एक्सपोज़ टुडे,ग्वालियर।
मप्र हाईकोर्ट (MP High Court) ने जिन नगर पालिका में अध्यक्ष (President in municipality) एवं नगर निगम में महापौर पद (Mayor post in Municipal Corporation) के आरक्षण (reservation) में आरक्षण की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है उनके आरक्षण पर रोक लगा दी है। कोर्ट (High Court) ने राज्य शासन को इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट (Detailed report) पेश करने के निर्देश भी दिए है। प्रकरण में अगली सुनवाई अप्रैल में होगी। इस मामले की चुनावी आरक्षण को लेकर लंबित अन्य तीन याचिकाओं के साथ सुनवाई होगी।
न्यायमूर्ति शील नागू एवं न्यायमूर्ति आनंद पाठक की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता मानवर्धन सिंह तोमर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए हैं। इस मामले में शासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने कहा कि शासन द्वारा इस मामले में विस्तृत जवाब प्रस्तुत किया जाएगा। याचिकाकर्ता ने कहा कि नगर परिषद में अध्यक्ष तथा नगर निगम में महापौर पद के लिए आरक्षण में नियमों का पालन नहीं किया गया है। वर्ष 2014 में जो अध्यक्ष एवं महापौर के पद आरक्षित थे उन्हें फिर आरक्षित कर दिया गया है। इस कारण अन्य वर्ग को अध्यक्ष के पद पर प्रतिनिधित्व से वंचित किया जा रहा है। जो कि संविधान की मूल भावना के विपरीत है। इससे पहले इंदरगढ, दतिया तथा डबरा में नगर पालिका अध्यक्ष एवं नगर परिषद अध्यक्ष के आरक्षण में नियमों का पालन नहीं होने पर हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाई जा चुकी है। याचिकाकर्ता का कहना था कि इस मामले में आरक्षण में रोटेशन का पालन नहीं किया गया है। इसलिए शासन द्वारा किए गए आरक्षण को निरस्त कर नियमानुसार आरक्षण किए जाने के निर्देश शासन को दिए जाएं। अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा न्यायालय को बताया गया कि अभी तक किसी भी नगर पालिका या नगर निगम के चुनाव की घोषणा नहीं की गई है। न्यायालय ने पाया कि शासन द्वारा आरक्षण की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है इससे वे लोग प्रभावित होंगे जिन्हें इसका लाभ मिलना चाहिए था, लिहाजा आरक्षण पर रोक लगा दी गई है।