September 23, 2024

मनी लॉंडरिंग एक्ट के कारण भगोड़े लोगों से ₹18 हजार करोड़ लेकर बैंकों को लौटाए गए।

एक्सपोज़ टुडे।

प्रीवेन्शन ऑफ़ मनी लॉंडरिंग ऐक्ट, ब्लैक मनी और बेनामी क़ानून के कारण विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे भगोड़े लोगों से ₹18 हजार करोड़ लेकर बैंकों को लौटाए गए और अब भी करीब 67000 करोड़ रुपए के सैंकड़ों केस सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
यह बात सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट सीए अश्विनी तनेजा ने टैक्स प्रेक्टिशनर्स एसोसिएशन इंदौर एवं इंदौर सीए शाखा के संयुक्त तत्वावधान में प्रीवेन्शन ऑफ़ मनी लॉंडरिंग ऐक्ट, ब्लैक मनी और बेनामी क़ानून पर कार्यशाला में कही।

उन्होंने पीएमएलए की जरूरत बताते हुए कहा कि ईडी कानून के अंतर्गत 4, 700 केसों की जाँच कर रही है। मात्र पाँच सालों में इस कानून के अंतर्गत 2, 086 केस दर्ज हुए हैं। इस कानून का उद्देश्य काले धन को सफेद में बदलने वाली प्रक्रिया जिसे मनी लॉन्ड्रिंग कहते हैं, उससे लड़ना है। हमने भले ही मोदी सरकार के आने के बाद इस कानून को लेकर मीडिया में ज्यादा खबरें पढ़ीं। कभी मेहूल चोकसी, नीरव मोदी, विजय माल्या केस में तो कभी महाराष्ट्र के 100 करोड़ वसूली केस में। लेकिन हकीकत ये है कि ये कानून हाल फिलहाल में भारत में अस्तित्व में नहीं आया है। इसकी नींव भारत में 20 साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान पड़ी थी, जिसके बाद इसके तहत अब तक इस मामले में 313 गिरफ्तारियाँ हो चुकी हैं।
ये आँकड़ा अन्य देशों में रजिस्टर होने वाले प्रति वर्ष केसों से बहुत कम है। लेकिन इसकी जरूरत और इसमें हुए संशोधनों की आवश्यता भारत में कम नहीं है। सबसे पहले भारत में मनी लॉन्ड्रिंग कानून, 2002 में अधिनियमित किया गया था, लेकिन इसके बाद इसमें 3 बार संशोधन (2005, 2009 और 2012) हुए। आखिरी संशोधन साल 2012 में हुआ था। जिसमें अपराधों की लिस्ट में धन को छुपाना, अधिग्रहण, कब्ज़ा और धन का आपराधिक कामों में उपयोग करना शामिल था।
धन शोधन कानून के तहत अगर कोई अपराधी पाया जाता है तो उसे कम से कम 3 साल की जेल जिसे 7 साल भी बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा अपराध की प्रवृत्ति देखते हुए इसमें जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। इस कानून का उद्देश्य यही है कि केंद्रीय एजेंसी मनी लॉन्ड्रिंग करने वाले लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई कर सकें और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे प्राप्त संपत्ति को जब्त कर सकें।
सीए अश्विनी तनेजा ने कहा कि अब आयकर में सर्च सर्वे में सरेंडर बहुत सोच समझकर करना चाहिए क्योंकि यह सरेंडर सिर्फ़ आयकर से ही इम्प्यूनिटी प्रदान करेगा। लेकिन अब यह सरेंडर करदाता को अन्य क़ानून जैसे पीएमएलए, बेनामी, ब्लैक मनी ऐक्ट इत्यादि में फँसा सकता है।
सीए तनेजा ने कहा कि इन क़ानूनों में लिमिटेशन एक्ट नहीं लगता है उसने पिछले किसी भी समय से आगे के किसी भी सालों में ऐसे केस खोले का सकते हैं। अतः इन ऐक्ट में कोई भी अपराध भविष्य में कभी भी राडार पर आ सकते हैं।

इस अवसर पर इंदौर से पहली बार इनकम टैक्स ट्रायब्यूनल में लेखा सदस्य के रूप में नियुक्त होने पर सीए गिरीश अग्रवाल का सम्मान किया गया। उन्होंने अपने उधबोधन में भावुक होते हुए सभी सदस्यों को धन्यवाद प्रेषित किया।
स्वागत भाषण टीपीए प्रेसिडेंट सीए शैलेंद्र सोलंकी एवं इंदौर सीए शाखा के चेयरमेन सीए आनंद जैन ने दिया।
सेमिनार का संचालन इंदौर सीए शाखा के सचिव सीए रजत धानुका ने किया। धन्यवाद अभिभाषण टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने दिया। मोडरेशन सीए हितेश चिमनानी में किया।
इस अवसर पर आईसीएआई के पास्ट प्रेसिडेंट सीए मनोज फडनिस, भोपाल से सेंट्रल काउन्सिल मेम्बर सीए अभय छाजेड, सीए पीडी नागर, सीए एस एन गोयल सहित बड़ी संख्या में सीए उपस्थित थे।

Written by XT Correspondent