December 3, 2024

केपी के बदले सुर में मिलते सरकार समर्थक विधायकों के सुर, मुश्किल में घिरती कमलनाथ सरकार

शिवपुरी। भाजपा के दो विधायकों की क्रास वोटिंग के बाद फीलगुड में आई कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के लिए अब नई मुसीबत खड़ी हो गई है। कांग्रेस के पिछोर से विधायक और पूर्व मंत्री केपी सिंह द्वारा कमलनाथ सरकार को निशाने पर लिए जाने के बाद अब सपा और बसपा के विधायक भी साफ कह रहे हैं कि कमलनाथ सरकार में भ्रष्ट अफसर किसी की नई सुन रहे हैं और प्रदेश में जो बदलाव आना चाहिए था वह नहीं आ पाया है। सपा व बसपा विधायकों ने कमलनाथ सरकार के मंत्रियों को भी निशाने पर लिया है।

सपा विधायक राजेश शुक्ला ने कहा है कि भ्रष्ट अफसरों का एक वर्ग हावी है। साथ ही मंत्रियों को जो काम करना चाहिए वह नहीं कर रहे हैं। विधायक राजेश शुक्ला भी कांग्रेस विधायक केपी सिंह के सुर में सुर मिलाते नजर आए। इतना ही नहीं सपा के एक और विधायक संजीव सिंह ने भी मंत्रियों को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि कई मंत्री तो अपने-अपने क्षेत्र तक सिमट कर रहे गए हैं। जबकि उन पर तो पूरे प्रदेश की जवाबदेही है लेकिन कोई सुन नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि अफसरों की कार्यप्रणाली में जो बदलाव देखने में आना चाहिए था वह नहीं आया है। जनता से जुड़ी कई योजनाएं बंद हो गईं जिसके कारण कई गरीब लोग परेशान हैं। वहीं बसपा विधायक रामबाई ने भी केपी सिंह की बात का समर्थन किया और कहा कि जो बदलाव आना चाहिए था वह प्रदेश में नहीं आ पाया।

इन तीन विधायकों के समर्थन पर ही टिकी है कमलनाथ सरकार-

एकाएक विरोध के सुर में बोलने वाले इन तीनों विधायकों के समर्थन पर ही प्रदेश की कमलनाथ सरकार टिकी है। कमलनाथ सरकार को  पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में इन विधायकों की नाराजगी आने वाले समय में कमलनाथ सरकार के लिए मुसीबत बन सकती है। हालांकि कुछ दिन पहले विधानसभा में कॉस वोटिंग के जरिए दो भाजपा विधायकों को कांग्रेस सरकार ने अपनी ओर मोड़ा है लेकिन फिर भी सपा-बसपा विधायकों की नाराजगी कमलनाथ सरकार को भारी पड़ सकती है।

मंत्री न बनाए जाने से नाराज हैं केपी-

छह बार से लगातार विधायक बनते आ रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केपी सिंह की नाराजगी के पीछे उन्हें कमलनाथ सरकार में मंत्री न बनाना भी एक कारण रहा है। दिसंबर में कमलनाथ सरकार बनने के बाद यह तय माना जा रहा था कि केपी सिंह ग्वालियर संभाग से मंत्री बनेंगे लेकिन जब मंत्रियों को शपथ दिलाई गई तो केपी का नाम गायब था। पिछले 9 महीनों से यह ही आस है कि मंत्रीमंडल का विस्तार होगा तो केपी को लिया जा सकता है लेकिन फिलहाल मंत्रीमंडल का विस्तार अटका पड़ा है। इस बात को लेकर भी केपी सिंह नाराज बताए जा रहे हैं। पिछले दिनों कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान केपी सिंह ने जो कहा वह उसी नाराजगी का नतीजा बताया जा रहा है।

Written by XT Correspondent