर सकते हैं ताकि इन नेपाली बच्चियों को न्याय मिल सके और नेपालियों को भी भारत में असहजता महसूस न हो।