November 28, 2024

साँपों का नन्हा दोस्त समर…!

रतलाम, द टेलीप्रिंटर। आज हम आपकी मुलाक़ात एक ऐसे नन्हे बच्चे से कराने जा रहे हैं जो साँपों का दोस्त है। चौंकिए नहीं।

यही सच है। साँपों को देखते ही यह उन्हें पकड़ लेता है। कई बार तो उनसे खेलता रहता है। वह अब तक 500 से ज़्यादा साँप पकड़ चुका है।

मात्र 14 साल की उम्र में उस पर लोगों की मदद करने का जुनून सवार है। इसके लिए वह अपनी जान की भी परवाह नहीं करता। उसकी इस हिम्मत के लिए उसे भारत सरकार ने राष्ट्रपति जीवन रक्षा पदक से भी सम्मानित किया है।

हम बात कर रहे हैं रतलाम के एक स्कूल में कक्षा 9वीं में पढ़ने वाले छात्र समर्पण मालवीय उर्फ़ समर की।

समर साँपों से बहुत प्यार करता है। किसी भी रिहायशी इलाके में साँप निकलता है तो समर तुरंत वहां पहुँच जाता है। वह साँप को मारने नहीं देता है बल्कि खुद पकड़ लेता है। छोटी सी उम्र में जब लोग उसे साँप पकड़ते और गले मे लटकाकर चलते देखते हैं तो आश्चर्यचकित रह जाते हैं।
समर पिछले पाँच सालों से साँप पकड़ने का काम कर रहा है। समर के पिता गणेश मालवीय सरकारी स्कूल में शिक्षक है और वे भी साँप पकड़ने में माहिर हैं। वह अब तक 10 हजार से भी ज्यादा साँप पकड़ चुके हैं। समर का कहना है कि वह अपने पिताजी को देखकर यह कौशल सीखा है। समर जब भी साँप पकड़ने जाता है तो उसके पिता भी साथ जाते है। अगर समर को कोई मुश्किल होती है तो पिता मदद करते है।

समर साँप पकड़ने में ही नहीं बल्कि पढ़ाई में भी अव्वल है। उसके दोस्त भी साँपों से उसकी दोस्ती पर आश्चर्य करते हैं। एक बार स्कूल के मैदान में साँप आ गया।जहाँ सारे बच्चे उसे देखकर भाग गए। वहीँ समर ने आसानी से साँप को पकड़ लिया।

समर को पिपलौदा नगर की आंगनवाड़ी केंद्र, छात्रावास एवं पुलिस निरीक्षक निवास में दहशत फैलाने वाले खतरनाक साँप को पकड़ने और उससे 40 परिवारों की रक्षा करने के लिए भारत सरकार ने वीरता पदक से सम्मानित किया है।

समर का कहना है कि मैंने यह कौशल अपने पापा से सीखा है। जब वो साँप पकड़ने जाते थे तो मैं भी साथ जाता था। इससे साँप के प्रति मेरा डर खत्म हो गया। फिर आंगनवाड़ी में मैने साँप पकड़ा तो लोगो को विश्वास हो गया। अभी तक मैं बहुत साँप पकड़ चुका हूँ।वह कहता है कि साँप को मारना नही चाहिए। मैं उसे पकड़कर जंगल में छोड़ आता हूँ। साँप किसानों का मित्र है। फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले चूहे और अन्य जानवरों को साँप खा जाता है।

समर के पिता का कहना है कि समर ने यह काम कुदरती रूप से सीखा है। मैं खुद साँप पकड़ता हूँ और साँप को लेकर घर आता था तो वह भी देखता था। कोई घायल साँप होता है तो उसका उपचार भी करता हूँ। इस काम में संमर भी सहयोग करता था। इससे उसकी रुचि बढ़ी और वह साँपो से दोस्ती कर बैठा। समर मेरा इकलौता लड़का है। मैं उसे इस तरफ नही लाना चाहता था। उसे राष्ट्रपति वीरता पदक मिलने से बड़ी खुशी हुई। समर ने अभी तक इतनी छोटी उम्र में करीब 500 से ज्यादा साँप पकड़ चुका है। मैं खुद 10000 से अधिक साँप पकड़ चुका हूँ। समर बड़ा होकर सेना में जाना चाहता है।

Written by XT Correspondent