उमरिया। मप्र में जब से कांग्रेस की सरकार आई है तब से केंद्रीय मदों से मिलने वाले बजट में कटौती लगातार जारी है। इस बीच अब केंद्र सरकार बाघ संरक्षण को लेकर मिलने वाले बजट को भी रोक दिया है। मामला बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र का है। पिछले 6 महीनों से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने हर साल बाघों के संरक्षण में मिलने वाले बजट को जारी नहीं किया। जिससे बाघों की दवाईयों और सुरक्षा में खर्च होने वाली राशि के लिए दिक्कतों का सामना बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अधिकारियों को करना पड़ रहा है। 8 सालों बाद मध्यप्रदेश को टाईगर स्टेट का दर्जा प्राप्त हुआ, जिसमें बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का अहम योगदान रहा है। देश भर के टाइगर रिजर्वो में गणना में पाये गये बाघों में बांधवगढ़ ने पहला स्थान हासिल किया इसके बाद भी बजट देने में आनाकानी की जा रही है।
छ महीने से पत्राचार जारी लेकिन नहीं दिया बजट
अप्रैल से लेकर सितम्बर तक पार्क के अधिकारी एनटीसीए से पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन बजट आवंटन केन्द्र के द्वारा नहीं किया जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो बाघों के संरक्षण के लिए आने वाला समय बांधवगढ़ में घातक साबित हो सकता है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए प्रोजेक्ट टाइगर (बाघ बचाव परियोजना) के तहत बांधवगढ़ पार्क से एनटीसीए को निर्धारित प्रारूप में बजट आवंटन करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन अप्रैल से लेकर सितम्बर तक राशि उपलब्ध नहीं हो सकी। टाइगर रिजर्व क्षेत्रमें बाघों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के द्वारा हर साल राशि उपलब्ध कराई जाती है।
बांधवगढ़ का पहला स्थान
बांधवगढ़ बाघों की संख्या में देश के टाइगर रिजर्वो में पहले स्थान पर है। इसके बाद भी एनटीसीए ने अभी तक आवंटन जारी नहीं किया। पहले यह बजट पार्क को प्रस्ताव भेजने के 1 से 2 माह के भीतर मिल जाता था, लेकिन अबकी बार एनटीसीए ने बजट जारी नहीं किया, कई पत्राचार के बाद भी अभी भी दिल्ली में बजट अटका हुआ है।