November 29, 2024

मोदी के ब्लॉक में 100 छात्राओं की दर्द भरी कहानी, स्कूल के लिए हर दिन 8 किलोमीटर पैदल मार्च

बड़वानी। स्कूल जाने के लिए बेटियां हर दिन 8 किलोमीटर पैदल मार्च करती हैं। स्कूल जाने के लिए हॉस्टल से 4 किलोमीटर जाना और 4 किलोमीटर आना। ये तस्वीर उस आदिवासी इलाके की है जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने वनबंधु कल्याण योजना में गोद ले रखा है।

यहाँ राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के तहत बालिका छात्रावास एवं मॉडल स्कूल का निर्माण जरुर किया गया है लेकिन विसंगति यह है कि छात्रावास से स्कूल की दूरी 4 किलोमीटर है। छात्रावास पाटी के उत्तर की ओर 3 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है, जबकि मॉडल स्कूल दक्षिण की ओर पाटी से 2 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है।

इस कारण कक्षा 9वीं और 10वीं में पढ़ने वाली छात्राओं को रोजाना 8 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता हैं। पाटी से स्कूल तक तो पक्की सडक है लेकिन पाटी से छात्रावास तक कच्चा मार्ग है जो कि गड्ढो से भरा हुआ है।

छात्राओं का कहना है कि बरसात हो या तेज गर्मी, उन्हें ऐसे ही सालभर पैदल आना जाना पड़ता हैं। बरसात में छाता होने के बाद भी बस्ता भीग जाता है।

इस सम्बन्ध में छात्रावास अधीक्षिका द्रोपदी डावर का कहना है कि छात्राओं की समस्या बिलकुल सही है, हम भी चाहते उन्हें वाहन सुविधा मिले और इस सम्बन्ध में हमने अपने वरिष्ठ कार्यालय में पत्र भेजा था लेकिन अभी वहां से कोई जवाब नही आया है।

मप्र सरकार द्वारा दूर से आकर सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली कक्षा 9वीं और 6 टी की बालिकाओं को मुफ्त साइकिल प्रदान की जाती है लेकिन यह नियम छात्रावास में रहने वाली बालिकाओं पर लागू नहीं होता है। इसका कारण यह है कि आमतौर पर छात्रावास परिसर के नजदीक ही स्कूल रहता है लेकिन यहां ना छात्रावास करीब है और ना ही लडकियों के पास आवाजाही के लिए साइकिल।

इस विकासखंड को प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2014 में गोद लिये गये देश के 10 विकासखंडों की सूची में शामिल किया गया है। यह प्रधानमंत्री द्वारा गोद लिया गया मप्र का इकलौता विकासखंड है। प्रधानमंत्री द्वारा गोद लिए गए इस विकासखंड में शिक्षा, स्वास्थ और पीने के पानी के लिये अतिरिक्त बजट का प्रावधान है। बावजूद इसके रोजाना छात्राओं को पैदल ही 4 दूर स्थित स्कूल आना-जाना पड़ता है।

Written by XT Correspondent