आगर। आप यह जानकार चौंक जाएँगे कि आगर की एक अदालत में खुद भगवान शिव को वकील का रूप धरकर केस लड़ना पड़ा।आज भी इस अनन्य भक्त वकील साहब की प्रतिमा मंदिर के प्रांगण में लगी हुई है।
हुआ कुछ यूँ था कि आगर के रहने वाले एक वकील भगवान शिव के भक्त थे। वह प्रतिदिन भगवान शिव के मंदिर जाकर उनकी उपासना करते थे। एक दिन वकील साहब भगवान की भक्ति में इतना खो गए कि न्यायालय जाना ही भूल गए। उस दिन उनका वहाँ पहुँचना ज़रूरी था। आखिरकार अपने वकील भक्त की जगह भगवान खुद कोर्ट पहुंचें और केस लड़कर अपने पक्षकार को बाइज्जत बरी करवाया।
दंतकथाओं में मशहूर यह किस्सा है मध्यप्रदेश के आगर-मालवा क्षेत्र में बाणगंगा नदी के किनारे बसे भगवान शिव के धाम बैजनाथ मंदिर का। कोटा-इंदौर हाइवे पर बना यह आकर्षक मंदिर हर किसी का मन हर लेता है।
मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। ख़ास बात यह है कि भगवान शिव के इस ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था। यह अंग्रेजों द्वारा बनाया गया भारत का एक मात्र शिव मंदिर है।
अंग्रेजों ने इस मंदिर का निर्माण क्यों करवाया, इसके पीछे भी एक ख़ास कहानी है। दरअसल अंग्रेजों के जमाने में आगर-मालवा में छावनी हुआ करती थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान यहाँ कर्नल मार्टिन की कमांड थी। कर्नल मार्टिन उन दिनों द्वितीय विश्वयुद्ध लड़ने के लिए अपनी सेना के जवानों के साथ काबुल गए हुए थे। कई दिनों तक कर्नल मार्टिन की कोई खबर नही मिलने से उनकी पत्नी काफी परेशान थी।
एक दिन मार्टिन की पत्नी जब इस रास्ते से गुजर रही थी तो उसने 3-4 साधु नुमा लोगों को शिव पिंडी को दूध दही से मलते और फिर शुद्ध जल से स्नान कराते देखा। अंग्रेज महिला ने जिज्ञासावश उनसे पूछा कि ऐसा करने से क्या लाभ होता है। इस पर पंडितों ने बताया कि भगवान शंकर का अभिषेक कराने से मनमांगी इच्छा पूरी होती है। पंडितों की बात सुन अंग्रेज महिला ने भगवान से प्रार्थना की कि मेरे पति विश्वयुद्ध में गए हैं। अगर वह सुरक्षित वापस आते हैं तो मैं न सिर्फ अभिषेक करूंगी बल्कि मंदिर का निर्माण भी करवाऊँगी।
प्रार्थना करने के कुछ दिन बाद ही कर्नल मार्टिन का पत्र आ गया और फिर वे ख़ुद भी सकुशल आगर-मालवा लौट आये। यहाँ आकर कर्नल मार्टिन ने युद्ध भूमि में बड़ी -बड़ी दाढ़ी- मूँछों वाले एक व्यक्ति के बारे में बताया जिसने हाथों में त्रिशूल लेकर हमारी बहुत रक्षा की और मेरे प्राण भी बच सके। मार्टिन की पत्नी तुरंत समझ गई कि वह भगवान शिव का चमत्कार है। उन्होंने भगवान शिव का अभिषेक किया और कर्नल मार्टिन ने रियासतों ओर जागीरदारों के सहयोग से यहाँ भगवान शिव के मंदिर का निर्माण करवाया।
मंदिर से एक अन्य चमत्कारिक कथा के अनुसार वर्ष 1929 में उस समय ग्वालियर स्टेट के अंतर्गत आने वाले इस इलाके में गिने-चुने वकील हुआ करते थे। इनमें से एक थे आगर-मालवा के जयनारायण। उन्हें लोग जयनारायण बापजी के नाम से बुलाया करते थे। बापजी भगवान शंकर के अनन्य भक्त थे। वे रोजाना मंदिर आ कर भगवान की भक्ति करते थे। चाहे कुछ भी हो बापजी नियमित यहां आकर भगवान की भक्ति में समय गुजारा करते थे।
एक दिन बापजी भगवान की भक्ति में इतना लीन हो गए कि वह कोर्ट जाना ही भूल गए।लोग उन्हें देख कर आश्चर्य प्रकट कर रहे थे कि आज वकील साहब यहां भक्ति में इतने मग्न है कि न्यायालय नही जा रहे है। कुछ समय बात जब बापजी का ध्यान भंग हुआ तो उन्हें याद आया कि आज मेरी महत्वपूर्ण पेशी थी।
बापजी दौड़े-दौड़े न्यायालय गए मगर उसके पहले ही पक्षकार मिला। पक्षकार वकील साहब को धन्यवाद देने लगा। बापजी हैरान थे कि वे तो बैजनाथ से आ रहे हैं।फिर वे न्यायालय पहुँचे। तत्कालिन जज श्री खान से बात की तो उन्हें यह जानकर हैरानी हुई कि जयनारायण जी ने खुद कुछ देर पहले यहां पैरवी की, पक्षकार को बरी करवाया और फाइल पर हस्ताक्षर भी किये।
इस घटना के बाद बापजी ने उसी दिन वकालत छोड़ दी. उन्होंने महसूस किया कि जब मेरी जगह भगवान ने पैरवी कर ली तो अब क्या वकालत करना. ये बात जब लोगो को पता चली कि जब वकील साहब मंदिर में आराधना कर रहे थे, ऐसे में उनकी जगह कौन न्यायालय में वकील साहब का रूप धरकर केस लड़ा और हस्ताक्षर कर गया। भगवान शंकर के चमत्कार की इस घटना की चर्चा इलाके में आग की तरह फैल गई।
बाद में साल 1997 में बापजी के मकान में भीषण आग लग गई। इसमें सारा मकान जलकर खाक हो गया, लेकिन उसमें भी वकील साहब का सामान जिसमे उनकी वह केस डायरी और आलमारी पूरी तरह सुरक्षित रह गई।
अंग्रेजों द्वारा बनाये और वकील साहब वाली घटना के बाद कई सालों से यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है। बैजनाथ महादेव मंदिर से श्रावण के अंतिम सोमवार को भव्य सवारी निकलती है. इसमें आगर-मालवा जिले के लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। इसमें 1 लाख से अधिक लोगो को भोजन प्रसादी वितरित की जाती है।लाखों श्रद्धालु यहाँ अपनी मनोकामनाएँ लेकर आते हैं।
भगवान का श्रावण मास में फूलों से श्रृंगार किया जाता हैं। महिलाएँ कलश भरकर भगवान का पूजन अर्चन करती हैं। पुजारी भगवान शंकर का पंचामृत से अभिषेक करते हैं।वकील साहब की घटना के समय से ही मंदिर में अखंड रामायण-परायण का पाठ किया जा रहा है। यहाँ अखंड ज्योत भी तभी से जल रही है।