राजगढ़। प्रकृति की मार झेल रहे किसानों को सरकार से भी निराशा ही हाथ लगी है। दिवाली के मौके पर भी किसानों के घर में अँधेरा है। किसानों को अब तक बीमा, मुआवजा, भावांतर का बोनस और कर्जमाफी से राहत नहीं मिली है। ऐसे में छोटे और जरूरतमंद किसान पूछ रहे हैं कि अब दिवाली मनाए तो कैसे? पहले प्रकृति ने सताया और अब सरकार उनके साथ छलावा कर रही है।
दरअसल 10 दिनों में किसानों का दो लाख रुपए का कर्ज माफ़ कर सत्ता में आई कमलनाथ सरकार का वादा 10 माह बाद भी पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। अब तक कुछ चुनिंदा किसानों के खाते में कर्जमाफी के नाम पर 50 हजार से कम राशि ही पहुंच पाई है। किसान दूसरी किस्त का अब तक इंतजार कर रहे हैं।
दूसरी तरफ सालभर पहले की भावांतर भुगतान योजना और समर्थन मूल्य का बोनस भी किसानों को अब तक नहीं मिला है। भारी बारिश के कारण 50 फीसदी से ज्यादा फसल ख़राब हो चुकी है, लेकिन दिवाली से पहले मिलने वाली बीमा राशि और मुआवजा का अब तक कुछ पता नहीं है। इससे किसानों की दिवाली फीकी हो गई है।
एलडीएम का कहना है कि बैंकर्स द्वारा इन दिनों बीमा के लिए पोर्टल पर एंट्री की जा रही है। पहले 15 अक्टूबर तक ही पोर्टल पर इसे अपडेट करने की योजना थी, लेकिन अब तारीख बढ़ाकर 31 कर दी गई है। पूरी सूचियां ऑनलाइन अपडेट हो जाने के बाद नुकसान के हिसाब से किसानों को राशि मिलेगी।
भावांतर का बोनस : भावांतर भुगतान योजना के तहत वर्ष 2017-18 का सोयाबीन का बोनस नहीं मिल पाया है। सरकारें बदलने से किसानों की राहत राशि फंस गई।
दो लाख की कर्ज माफी : विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए कांग्रेस की कर्ज माफी के दावे को गति नहीं मिल पा रही है। किसानों ने अब इसकी उम्मीदें ही छोड़ दी है।
अतिवृष्टि का बीमा : बीमा राशि के लिए सर्वे हो गया, सूचियां भी अपडेट हो रही है लेकिन दीवाली से पहले यह नहीं आ रहा। इसलिए किसानों की परेशानी और बढ़ गई है।
अतिवृष्टि का मुआवजा : खराब हुई उपज की क्षतिपूर्ति राशि के तौर पर आरबीसी-6(4) के तहत मुआवजा मिलना था लेकिन अभी तक शासन स्तर पर कोई आदेश नहीं आए।