डॉ. अनन्या मिश्र, आईआईएम इंदौर में सीनियर मैनेजर – कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन एवं मीडिया रिलेशन के पद पर हैं।
एक्सपोज़ टुडे।
जैसी करनी, वैसी भरनी
जो करोगे वह लौट कर आएगा
इतिहास दोहराता है
जीवन पूर्ण चक्र में ही आता है
हो सकता है आप कारण और प्रभाव (Cause and Effect) के बारे में ज्यादा नहीं जानते हों, लेकिन फिर भी मुझे पूर्ण विश्वास है कि आपने ऊपर लिखे हुए उद्धरण तो निश्चित ही सुने होंगे।कर्म को अक्सर गलत समझा जाता है क्योंकि कारण और प्रभाव के प्राचीन नियम को कई बार शाब्दिक रूप से लिया जाता है। जबकि पूर्वी पवित्र शास्त्र दुनिया के साथ अपने रिश्ते को सुधारने के लिए कर्म योगी (कर्म के मार्ग का पालन करने वाले) बन्ने के महत्व पर जोर देते हैं, आधुनिक दुनिया में हमारेभ्रम को दूर करने के लिए कर्म के लिए एक सरल परिचय होना चाहिए।
अक्सर कर्म को एक ‘दंड’ या ‘हिसाब बराबर’ का एक रूपमाना जाता है। किन्तु संभवतः कर्म एक तटस्थ नियम है और इसे हम मनुष्य स्वयं ही अच्छा या बुरा मान लेते हैं। सत्य तो यह है कि ब्रह्मांड पक्षपाती नहीं है। सभी को वही मिलता है जिसके लिए वे देय हैं। इसलिए, हमें उतनी ही परेशानी मिलेगी जितनी हम संभल सकें, और उससे अधिक खुशी भी नहीं मिलेगी जिसके हम हकदार हैं। यही पूर्ण चक्र है। इससे मेरा तात्पर्य है मात्र नकारात्मक या हानिकारक स्थितियों से नहीं बल्कि अच्छी चीजों से भी है। कठिनाइयों का सामना करते समय हमपराजित महसूस करते हैं और अक्सर सोचते हैं कि यह मेरे साथ ही क्यों हो रहा है। ऐसे में अनुग्रह करें। अनुग्रह का विचार ‘अपनी हार स्वीकार करना’ नहीं है, बल्कि सही या गलत के हमारे निर्णयों को त्यागने के बारे में है। स्पष्ट और पारदर्शी तरीके से विचार करेंगे तो जितनी बड़ी समस्या होगी, उतनी आसानी से हमें समाधान भी मिलेगा।
यह सत्य है कि हम वर्तमान में जो कुछ भी करते हैं वह हमारे भविष्य का निर्माण करता है। इस प्रकार हम अपने भाग्य विधाता बन सकते हैं। लेकिन हम हमारी योजनाएं साझा करने में भी घबराते हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय परिवारों में, हमारी योजनाओं में सफल होने तक ‘गुप्त’ रखते हैं क्योंकि हम नहीं चाहते कि किसी की नकारात्मकता हमारी योजना को प्रभावित करे। टचवुड और फिंगर्स क्रॉस्ड भी इसी का प्रतीक हैं। लेकिन क्या आपको लगता है कि किसी अन्य से आपका कर्म प्रभावित होगा? और क्या आप ऐसा होने देंगे? ऐसे में आप दूसरे व्यक्ति या स्थिति को बहुत अधिक शक्ति देते हैं, और स्वयं को स्वयं से दूर करते हैं। हो सकता है बुरा समय आए और हमें लक्ष्य प्राप्त करने में देरी हो, किन्तु हम निश्चित ही लक्ष्य पा लेंगे – उसके तय समय पर। अगर अभी आपने लक्ष्य नहीं पाया, तो हो सकता है यह सही समय न हो।
कर्म से भयभीत होने या पराजित महसूस करने के बजाए हम कर्म को अपना कर उसके साथ कार्य कर सकते हैं। हम अपने वर्तमान-क्षण के कार्यों को नियंत्रित कर सकते हैं और अहम् तो संतुलित कर सकते हैं। कर्म आपको वैराग्य और स्वीकृति से लेकर वर्तमान क्षण की जागरूकता तक कई सबक सिखा सकता है। जैसे-जैसे आप गहराई से इसे समझेंगे, आप निश्चित ही हर स्थिति में प्रसन्नता पाएंगे और कर्म को अच्छा या बुरा न मानकर आपके जीवन का एक माध्यम मान कर अपना लेंगे।