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डॉ. निशा जोशी योग एकेडमी तथा योग गंगा योगिक, साइंटिफ़िक एंड स्प्रीचुअल रिसर्च फाउंडेशन इंदौर द्वारा आयोजित पांच दिवसीय निःशुल्क अंतरराष्ट्रीय योग थेरेपी कार्यशाला का समापन हुआ। कार्यशाला 3 अप्रैल से 9 अप्रैल 2025 तक यू ट्यूब के माध्यम से ऑनलाइन मोड व ऑफलाइन मोड पर निशा जोशी योग एकेडमी खजराना पर चली। जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला की आयोजक एवं संचालक योग एवं भगवद्गीता विशेषज्ञ डॉ. निशा जोशी थीं, जबकि सह-संयोजक डॉ.निशा जोशी के छात्र कौन्तेय सुनील लोधी एवं योगिनी कीर्ति दुबे रहे। इस कार्यशाला में अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया सहित भारत के विभिन्न राज्यों – मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, कर्नाटक एवं छत्तीसगढ़ से प्रतिभागियों ने ऑनलाइन निशा जोशी योग अकादमी के यू ट्यूब के माध्यम से भाग लिया।
पहले दिन “योगिक थेरेपी फॉर लंग्स & रेस्पिरेट्री हेल्थ”
कार्यशाला में योग चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की गई। पहले दिन “योगिक थेरेपी फॉर लंग्स & रेस्पिरेट्री हेल्थ” पर सत्र हुआ, जिसमें डॉ. निशा जोशी ने पोस्ट-कोविड सिंड्रोम, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसी समस्याओं के लिए विशेष योग चिकित्सा और प्राणायाम तकनीकों के बारे में बताया। इस दिन डॉ जोशी के छात्र कौन्तेय सुनील लोधी ने भी श्वसन तंत्र की वैज्ञानिक व्याख्या को बताया ।
दूसरे दिन “योगिक थेरेपी फॉर ब्लड सर्कुलेशन & हार्ट हेल्थ
दूसरे दिन “योगिक थेरेपी फॉर ब्लड सर्कुलेशन & हार्ट हेल्थ” पर विशेष ध्यान दिया गया, जिसमें डॉ. निशा जोशी ने उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए वैज्ञानिक रूप से सिद्ध योग तकनीकों के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान कौन्तेय सुनील लोधी ने भी विशेष योग मुद्राओं और ध्यान अभ्यास की विधियाँ सिखाईं, जो रक्त संचार और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करती हैं।
तीसरे दिन “बूस्ट डाइजेशन: योगिक डिटॉक्स & गट हेल्थ साइंस”
तीसरे दिन “बूस्ट डाइजेशन: योगिक डिटॉक्स & गट हेल्थ साइंस” विषय पर कार्यशाला हुई, जिसमें डॉ. जोशी ने एसिडिटी, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) और गैस्ट्रिक समस्याओं से राहत के लिए योगिक डिटॉक्स तकनीकों और आहार नियमों के बारे में बताया।
चौथे दिन “मेटाबॉलिक डिसऑर्डर”
चौथे दिन “मेटाबॉलिक डिसऑर्डर” पर विशेष सत्र हुआ, जिसमें मधुमेह- (हाइपरग्लाईसेमिया और हाइपोग्लाईसेमिया)जैसी गंभीर बीमारी से बचाव और प्रबंधन के लिए योगिक समाधान दिए गए। इस दिन कौन्तेय सुनील लोधी ने मधुमेह को समझाया व डॉ. निशा जोशी ने योग के माध्यम से चयापचय (मेटाबॉलिज्म) को संतुलित करने के तरीकों पर प्रकाश डाला।
अंतिम दिन “योगिक थेरेपी फॉर स्पाइन हेल्थ एंड वेलनेस” पर सत्र आयोजित किया गया, जिसमें डॉ. निशा जोशी ने स्लिप डिस्क, साइटिका, स्पाइनल स्टेनोसिस और फैसेट जॉइंट सिंड्रोम जैसी समस्याओं के लिए योग चिकित्सा का महत्व बताया।
डॉ. निशा जोशी ने कार्यशाला में अत्यंत वैज्ञानिक और शोध आधारित जानकारी प्रदान की, जिससे प्रतिभागियों को अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए योग का गहन ज्ञान प्राप्त हुआ। इस कार्यशाला से प्रतिभागियों को न केवल योग की चिकित्सा पद्धति की गहरी समझ मिली, बल्कि उन्होंने इसे अपने दैनिक जीवन में लागू करने के लिए भी प्रेरणा प्राप्त की। प्रतिभागियों ने कार्यशाला के अनुभव को अत्यंत लाभकारी बताया और डॉ. निशा जोशी के वैज्ञानिक दृष्टिकोण की सराहना की।
कार्यशाला को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों में आयोजित किया गया, जिससे देश-विदेश के प्रतिभागियों को इसमें भाग लेने का अवसर मिला। कार्यशाला पूर्ण होने पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र (सर्टिफिकेट) प्रदान किया गया। यह कार्यशाला पूरी तरह निःशुल्क थी, जिससे अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके।
कार्यशाला ने योग और स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित किया और इसे प्रतिभागियों से अत्यंत सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। आयोजकों ने भविष्य में भी इस तरह की कार्यशालाएँ आयोजित करने का संकल्प लिया।