November 29, 2024

148 मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए सुख सागर मेडिकल कॉलेज बना ‘दुख सागर’

जबलपुर। आपने अभिनेता संजय दत्त की फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस तो देखी ही होगी, जिसमें संजय दत्त डॉक्टर बनने के लिए फर्जीवाड़ा करता है। लेकिन जबलपुर का एक कॉलेज ऐसा भी है जहाँ पूरा मैनेजमेंट ही फर्जीवाड़ा कर बिना डिग्री के डॉक्टरों की फौज खड़ी करने में लगा हुआ है।

मामला जबलपुर के सुखसागर मेडिकल कॉलेज का है। एमबीबीएस के नाम पर स्टूडेंट्स से मोटी रकम वसूलने वाले इस निजी मेडिकल कॉलेज का मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से पंजीयन निरस्त है। ऐसे में डॉक्टर बनने के ख्वाब से कॉलेज में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को अपना भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा हैं।

विद्यार्थियों की तकलीफों से जहाँ से मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने पल्ला झाड़ लिया है वहीँ सरकार की बेरुखी ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। विद्यार्थी पिछले कई दिनों से बिना मान्यता के धड़ल्ले से चल रहे जबलपुर के सुखसागर मेडिकल कॉलेज के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। विद्यार्थियों से लाखों की फीस लेने वाला कॉलेज का प्रबंधन भी उनकी तकलीफों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। विद्यार्थी चाहते है कि उनका दाखिला किसी दूसरे मान्यता प्राप्त कॉलेज में कराया जाए।

दरअसल इस कॉलेज में 148 छात्र छात्राओं ने साल 2016 -2017 में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में एडमिशन लिया था। इसके लिए सुख सागर मेडिकल कॉलेज को भारतीय चिकित्सा परिषद यानी एमसीआई से एक साल के लिए मान्यता मिली थी। लेकिन एमसीआई के मापदंड पूरे न करने पर साल 2017 से 2020 के लिए सुखसागर मेडिकल कॉलेज को मान्यता नहीं मिली है। एमसीआई की रिपोर्ट के अनुसार कॉलेज में क्लीनिकल सुविधाएं प्रदान नहीं की जा रही थी।

दूसरी तरफ एमसीआई से मान्यता नहीं मिलने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने अनिश्चितकाल के लिए कॉलेज बंद का नोटिस सूचना पटल पर लगा दिया है। कॉलेज में पढाई कर रहे विद्यार्थियों को अंदर नहीं आने दिया जा रहा है। मुख्य प्रवेश द्वार पर बाउंसर तैनात कर दिए गए हैं। छात्रों का कहना है कि मान्यता न होने के बाद भी प्रबंधन ने चालू शिक्षण सत्र की फीस एडवांस में जमा करा ली है। जबकि कॉलेज प्रशासन इससे इंकार कर रहा है। कॉलेज प्रशासन छात्रों से मिलने से भी इंकार कर रहा है।

छात्र अपनी परेशानी डीएमई, एमसीआई, मेडिकल यूनिवर्सिटी सहित जबलपुर जिला प्रशासन तक पहुंचा चुके हैं। छात्रों का कहना है कि लाखों की फीस चुकाने के बाद भी फर्जी कॉलेज का प्रबंधन उनकी तकलीफों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

Written by XT Correspondent