खंडवा। आईटीबीपी के जवान अमित सिंह के परिजनों के साथ हुई मारपीट के मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने संज्ञान लिया है। कमलनाथ ने कहा है कि प्रदेश के हर नागरिक को सुरक्षा देना सरकार का प्रथम कर्तव्य है। जवान अमित सिंह से भी उन्होंने कहा कि वे चिंता ना करें। आपके परिवार को भी पूरी सुरक्षा देना सरकार का कर्तव्य है।
कमलनाथ के आश्वासन के बाद अमित सिंह उन्हें धन्यवाद देते हुए पोस्ट किया कि, अभी-अभी मुझे इस बात की जानकारी मिली है कि मेरे परिवार के साथ हुए मारपीट के मामले में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मीडिया के माध्यम से खबर मिलने के बाद संज्ञान लिया है। मामले की जानकारी होने के बाद उन्होंने खंडवा कलेक्टर को फोनकर जांच के निर्देश दिए हैं। मुझे पुरी उम्मीद है कि कमलनाथ अन्याय नहीं होने देंगे और पूरी मदद करेंगे। ‘जय हिंद’।
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो चुके खंडवा के पर्यटन स्थल हनुवंतिया में स्थानीय चौकीदार और गार्ड द्वारा जम्मू कश्मीर में तैनात आईटीबीपी के जवान अमित सिंह की पत्नी और उसके परिजनों से यहां मारपीट की गई थी। इस घटना में फौजी के भाई की एक आंख की रोशनी चली गई। इससे आक्रोशित फौजी अमित सिंह ने फेसबुक पर कमलनाथ को कहा था कि अगर आपकी सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो पानसिंह तोमर बनने के लिए ट्रेनिंग नहीं लेना पड़ेगी।
दूसरी तरफ रविवार शाम घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने परिजनों के साथ मूंदी थाने का घेराव कर सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ कारवाई की मांग करते हुए पीड़ित का ईलाज कराने की मांग की है। मूंदी थाना प्रभारी ने भी मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद आरोपी सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ कड़ी कारवाई करने का आश्वासन दिया है।
दरअसल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन के लिए अपनी अलग पहचान बना चुके हनुवंतिया में किसी भी सैलानियों को बाहर से खाद्य सामग्री अंदर ले जाना मना है। सरहद पर तैनात अमित सिंह की पत्नी और उनके रिश्तेदार अपने इन नॉनिहालों के लिए दूध का बोतल लेकर ह्नुवंतिया के अंदर जाना चाहती थी। लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने नियम का हवाला देते हुए अंदर जाने से मना कर दिया। विरोध करने पर सुरक्षाकर्मियों ने अमित सिंह के भाई विपुल सिंह की इतनी जमकर पिटाई की कि उसमे उसकी एक आंख पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।
बहरहाल, पर्यटकों के साथ ह्नुवंतिया में मारपीट का यह पहला मामला नही है। लेकिन इस बार एक सैनिक के परिजनों के साथ हुए अपमान को ग्रामीण भी बर्दाश्त करने के मूड में नही है। अब देखना यह है की कानून की परिभाषा में सरहद पर तैनात जवान को इंसाफ मिलता है या नही।