विदिशा। देश भर में दशहरे पर रावण दहन किया जाता है। लेकिन एक गाँव ऐसा भी है जहाँ बड़े ही अनूठे तरीके से दशहरा उत्सव मनाया जाता है। यहाँ परम्परागत तरीके से राम-रावण के बीच युद्ध होता है। रावण की सेना भगवान राम की सेना पर पत्थर बरसाती है लेकिन मान्यता है कि पत्थर भगवान राम की सेना को नहीं लगते हैं।
विदिशा जिले की लटेरी तहसील में स्थित ग्राम कालादेव गांव में रावण की एक विशालकाय प्रतिमा स्थित है। दशहरे पर प्रतिमा के सामने ध्वज गाड़ दिया जाता है। यह ध्वजा राम तथा रावण के युद्ध का प्रतीक होती है। युद्ध के दौरान कालादेव के लोग रामादल के रूप में आगे बढ़ते हुए इस ध्वजा को छूने का प्रयास करते हैं। दूसरी तरफ रावण दल के लोग उन पर गोफन से पत्थरों की बरसात करते हैं।
मान्यता है कि गोफन से निकले यह पत्थर रामादल के लोगों को नहीं लगते है। पत्थर अपनी दिशा बदलकर निकल जाते हैं। ऐसा व्यक्ति जो कालादेव का निवासी न हो और रामादल में शामिल हो जाऐ, तो उसे गोफन से फैके हुऐ पत्थर लग जाते हैं।
कालादेव में होने वाले इस आयोजन को देखने के लिये गुना, विदिशा, भोपाल, राजगढ़, ग्वालियर, इंदौर सहित यूपी तथा राजस्थान के लोग पहुंचते हैं। सदियों पुरानी इस परम्परा में रावण की सेना का प्रतिनिधित्व आसपास के आदिवासी और बंजारा समाज के लोग करते हैं।