November 23, 2024

एलीफैंट इन द रूम: ऑफिस में साइकोलॉजिकल सेफ्टी

लेखिका डॉ. अनन्या मिश्र, आईआईएम इंदौर में सीनियर मैनेजर  कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन एवं मीडियारिलेशन्स के पद पर है। 

एक्सपोज़ टुडे।
• एक व्यक्ति पिछले कुछ समय से निरंतर भीषण समस्याओं से घिरा हुआ था। उसने अपने ‘परिवार’ जैसे ऑफिस में कुछ ख़ास लोगों से भावनाएं साझा कीं, किन्तु उसे रत्ती भर भी सच्चा मनोबल नहीं प्राप्त हुआ। सब कुछ बहुत औपचारिक और दिखाऊ था  चंद ‘बहुमूल्य शब्दों में  जैसे संवेदनाओं के लिए पैसे खर्च हो रहे हों
• एक व्यक्ति ने वर्षों में पहली बार ऑफिस के अन्य विभागों से सामान्य से सहयोग के लिए तीन-चार बार निवेदन किया किन्तु बेतुके जवाबों से निर्ममता से ख़ारिज कर दिया गया। इसके पीछेपुराने द्वंद्व थे
• एक व्यक्ति ने एक नहीं, चार नए सुझाव और प्रस्ताव रखे। सब ख़ारिज हो गए क्योंकि एक तो उनसे तुरंत कोई ‘विशेष वाला’ लाभ नहीं हो रहा था और दूसरा, इस वाले ‘खेल के मैदान’ में पूर्व खिलाड़ियों की पहले से फिक्सिंग थी। 
• एक ने इन सभी घटनाओं से हो रही हानि (संस्थान को, और मानसिकएवं भावनात्मक हानि भी) की शिकायत भी की, किन्तु उसे ‘अपना-अपना निपटो’‘ये तो सभी जगह होता है’, ‘बाद में बात करेंगे’, ‘इसमें मैं क्या करूँ’ और ‘मुझसे उम्मीद मत रखो’ कह कर झिटक दिया गया। 
• एक ने फिर वाकई जब कुछ भी कहना ही छोड़ दिया, और सिर्फ अपने काम से काम रखा, तो उसपर काम ठीक से न करने, प्राथमिकताएँ न समझने और साझा  करने में भी उसकी ही गलती होने का आरोप थोप दिया गया। 

वो इस कथित परिवार में साझा करे भी तो किससे और कैसे?

ये सभी किस्से सत्य घटनाओं पर आधारित हैं और अलग-अलग सेक्टर के अलगअलग ऑफिसों, विभिन्न आयु और पदों के हैं, अर्थात ये व्यव्हारकिसी एक क्षेत्र के कार्यस्थल तक सीमित नहीं हैं एक-दूसरे के साथ बुनियादी मानवीय करुणा और सहानुभूति के साथ व्यवहार करने की धारणा को इतिहास में बदल दिया गया लगता है। इसके बजायप्रचलित रवैया उदासीनताव्यंग्य और अपनी प्राथमिकताओं की कमियों के लिए दूसरों को दोष देने की अटूट प्रतिबद्धता है। लोगों को महत्व चाहिए, हर किसी को किसी की प्राथमिकता बनना है, किन्तु वे सामने वाले को विकल्प तक नहीं समझेंगे  – तब तक, जब तक स्वयं को उनसे कोई लाभ न मिले। 

मामलों की वर्तमान स्थिति बताती है कि मनोवैज्ञानिक सुरक्षा यानि साइकोलॉजिकल सेफ्टी, ‘एलीफैंट इन द रूम’ बन कर रह गयी है। जबकि हम सहानुभूतिपूर्ण और करुणामय व्यवहार के महत्व के बारे मेंजोर-शोर से बात करते हैंहम वास्तव में तटस्थ, निष्पक्ष, और अनासक्त होने का आवरण ओढ़कर उन्हें न तो स्वीकारते हैं, न व्यक्त करते हैं और न ही अपनाते हैं किन्तु इनके बिनासंगठन अविश्वास और शत्रुता की संस्कृति का शिकार होने का जोखिम उठाते हैंजहां व्यक्ति बहिष्कृत या दंडित होने के डर से जोखिम लेने या बोलने के लिए तैयार नहीं होते हैं।

