डॉ. अनन्या मिश्र, आईआईएम इंदौर में सीनियर मेनेजर – कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन एवं मीडिया रिलेशन के पद पर हैं।
एक्सपोज़ टुडे।
हम सभी जानते हैं कि मकर संक्रांति उत्तरी गोलार्ध की ओर सूर्य की यात्रा की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाती है, जिसे उत्तरायण काल भी कहा जाता है। मेरा मानना है कि यह त्योहार हमारे जीवन मेंचिंतन करने और मूल्यवान प्रबंधन और आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी कई सीखें प्रदान करता है। महाभारत में, भगवान श्रीकृष्ण ने भौतिक दुनिया से अनासक्त होने के महत्व को सिखाने के लिए पतंग के रूपक का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा था, “जिस तरह एक पतंग आसमान में ऊंची उड़ान भरती है फिर भी जमीन से बंधी रहती है, उसी प्रकार भौतिक संसार से जुड़े रहते हुए भी व्यक्ति को खुद को अलग कर लेना चाहिए।”
यहां कुछ सुझाव हैं जो हमें मकर संक्रांति और पतंगों की ऊंची उड़ान से सीखने में मदद कर सकते हैं:
1. आत्म-जागरूकता: पतंग उड़ाने के लिए व्यक्ति को अपने परिवेश, हवा की दिशा और पतंग के व्यवहार के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार, आध्यात्मिक प्रबंधन में, जीवन की यात्रा में आगे बढ़ने के लिए व्यक्ति को अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों से अवगत होना चाहिए – हम क्या कर रहे हैं, क्यों – हमें हमारे उद्देश्य और लक्ष्य की जानकारी होनी चाहिए।
2. अनुकूलनशीलता: वायु की दिशा और आवेग किसी भी समय बदल सकते हैं। एक पतंग उड़ाने वाले को पतंग की स्थिति या धागे पर तनाव को समायोजित करके इन परिवर्तनों के अनुकूल होने में सक्षम होना चाहिए। उसी तरह, आध्यात्मिक प्रबंधन में, हमें वास्तविकता को स्वीकार कर,परिवर्तन के लिए खुला होना चाहिए और बाधाओं का सामना करने में सक्षम होना चाहिए।
3. धैर्य: पतंग को अपनी पूरी क्षमता की ऊँचाई तक पहुंचने में समय लगता है और इसलिए यहाँ धैर्य आवश्यक है। आध्यात्मिक प्रबंधन और व्यक्तिगत विकास के लिए धैर्य और दृढ़ता की आवश्यकता होती है, क्योंकि हर लक्ष्य को पाने में भी समय लगता है – हो सकता है हम विफल हों, थक जाएँ, निराश हो जाएं – किन्तु धैर्य ही हमें आगे बढ़ने में मदद करेगा।
4. ध्यान और अनुशासन: गगन में ऊंची उड़ती पतंग को हवा में बनाएरखने के लिए ध्यान और अनुशासन अत्यंत आवश्यक हैं। आध्यात्मिक प्रबंधन के माध्यम से व्यक्तिगत विकास के पथ पर बने रहने के लिए भी स्वयं को भटकाव से बचाना और एक ही लक्ष्य पर ध्यान रख कर आगे बढ़ते रखना चाहिए।
5. वास्तविकता और जड़ों से जुड़ाव: पतंग चाहे कितनी भी ऊंची उड़े,उसकी डोर ज़मीन से जुड़ी रहती है। जीवन में आने वाले वायु के वेग और तूफानों से निपटने के लिए हमें हमारे मूल्यों और विश्वासों पर निर्भर होना चाहिए और इसी प्रकार, सफलता के उच्च शिखर पर पहुँचने के बाद भी हमारी संस्कृति से सम्बद्ध रहना चाहिए।
6. प्रबंधन सिद्धांत: पतंग उड़ाने के लिए एक प्रासंगिक प्रबंधन सिद्धांत “स्थितिजन्य नेतृत्व” वर्णित किया गया है। यह सुझाव देता है कि सबसे प्रभावी नेतृत्व शैली वह है जो स्थिति और व्यक्ति के अनुसार परिवर्तित हो सके। पतंग उड़ाते समय जिस समय हम मांझे की डोर को नियंत्रित करते हैं और तरह-तरह की कोशिशों से उड़ान सुनिश्चित करते हैं, उसी प्रकार हमें अपने जीवन की नेतृत्व शैली को भी अनुकूलित करने में सक्षम होना चाहिए।
7. कड़ी मेहनत, दृढ़ता और त्याग की कला: मकर संक्रांति फसल काटने का समय है, और यह याद दिलाता है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ता का फल मिलता ज़रूर है। मकर संक्रांति सूर्य की यात्रा में एक नए चरण की शुरुआत का प्रतीक है, और यह अतीत को जाने देने और भविष्य को अपनाने की सीख देता है।
8. कृतज्ञता और संतोष का महत्व: यह त्योहार बहुतायत का समय है और हमारे पास जो कुछ है उसके लिए आभारी होने और अपने जीवन में संतोष पाने का एक अनुस्मारक है। यह सूर्य और पृथ्वी के बीच संतुलन का समय है, और यह हमारे जीवन में हर भाव, रिश्ते और स्वयं के मन-मस्तिष्क में संतुलन के लिए प्रयास करने की प्रेरणा देता है।
यह हमारे भीतर के आत्म को प्रतिबिंबित करने और व्यक्तिगत विकास के लिए प्रयास करने के लिए एक अनुस्मारक है। मकर संक्रांति समुदाय और साझा अनुभवों का समय है, और सभी के साथ आनंदित होने का भी अवसर है।
आइए, मकर संक्रांति के इस शुभ अवसर पर हम इस त्योहार से मिलने वाली मूल्यवान प्रबंधन और आध्यात्मिक सीखें अपनाएं, जो हमें आगे बढ़ने और जीवन बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं। इसी से हम अधिक आभारी, अनुकूलनीय, संतुलित, दयालु और आध्यात्मिक रूप से अभ्यस्त होना सीख सकते हैं। मकर संक्रांति, पोंगल और माघ बिहू की हार्दिक शुभकामनाएं!