September 23, 2024

पुलिस ने पैसा डबल करने के नाम से चिटफंड कंपनी चलाने वाले ईनामी बदमाश को किया गिरफ्तार।

एक्सपोज़ टुडे।
ग्वालियर पुलिस द्वारा लगातार चिटफंडियों तथा धोखाधड़ी करने वाले बदमाशों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही की जा रही है। पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थाना ठाटीपुर एवं विश्वविद्यालय के चिटफण्ड के प्रकरणों में फरार दो हजार रूपये के ईनामी बदमाश को ग्राम रावतपुरा जिला भिण्ड में देखा गया है। सूचना पर से एसएसपी ग्वालियर ने एडिशनल एसपी शहर-पूर्व/अपराध राजेश डण्डौतिया* एवं एडिशनल एसपी शहर-दक्षिण श्रीमती मृगाखी डेका,भापुसे को थाना विश्वविद्यालय, ठाटीपुर पुलिस बल एवं क्राईम ब्रांच की टीम बनाकर ईनामी बदमाश की गिरफ्तारी के लिए निर्देशित किया।

इसके तत्काल बाद एडिशनल एसपी ने
सीएसपी मुरार ऋषिकेश मीणा,भापुसे,डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर एवं विजय भदौरिया को टीम बनाकर कार्रवाई का निर्देश दिया।फिर थाना प्रभारी क्राईम ब्रांच निरी0 दामोदर गुप्ता, थाना प्रभारी ठाटीपुर निरी0 पंकज त्यागी एवं थाना प्रभारी विश्वविद्यालय निरी0 संतोष मिश्रा द्वारा क्राईम ब्रांच तथा थाना बल की संयुक्त टीम गठित कर उसे मुखबिर के बताये स्थान पर भेजा गया।

पुलिस टीम ने ग्राम रावतपुरा जिला भिण्ड स्थित एक मकान की घेराबंदी करके उक्त ईनामी बदमाश को धरदबोचा। पकड़े गये ईनामी बदमाश से प्रकरणों के संबंध में पूछताछ करने पर उसके द्वारा अपने साथियों के साथ मिलकर चिटफण्ड कंपनी के नाम पर पैसा डबल करने का झांसा देने की बारदात करना स्वीकार किया गया। उक्त ईनामी बदमाश की गिरफ्तारी पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ग्वालियर द्वारा 02 हजार रूपये का ईनाम घोषित किया गया था। उक्त आरोपी को पुलिस टीम द्वारा थाना ठाटीपुर एवं विश्वविद्यालय के धारा 420 भादवि एवं 3(1)(2)(4) म0प्र0 निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 एवं 45-एस/58बी(5-ए) आरबीआई एक्ट के प्रकरण में गिरफ्तार किया जाकर आरोपी से उसके फरार साथियों के संबंध में पूछताछ की जा रही है।

2011 में पुलिस द्वारा थाना ठाटीपुर एवं विश्वविद्यालय में ‘‘जीवन सुरभी डेयरी एंड एलाइड’’ के संचालकों के विरूद्ध बिना रिर्जव बैंक में रजिस्ट्रेशन के हितग्राहियों को मिथ्या प्रलोभन देकर उनको धन लाभ दिलाने के नाम पर उनसे रूपयों की ठगी करने की शिकायत एवं जिलाधीश ग्वालियर के द्वारा दिये गये पत्र के आधार पर धारा 420 भादवि एवं 3(1)(2)(4) म0प्र0 निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 एवं 45-एस/58बी(5-ए) आरबीआई एक्ट के प्रकरण पंजीबद्ध किया जाकर विवेचना में लिया गया था। उक्त प्रकरण के आरोपीगण घटना दिनांक से ही फरार चल रहे थे।

Written by XT Correspondent