एक्सपोज़ टुडे।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के घोटाले के तार मध्यप्रदेश से जुड़े हैं।
लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते हुए नियुक्ति घोटाले की आंच मध्यप्रदेश और WCR (पश्चिम मध्य रेलवे) तक पहुंच गई है। लालू यादव के अलावा सीबीआई ने 12 अन्य लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया है। इसमें एक आरोपी को WCR में ग्रुप-डी की नौकरी मिली थी। हालांकि छह महीने में ही कैंडिडेट का ट्रांसफर बिहार कर दिया गया था। उस समय जनरल मैनेजर दीपक गुप्ता थे। जिसके बाद सीबीआई यहां भी दस्तावेज आदि की जांच करने आ सकती है।
सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में रेलवे में नौकरी पाने वाले 12 कैंडिडेट को आरोपी बनाया है। सभी पर आरोप है कि उन्होंने लालू यादव के परिवार को जमीन देकर रेलवे में नौकरी पाई है। सीबीआई की जांच में बताया गया है कि हजारी राय ने महुआबाग की अपनी 9,527 वर्गफीट जमीन 10.83 लाख रुपए लेकर मेसर्स एके इंफोसिस्टम कंपनी के नाम लिख दी थी। इसके एवज में उनके दो भांजे दिलचंद कुमार को पश्चिम मध्य रेलवे और प्रेमचंद कुमार को पूर्वोत्तर रेलवे, कोलकाता में नौकरी दी गई थी। 2014 में मेसर्स एके इंफोसिस्टम कंपनी ने सारी संपत्ति पूरे अधिकार के साथ लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती और पत्नी राबड़ी यादव को ट्रांसफर कर दी थी।
2004 में नया जोन बना था WCR
2004 में पश्चिम मध्य रेलवे नया जोन बना था। इसके पहले जीएम दीपक गुप्ता थे। उन्हें रिटायरमेंट के दिन मेजर चार्जशीट मिली थी। उनका सारा भुगतान रोक लिया गया था। अनुशासन एवं अपीलीय नियम के तहत ये कार्रवाई हुई थी। उस समय फर्जी तरीके से ग्रुप-डी की अस्थाई नौकरी देने और फिर परमानेंट करने पर ही ये अनुशासनात्मक कार्रवाई की चर्चा सामने आई थी।
5 साल में 300 लोगों को मिली ग्रुप-डी की नौकरी
लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए ग्रुप-डी की भर्ती में WCR में पांच सालों में 300 लोगों को इसी तरह पहले अस्थाई और बाद में परमानेंट किया गया था। आश्चर्य की बात ये थी कि सभी लोग छह से सात महीने में ही परमानेंट हुए थे, फिर उनका तबादला बिहार कर दिया गया था। ऐसे सभी लोगों का रिकॉर्ड जबलपुर में भी हो सकता है। हालांकि सर्विस बुक के चलते उनके अधिकतर रिकॉर्ड उनके मौजूदा कार्यस्थल पर होंगे। सूत्रों की मानें तो सीबीआई की कार्रवाई के बाद से WCR मुख्यालय में भी हड़कंप है। यहां 2004 से 2009 के बीच ऐसे सभी दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं, जो ग्रुप-डी की भर्ती से जुड़े हैं।
यह है पूरा मामला
2004 से 2009 तक लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते हुए बगैर किसी भर्ती विज्ञापन के कई लोगों को रेलवे में चतुर्थ वर्ग पद पर नौकरी दी गई थी। नौकरी देने के एवज में उनके या उनके परिवार के सदस्यों से जमीन लिखवाई गई। ये जमीन राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव और दिल्ली की एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम पर 5 सेल डीड और 2 गिफ्ट डीड के जरिए हस्तांतरित की गई। जमीन का कुल रकबा 1,05,292 वर्गफीट है। वर्तमान में सर्किल रेट के हिसाब से इसकी कीमत करीब 4 करोड़ 39 लाख 80 हजार 650 रुपए है। आरोप है कि जमीन के बदले रेलवे के अलग-अलग जोन में इनकी नियुक्ति की गई थी। अधिकतर जमीनों की खरीद भी कैश में दिखाई गई है।