लेखक प्रवीण कक्कड़ पूर्व पुलिस अधिकारी हैं और पूर्व मुख्यमंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी रहे हैं।
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पिता! एक ऐसा शब्द जिसमें छिपा है, दुनिया का सबसे बड़ा सहारा, प्रेरणा और निस्वार्थ प्यार. यह वो रिश्ता है जो अक्सर अनकहा रह जाता है, दुनिया की भीड़ में गुम सा हो जाता है. मगर, उनकी मजबूत पकड़ हमेशा बच्चों की भविष्य को संवारती रहती है.
पिता का स्नेह भले ही दिखाई न दे, लेकिन वह अपनी पूरी ताकत से हमारे सपनों को सच करने में जुटे रहते हैं. उनकी अहमियत का सही मायने में अहसास हमें तब होता है, जब हम खुद माता-पिता बनते हैं. उनका हाथ थामकर चलना, दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा है, और बच्चों की सफलता व अच्छा चरित्र उनकी सबसे बड़ी दौलत. पिता हमें सिर्फ़ सीढ़ियां चढ़ना नहीं सिखाते, बल्कि मुश्किलों का सामना करना भी सिखाते हैं.
भारतीय परंपरा और पितृ ऋण
भारतीय समाज संसार के सबसे संतुलित समाजों में से एक है. यहां पितृसत्तात्मक परिवारों का ताना-बाना है, फिर भी हम अपनी जन्मभूमि को ‘मातृभूमि’ कहते हैं. हमारी परंपरा में माता और पिता दोनों को एक साथ प्रणाम करने की रीति है. भारतीय परंपरा के अनुसार, हर मनुष्य पर तीन तरह के ऋण होते हैं: देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण. इस तरह, पिता के प्रति हमारा समर्पण हमें पितृ ऋण चुकाने का अवसर देता है.
दिल के सबसे करीब
माँ के बाद, अगर कोई हमारे दिल के सबसे करीब होता है, तो वो हैं हमारे पिता. उनका प्यार माँ की तरह अक्सर दिखता नहीं, लेकिन पिता ही हैं जो हमें अंदर से मजबूत बनाते हैं, दुनिया में अच्छे-बुरे की परख सिखाते हैं. कहते हैं, बेटियां अपने पिता के बेहद करीब होती हैं; वे हमेशा अपने पिता जैसा जीवन साथी चाहती हैं. पिता के लिए उनकी बेटी हमेशा एक राजकुमारी होती है. बेटे भी अपने पिता को देखकर बड़े होते हैं, उन्हीं की आदतों को अपनाते हैं. पिता अपनी खुशियों को छोड़कर बच्चों के लिए जीवन समर्पित कर देते हैं, त्याग और सद्भावना की भावना उनके अंदर कूट-कूट कर भरी होती है.
चुपचाप त्याग का दूसरा नाम
पिता कभी नहीं कहते कि “मैंने तुम्हारे लिए अपने सपने छोड़ दिए,” लेकिन उनकी आँखों में छिपी थकान सब कुछ बयाँ कर देती है. वह सुबह से रात तक मेहनत करते हैं, पर उनकी खुशी का एकमात्र पैमाना होती है—हमारी मुस्कान.
जब वह छोटी-छोटी ख्वाहिशों को दबाकर हमारी पढ़ाई, शादी और सपनों पर खर्च कर देते हैं. जब वह बीमार होते हुए भी ऑफिस जाते हैं, ताकि हमारी फीस का चेक बाउंस न हो. जब वह हमारी गलतियों पर कड़कते हैं, मगर बाहर किसी के सामने हमारी एक भी कमी नहीं निकलने देते.
पिता से ही बच्चों की पहचान है. उनका प्रेम अनमोल होता है. माता-पिता के आशीर्वाद से दुनिया की बड़ी से बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है. कोई भी समस्या हो, उसका समाधान पिता के पास होता है. बच्चों को पिता की महत्ता का पता तब चलता है, जब वे खुद माता-पिता बनते हैं.
आज ही करें यह छोटा सा काम
इस फादर्स डे पर, परिवार के लिए किए गए पिता के कार्यों के लिए उनका आभार जताएं. उनके साथ क्वालिटी टाइम बिताएं और उनके अनुभव साझा करें. उनके संघर्षों से प्रेरणा लें और उनके दिए मूल्यों को जीवन में अपनाएं. अपने पिता को बताएं कि आप और पूरा परिवार उनसे कितना प्यार करता है.
अगर आपके पिता आज भी आपके साथ हैं, तो यही पल है उन्हें धन्यवाद देने का:
* उनसे गले लगकर कहें—”पापा, मैं आपका एहसान कभी नहीं चुका पाऊँगा.”
* उनके पसंद की कोई चीज़ लाकर दें.
* बस 5 मिनट निकालकर उनके साथ बैठें और पूछें—”आपका बचपन कैसा था, पापा?”
क्योंकि पिता की खुशी का राज़ बहुत सरल है—बस उन्हें यह एहसास दिला दो कि आप उनके त्याग को समझते हो.
सभी पिताओं को फादर्स डे की हार्दिक शुभकामनाएं!