November 22, 2024

राम जिन्हें चाहेंगे उन्हें बुलाएँगे।

 

 
छवि गौड़।
एक होते है जो (मैं) से ऊपर नहीं उठ पाते ,
दूसरे अपने परिवार तक सिमित होते है ,माने मेरे बच्चे मेरा खानदान आदि
तीसरे सामाजिक होते है, जिस समूह में उनकी रूचि होती है , वे अपना योगदान देते रहतें है , कुछ लोग समूह से उठकर राष्ट्र तक पहुंचते हैं और राष्ट्रवादी कहलाते है ।
इन सबों के ऊपर जिसकी दृष्टि होती है वो जगत कल्याण के बारे में  सोचते है ,जिन्हे हम संतों की उपाधि देतें हैं।
राष्ट्र की आध्यात्मिक चेतना के लिए इनका होना बेहद जरुरी है ।  राष्ट्र जो करोड़ों लोगों की आस्था से बना है , अनेकता मे एकता का प्रतीक है, जिसमे  सभी के लिए प्रेम है , धर्म  जिसको धारण करता हो, जिसकी अभिव्यक्ति सभी महानुभावों ने अपने तरीके से की ,राष्ट्र के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को अभिव्यक्त किया और ये विश्वास दिलाया कि हमारे तरीके अलग हो सकते है परंतु आत्मा एक ही है ,ऐसे राष्ट्र का निर्माण आध्यात्मिक चेतनाओं के बिना अकल्पनीय है , इतिहास के पन्नो मे ऐसे कई स्वर्णिम नाम दर्ज है जिनकी सूक्ष्म उपस्थिति आज भी हम अनुभव कर पातें है।
 अनुभूति जब सामूहिक हो जाती है , तो सत्य का फैलाव जल्दी होता है, जिसका संचालन अदृश्य शक्ति करती है , इस अनुभव को नकारा नहीं जा सकता , लोग इसे अपने हिसाब से समझते है ,कुछ  लोग इसे ईश्वर  का नाम देते है , कुछ विज्ञान का तो कई लोगों के लिए ये मूर्खता होती है , खैर सबकी अपनी यात्रा , सब को अपने तरीके से समझने का अधिकार है , परंतु संतो पर इसका कोई असर नहीं पड़ता ,  वे सत्य बतलाकर सबको  अपनी  बात की पुष्टि की स्वतंत्रता देते है ।
  मानव चेतना के फैलाव में संतो की अहम भूमिका है ,  संत याने जिनके लिए कोई भेद नहीं , जो अद्वैतवाद  के सिद्धांत पर चलते है , जो ये बताते है की ईश्वर एक ही है , शिव राम को जपतें है, राम शिव को , संत जिनके मार्गदर्शन से राष्ट्र अपना आकार लेता है।  जिनकी आंखे इतनी सूक्ष्मता से देखती है की उन्हें किसी के प्रति द्वेष नहीं रहता , उनका सर्वप्रथम धर्म है  लोगों को सही दिशा दिखाना ।
आद्य शंकराचार्य ने शिव को सब कुछ माना किन्तु शक्ति ने जब अपना महत्व बताया तो समझ गये थे कि शक्ति के बिना शिव मात्र शव हैं। जमाने को शास्त्रार्थ में हरा कर शिव की महिमा को सिद्ध करने वाले को भी शक्ति की सत्ता स्वीकार कर क्षमापन स्त्रोत रचना पड़ा और ये साफ हुआ की शिव में शक्ति समाहित हैं और शक्ति मे शिव इससे आद्वेतवाद और साफ हो जाता है , अब प्रश्न उठता है अगर ये सब सही है तो ये अलगाव कैसा ?  क्या शैव और राम मे भेद है ? क्या ये राजनीति नहीं ?
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मगर ना आने की बात से तो ये साफ हो जाता है की हमारी हुजूरी मे कमी है या अलगाव वाद अभी खत्म नहीं हुआ ?
राष्ट्र नेताओं से ये नादानी  हो तो स्वीकार किया जा सकता है, राष्ट्र हित की आड़ मे अपने स्वार्थ सिद्ध करने वालों को ये देर से ज्ञात होता है की राष्ट्र उत्सव उनके घर की शादी नही की वो मुंह फुलाकर बैठ जाएं और सब उनकी मनुहार में लग जाएं, इनका रूठना बिल्कुल वैसा ही मालूम होता है जैसे एक जिद्दी नादान बच्चे का, जिसकी ज़िद को कोई तूल नहीं दिया जाता ताकि वो भविष्य मे ऐसी गलती दोबारा न करें ।
आज देश में उत्सव का माहौल है ,लोग एक स्वर में बात कर रहे है , हिंदू हो या मुस्लिम सभी दिल से सम्मिलित है इस उत्सव में।  देश का ऐसा कोई वर्ग नही है जो अपनी भागीदारी न दे रहा हो।
ऐसे मे देश अपने धर्मगुरुओं की तरफ बड़ी आस से देखता है ? क्या उपदेशों को सिर्फ शाब्दिक जादूगरी समझा जाए या जो उपदेश दिए गए हैं उनकी सत्यता का आकलन किया जाए?
देश पूछता है आपसे की अद्वैत का सिद्धांत क्या काल्पनिक है या कलयुग में द्वैतवाद की एक नई जगह है ?
कैसी विडम्बना है कि अपने ही देश में ऐतिहासिक तत्वों के बावजूद राम के अस्तित्व को सिद्ध करना पड़ता है,ज्ञानवापी पर मथुरा वृंदावन को भी सिद्ध करना पडता है,  सत्य को जानते हुए भी धर्म और राजनीति के आधार पर विरोध किया जाता है, अदालतों में स्वयं सिद्ध को सिद्ध करना पडता है, आखिर देश की एकता अखण्डता और अनेकता में एकता का अर्थ क्या है?
जहां ईश्वर  के बिना एक पत्ता भी नही हिल सकता वहां राम मंदिर कैसे बन सकता है और वो भी बिना  किसी हिंसा के ?
मयाध्यक्षेण प्रकृति: सूयते सचराचरम्।
हेतुनानेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते
                    अर्थात
प्रकृति मेरी अध्यक्षतामें सम्पूर्ण चराचर जगत् को रचती है। हे कुन्तीनन्दन ! इसी हेतुसे जगत् का विविध प्रकार से परिवर्तन होता है।
ईश्वर की महिमा समझो तो लगता है राम जिन्हें चाहेंगे उन्हें बुलाएंगे जो नही आयेंगे राम जी समझ जाएंगे!!
लेखिका परिचय
 सुश्री छवि गौड़
कार्यकारी निर्देशक 
एम.फिल के साथ. , मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म में मास्टर और बैचलर डिग्री  प्राप्त हैं। छवि गौड़ के पास दूरदर्शन, इरोज नाउ, पेपरबैक प्रोडक्शंस आदि जैसे संगठनों के साथ क्रिएटिव, थिएटर और मीडिया प्रोडक्शन में एक दशक से अधिक का अनुभव है। वे कलर्स, स्टार प्लस आदि जैसे कुछ चैनलों के शो के लिए क्रिएटिव हेड के रूप में भी काम कर चुकी हैं।वे  दयालुता के साथ एक उत्कृष्ट इंसान सामाजिक कार्य और शिक्षण के प्रति जुनून के कारण, सुश्री छवि ने दूरदराज के इलाकों में आदिवासियों के साथ भी काम किया है और कई वंचित बच्चों को पढ़ाया, तैयार किया, परामर्श दिया और उनकी मदद की।
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Written by XT Correspondent