बैतूल। आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जन्म जयंती मना रहा हैं। इस मौके पर हर कोई महात्मा गाँधी को अपने तरीके से याद कर रहा है।
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से भी महात्मा गाँधी की यादें जुड़ी हुई है। जब महात्मा गाँधी ने छुआछूत के खिलाफ पूरे भारत में अभियान छेड़ा था तब वह एक दिन के लिए बैतूल जिले में आए थे। महात्मा गाँधी ने ताप्ती नदी के किनारे बने बारह लिंग आश्रम में पहुंच कर जनसभा को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. दीपचंद गोठी के निवास पर रात भी बिताई थी। गाँधीजी की कुछ धरोहर आज भी गोठी परिवार ने सम्हाल कर रखी है।
गोठी परिवार के सदस्य बताते हैं कि साल 1933 में महात्मा गाँधी ने छुआछूत के खिलाफ जन आंदोलन छेड़ा था। इसके लिए गाँधी जी देश के कोने-कोने का भ्रमण कर रहे थे। इसी सिलसिले में उनका बैतूल प्रवास हुआ था। गाँधी जी ने जिस भवन में रात गुजारी थी वह आज भी उनकी याद में वैसा ही खड़ा हुआ है।
कोठी परिवार ने उस पलंग को भी सहेज कर रखा है, जिस पर गाँधी जी ने रात गुजारी थी। गाँधी जी अपने साथ चरखा भी लाये थे जो उन्होंने उपहार स्वरूप गोठी परिवार भेंट किया था। उनकी यह कीमती निशानी आज भी इस परिवार ने सम्हाल के रखी हुई है।
बैतूल प्रवास के दौरान जब गाँधी जी को पता चला कि बैतूल में ताप्ती नदी के किनारे बारह लिंग आश्रम बना हुआ है। जहाँ स्तिथ मंदिरों में सर्व समाज को पूजन पाठ करने की छूट है। इस पर गाँधी जी भी उस आश्रम में पहुंचे थे। आश्रम के महंत ने गाँधी जी को बताया कि यहाँ के मंदिरों में दलित समाज के लोगो सहित सभी समाजो के लोग साथ मे पूजन पाठ किया करते है। यह सुन गाँधी जी बहुत खुश हुए थे। इस दौरान गाँधी जी ने एक अंग्रेज महिला से भी मुलाकात की थी जो बारहलिंग के पास ही एक आदिवासी बालिका के साथ झोपड़ी में रहती थी। इतने वर्षों बाद भी गाँधी जी की यादें लोगों के जेहन में हमेशा ताजा है।