नरसिंहपुर। चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे से निगरानी, डिजिटल क्लास रूम, एलसीडी स्क्रीन से शिक्षण और स्किल डेवलपमेंट आधारित व्यावसायिक शिक्षा यह नजारा किसी महंगे निजी संस्थान का नहीं बल्कि प्रदेश के एक सरकारी स्कूल का है। सरकारी स्कूलों का नाम सुनते ही हमारे जेहन में जर्जर भवन, अंधेरे बदबूदार कमरे और लचर शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर उभर आती है। लेकिन प्रदेश का एक सरकारी स्कूल इतना हाईटेक है कि महंगे निजी विद्यालय भी इसकी बराबरी न कर पाए। स्मार्ट क्लास, सीसीटीवी से लैस पूरा स्कूल, प्रोजेक्टर और एलसीडी द्वारा अध्यापन यहाँ की खासियत है। स्कूल में तकनीकी और व्यावसायिक शैक्षणिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि स्कूल से निकलकर बच्चों को रोजगार के लिए भटकना न पड़े।
यह स्मार्ट डिजिटल स्कूल नरसिंहपुर जिले के आखिरी छोर एक दूरस्थ ग्राम सिमरिया में स्थित है। यह स्कूल भले ही शिक्षा विभाग के अधीन हो लेकिन स्कूल शिक्षकों की इक्षाशक्ति और जनभागीदारी से स्कूल का यह कायाकल्प हुआ है। इस सरकारी स्कूल की शिक्षा का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि आसपास के 15 गांव में इस स्कूल की वजह से कोई प्राइवेट स्कूल नहीं खुल सका है।
यहाँ स्कूली शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा भी दी जाती है। स्कूल के शिक्षक बताते है कि स्कूल में हमने वह सारी व्यवस्था की है जिससे बच्चे यहीं से अपने सुनहरे भविष्य की नीव रख सके। मेडिकल के क्षेत्र में जाने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए यहाँ अलग सेंटर बनाया गया है। जो बच्चे सैनिक बनना चाहते है या खेल में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं उनके लिए यहाँ जिम से लेकर स्पोर्ट्स की अनेकों सुविधाएं उपलब्ध है। कंप्यूटर में रूचि रखने वाले विद्यार्थियों को कंप्यूटर लैब में सॉफ्टवेयर हार्डवेयर संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता है।
स्कूल में डिजिटलाइजेशन आधारित पद्धति से स्कूली शिक्षा दी जाती है। कभी प्रोजेक्टर के माध्यम से तो कभी एलईडी स्क्रीन के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है। स्कूल में शिक्षा के साथ-साथ पर्यावरण और स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। चाहे आरो फिल्टर वाटर हो या फिर व्यवस्थित शौचालय। स्कूल के चारों ओर हरियाली छाई रहती है। अलग से खेल मैदान बनाया गया है।
एक बड़े परिसर में सामूहिक प्रार्थना स्थल बनाया गया है जहाँ पर सांस्कृतिक गतिविधियां भी समय-समय पर आयोजित की जाती हैं। पूरा स्कूल सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रहता है। बच्चे यहाँ खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। स्कूल के छात्र छात्राएं बताते है कि ऐसा सरकारी स्कूल पूरे प्रदेश में कही नहीं जैसा हमारा सिमरिया गांव का यह स्कूल है।
इस स्कूल को डिजिटल और अत्याधुनिक तकनीक से लैस करने में सबसे अहम किरदार निभाया स्कूल के ही एक शिक्षक नारायण गुप्ता ने। कभी इसी स्कूल में पढ़ाई करने वाले शिक्षक नारायण की जब 2012 में यहाँ पदस्थापना हुई तो स्कूल खपरैल की छप्पर की हालत में था। स्कूल का कायाकल्प करने के लिए सबसे पहले भवन बनवाए फिर दो मंजिला इमारत। स्कूल को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करने के लिए उन्होंने गांव के लोगों को जागृत किया। नारायण ने जनभागीदारी के माध्यम से धनराशि जुटाई और हर वो चीज लेकर आए जिससे इसे अत्याधुनिक स्मार्ट स्कूल के रूप में पहचान मिली। नारायण ने स्कूल में एनसीसी बटालियन कोर बनाया, जिम की स्थापना की, खेल के विशेष इंतजाम किए जिसकी बदौलत आज स्कूल के नौ छात्र आर्मी में शामिल होकर देश की सेवा कर रहे हैं।
नारायण ने बताया कि जो छात्र-छात्राएं मेडिकल क्षेत्र या तकनीकी ज्ञान के क्षेत्र में जाना चाहते हैं उन्हें यहाँ उसकी प्रारम्भिक शिक्षा दी जाती है। इससे छात्र-छात्राएं स्कूली शिक्षा के बाद ही अपने स्वरोजगार के लिए अगला कदम बढ़ा सकते हैं। पहली से लेकर 12वीं तक पूर्णत शिक्षण कार्य डिजिटल तकनीक के माध्यम से कराया जाता है। सुरक्षा की दृष्टि से प्रत्येक क्लासरूम और पूरे स्कूल परिसर को सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रखा जाता है। इस सरकारी स्कूल की खूबियों की वजह से आसपास के 15 से 20 गांव के बच्चे यहां पर अध्ययन करने आते हैं। इन क्षेत्रों में कहीं भी एक भी प्राइवेट स्कूल संचालित नहीं है।