खंडवा। बुधवार को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी की 150 वीं जन्म जयंती हैं। इस मौके पर उनसे जुड़ी किस्से-कहानियां देश भर में बिखरें पड़े हैं।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी स्वाधीनता संग्राम आंदोलन का बिगुल फूंकने के लिए 9 दिसम्बर 1933 को खंडवा आये थे। वह इससे पहले भी एक बार खंडवा आए थे। दरअसल 1918 में इंदौर में होने वाले साहित्य सम्मेलन में भाग लेने के लिए गाँधीजी आए थे तो उनकी ट्रेन कुछ समय के लिए खंडवा रेलवे स्टेशन पर ठहरी थी। जहाँ लोगों ने उनका स्वागत करके इंदौर के लिए रवाना किया।
1933 में गाँधीजी की खण्डवा यात्रा कई मायनों में ख़ास थी। पूरे निमाड़ में एकमात्र खण्डवा जिला ही ऐसा है जहाँ गाँधीजी आए थे लकिन उनकी इस यात्रा का प्रभाव समूचे निमाड़ पर पड़ा। इसके बाद यहां से सैंकड़ो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी निकले।
गाँधी जी की यह तस्वीर जो आप देख रहे है वह खण्डवा के घण्टाघर चौराहे की है। उस समय से इसे गाँधी चौक कहा जाने लगा था। जब खण्डवा सहित पूरे निमाड़ अंचल में स्वाधीनता संग्राम की आग भड़कने लगी। खंडवा के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रायचंद नागड़ा और साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी के नेतृत्व में लोगों ने जमकर अंग्रेजों का विरोध किया था। उनके बुलावे पर ही राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी स्वतंत्रता सेनानियों से मिलने खंडवा आए थे।
खंडवा में गाँधी जी ने जिस जगह रात्रि विश्राम किया था वहां आज होटल बन चुके है। रायचंद नागड़ा के तीसरी पीढ़ी के जय नागड़ा ने बताया कि उस समय लोगों के मन में गाँधी जी के प्रति अथाह आस्था थी। गाँधी जी बकरी का दूध पीते थे इसलिए बकरियां बांधकर रखी गई थी। जो भी लोग गाँधी जी से मिलने आते वह उनके लिए बांधी गई बकरियों को लिए काजू, बादाम और अन्य ड्राई फ्रूट खिलाते। क्यों कि लोगों का मानना था कि ड्राई फ्रूट खाकर ये बकरियां पौष्टिक दूध देगी जिसका सेवन गाँधी जी करेंगे।
अगली सुबह गाँधी जी ने खंडवा के घंटाघर चौक से हजारों लोगों से विदेशी वस्त्रों की होली जलवाई और देश के लिए मर मिटने का आह्वान किया। गाँधी जी जिन-जिन स्थानों में खंडवा में रुके वहां-वहां उनका स्टेच्यू बना दिए गए है। साथ ही जिस जगह पर गाँधी जी ने भाषण दिया था उस जगह को महात्मा गाँधी रोड का नाम दिया गया है। गाँधीजी केवल स्वतंत्रता आंदोलन को ही नहीं बल्कि विकास को लेकर भी चिंता करते थे। उन्होंने कुछ लोगों को गांवो की सड़कों को बनाने के लिए भी प्रेरित किया। उस समय सड़क बनाना आसान काम नहीं था और अंग्रेज सड़कें बनने नही देते थे।
महात्मा गाँधी आज़ादी के आंदोलन में देश भर में पंहुचे और यही वजह है के उनके जन्म की 150वी जयंती पर देश का बच्चा बच्चा उनको नमन करता है।