एक्सपोज़ टुडे।
इंदौर के विजय नगर थाना क्षेत्र में भेष बदल कर रह रहे राजकुमार व्यास को भोपाल क्राइम ब्रांच ने जब गिरफ़्तार किया तो सनसनीख़ेज़ खुलासा हुआ। यह जाल साज इंजीनियर भू माफिया रमाकान्त विजयवर्गीय हैं। इसमें भोपाल के कोहेफिजा थाना क्षेत्र स्थित पंचवटी कॉलोनी में 250 लोगों से प्लॉट के नाम पर पैसा लिया लेकिन न पैसा लौटाया न प्लॉट दिया और 107 करोड़ का घोटाला किया।
पुलिस से बचने के लिए रमाकांत ने हुलिया बदल लिया था। भोपाल में ठगी करने के बाद वह इंदौर के विजय नगर स्थित फ्लैट में रामकुमार व्यास बनकर रह रहा था। दाढ़ी और बाल बढ़ाकर हुलिया भी बदल लिया था। दो साल पहले उसे पुलिस ने पकड़ा। वह हुलिया बदलकर इंदौर से भोपाल आ रहा था। यही नहीं, फर्जी पहचान-पत्र भी बनवा लिया था। तब उसका बेटा विदेश में था।
रमाकांत ने 1976 में उज्जैन के कॉलेज से इंजीनियरिंग की। इसके बाद सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट लेकर काम शुरू किया। 2002-03 में भोपाल में एयरपोर्ट रोड पर पंचवटी फेज-1 पर काम किया। फिर फेज-2 और फेज-3 पर प्लॉटिंग शुरू की। किसानों से एग्रीमेंट कर लोगों से पैसे ले लिए। इस बीच, किसानों से हुए मनमुटाव के चलते प्रोजेक्ट अटक गया। उसने ग्राहकों से ली गई रकम हड़प ली।
2010 में कोहेफिजा थाने में रमाकांत के खिलाफ धोखाधड़ी का पहला केस दर्ज किया गया। इसके बाद अब तक इसी थाने में उसके खिलाफ 22 केस दर्ज हो चुके हैं। भोपाल, इंदौर और ईडी में रमाकांत के खिलाफ 38 केस दर्ज हैं। इसके साथ ही 100 से अधिक आवेदकों ने कोर्ट में उसके खिलाफ केस दायर कर रखा था।
भोपाल जिला कोर्ट ने प्लॉट काटकर 107 करोड़ रुपए का घोटाला करने वाले भूमाफिया रमाकांत विजयवर्गीय (60) को उम्रकैद की सजा सुनाई है, साथ ही 50 हजार रुपए का जुर्माना भी ठोंका है। धोखेबाज शख्स पेशे से इंजीनियर है। उसने भोपाल में पंचवटी बनाने का झांसा देकर 250 लोगों के साथ फ्रॉड किया था। मामले की सुनवाई गुरुवार को भोपाल में एडीजे धर्मेंद्र टांडा की कोर्ट में हुई। दो साल पहले क्राइम ब्रांच ने कोहेफिजा पुलिस की मदद से उसे गिरफ्तार किया था।
उज्जैन से नमकीन लाकर इंदौर में सप्लाई करने के साथ वह ट्रैवल एजेंसी भी संचालित कर रहा था। रमाकांत ने डिस्ट्रिक्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी भी खोल रखी थी। उसने ठगी के पैसों को नमकीन के कारोबार में लगा दिया था। हालांकि पुलिस उसके पास से रकम बरामद नहीं कर सकी। ठगी के शिकार लोगों ने कई बार पुलिस अफसरों पर विजयवर्गीय से साठगांठ करने का आरोप लगाया था।
जिला कोर्ट के सरकारी वकील साबिर सिद्दीकी ने बताया कि रमाकांत ने 1976 में उज्जैन के कॉलेज से इंजीनियरिंग की। इसके बाद सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट लेकर काम शुरू किया। 2002-03 में भोपाल में एयरपोर्ट रोड पर पंचवटी फेज-1 पर काम किया। फिर फेज-2 और फेज-3 पर प्लॉटिंग शुरू की। किसानों से एग्रीमेंट कर लोगों से पैसे ले लिए। इस बीच, किसानों से हुए मनमुटाव के चलते प्रोजेक्ट अटक गया। उसने ग्राहकों से ली गई रकम हड़प ली।