एक बार एक खरगोश और एक हाथी, दोनों घनिष्ठ मित्र एक साथ यात्रा पर जाने का निर्णय लेते हैं। जैसे ही वे जंगल से गुजरते हैंवे एक तेज धारा वाली नदी को पार करना पड़ता है। हाथीअपनी ताकत पर विश्वास करते हुएनदी पार करने के लिए खरगोश को अपनी पीठ पर बैठने का प्रस्ताव करता है। खरगोश पहले तो हिचकिचाता हैलेकिन हाथी उसे आश्वस्त करता है कि वह हर हाल में उसे सुरक्षित रखेगा। हालाँकिबीच नदी में हाथी तेज धारा से संघर्ष में फंसता है। खरगोश डर जाता है और घबराने लगता हैऔर हाथी की पीठ पर छटपटाता है। हाथी नाराज हो जाता है और और खरगोश पर चुप हो जाने के लिए चिल्लाता हैलेकिन इससे खरगोश और भी डर जाता है। हाथी को समझ आता है कि उसे खरगोश के लिए मनोवैज्ञानिक सुरक्षा की भावना उत्पन्न करने की जरूरत है – क्योंकि यात्रा की शुरुआत में ही खरगोश ने उसपर भरोसा जताया था। वह चिल्लाने के लिए माफी मांगता है और खरगोश से कहता है कि वह शांत रहे, उसकी भावनाएं समझी और सुनी जा रही हैं। वह उसे आश्वस्त करता है कि वे एक साथ नदी पार करेंगे। खरगोश शांत हो जाता है और वे सफलतापूर्वक दूसरी तरफ चले जाते हैं।

अपनी खुद की ताकत और खरगोश को सुरक्षित रखने की क्षमता पर हाथी का प्रारंभिक विश्वास खरगोश के लिए सुरक्षा की भावना उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त नहीं थाजिसे सुरक्षित महसूस करने के लिए अपने दोस्त से आश्वासन और सत्यापन की आवश्यकता थी। अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांग कर और अधिक सहायक वातावरण बनाकरहाथी उनके बीच सुरक्षा और विश्वास की भावना को बढ़ावा देने में सक्षम हुआमनोवैज्ञानिक सुरक्षा के महत्व और इसे बढ़ावा देने में ऑफिस के बड़े सदस्यों की भूमिका उसी हाथी की होनी चाहिए। 

शोध से पता चला है कि मनोवैज्ञानिक सुरक्षा टीम और संगठनात्मक सफलता का एक महत्वपूर्ण घटक हैक्योंकि यह कर्मचारियों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने, जोखिम लेनेगलतियों से सीखने और नकारात्मक परिणामों या प्रतिशोध के डर के बिना सामूहिक लक्ष्यों में योगदान करने में सक्षम बनाता है। गूगल के एक सर्वेक्षण के अनुसारमनोवैज्ञानिक सुरक्षा वाली टीमों में बेहतर संचारअधिक नवीनता और कर्मचारी संतुष्टि और प्रतिधारण के उच्च स्तर की संभावना अधिक थी।

मनोवैज्ञानिक सुरक्षा में लैंगिक अंतर के संदर्भ मेंशोध से पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं कार्यस्थल पर मनोवैज्ञानिक सुरक्षा के निम्न स्तर का अनुभव करती हैं। लीनइन डॉट ओआरजी और मककिन्से एवं कंपनी के एक अध्ययन में पाया गया कि महिलाओं को यह महसूस होने की संभावना कम थी कि वे नकारात्मक परिणामों के बिना बोल सकती हैंजिससे कार्यस्थल में आत्मविश्वास और जुड़ाव की कमी हो सकती है। गैलप द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यह महसूस होने की संभावना कम थी कि कार्यस्थल में उनकी राय को सुना और महत्व दिया जाता है।

कार्यस्थल में मनोवैज्ञानिक सुरक्षा की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिएऐसा वातावरण बनाने की ज़रूरत है जहाँ कर्मचारियों को मूल्यवानसुरक्षित, सम्मानित और समर्थित महसूस हो। इसमें खुले संचार को प्रोत्साहित करनारचनात्मक प्रतिक्रिया प्रदान करना और वृद्धि और विकास के अवसर देना करना शामिल हो सकता है। साथ ही सहयोगियों को गलतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिएजब आवश्यक हो तो माफी माँगनी चाहिए और उस व्यवहार को आदर्श बनाना चाहिए जो वे दूसरों में देखना चाहते हैं। वरना लोककथा का हाथी ‘एलीफैंट इन द रूम’ के समान बंद कमरे में ही कैद रह जाएगा।

Written by XT Correspondent