राजगढ़। मध्यप्रदेश में एक स्थान ऐसा है जहाँ दिवाली के बाद गाय और इंसानों के बीच खतरे भरी जंग होती है। इसमें इंसान विशेष गंध वाले पौधे को पाडे के चमडा में गांठ कर उसे गाय के पास ले जाता है। गाय कभी उससे दूर भागती है तो कभी उसे जोर से मारती है। वर्षो से चली आ रही इस परम्परा को ग्रामीण पूरी श्रद्धा और उत्साह से मनाते हैं।
क्या होता है छोड़ा
दरअसल मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के सुल्तानिया गांव में दिवाली के अगले दिन छोड़ा नाम की दिलचस्प परम्परा का निभाई जाती है। मान्यता है कि प्राचीन काल में यह उत्सव भगवान देवनारायण और अन्य देवी देवताओं द्वारा खेला गया था। इस खेल की मान्यता है कि इससे क्षेत्र में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। अमावस्या की रात ग्रामीण सभी देवी-देवताओं को अपने घरों में पूजते हैं और अगले दिन गाँव में घुमाते हैं। इसे छोड़ा उत्सव कहते हैं।
कैसे मनाते हैं छोड़ा
छोड़ा मनाने के लिए सबसे पहले दोना नामक पौधे को पांडे के चमड़े में बांधकर देवी देवताओं के मंदिर ले जाकर उसे शुद्ध किया जाता है क्योंकि चमड़ा अपवित्र होता है। इससे गाय नफरत करती है। जब इस छोड़े को गाय के पास ले जाते हैं तो गाय उसे अपने सींगों से जोर से मारती है।
छोड़ा उत्सव गाँव में सालों से चला आ रहा है। इसे देखने के लिए दूरदराज के हजारों की तादात में लोग देखने आते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस खेल को हमारे पूर्वजों ने भी खेला हैं। अब हम सभी मिलकर खेला रहे हैं। इसमें सभी ग्रामीण युवाओं का सहयोग रहता है।