आगर-मालवा। उज्जैन से चमोली के बीच 134 किलोमीटर में बनी सड़क ख़ूनी सड़क के नाम से बदनाम हो चुकी हैं। उत्तर भारत और दक्षिण भारत को जोड़ने वाली यह सड़क एक साल में 400 से भी अधिक लोगों की जान ले चुकी है। इस सड़क मे तकनीकी ख़ामी है और यहाँ यातायात का भारी दबाव रहता है।
उज्जैन से आगर होते हुए चवली मार्ग पर बनी इस सड़क पर रोजाना हजारों वाहन निकलते हैं, जिसमें बड़े-बड़े कंटेनर, ट्रक, बस, चार पहिया निजी वाहन और दोपहिया वाहन शामिल है। यह सड़क की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि इस पर रोजाना हादसे होते है। वाहनों की संख्या के हिसाब से रोड काफी संकरा है। इस पर कई मोड़ है और सड़क के आसपास पटरिया नहीं भरी गई है। जब सामने से ट्रक या बस आती है तो दोपहिया वाहन को सड़क से नीचे उतरना पड़ता है। सड़क के आसपास पटरिया नहीं भरे होने के कारण कई बार दोपहिया वाहन फिसल जाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं।
हैरानी की बात यह है कि इस सड़क पर हर साल 400 लोगों की मौत और एक हजार से ज्यादा लोगों के घायल होने के बाद भी इसे न सुधारा गया है और न ही सड़क को चौड़ा किया गया है।
इस मार्ग पर इतना आवागमन होने के बावजूद भी केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार और नेताओं को इस बारे में कोई फर्क नहीं पड़ता कि यहां रोजाना एक से अधिक व्यक्ति अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। सड़क से स्थानीय लोग काफी परेशान हैं लेकिन मज़बूरी में इसी सड़क पर सफ़र करना पड़ता है।
दरअसल नेशनल हाईवे बनाने वाली सरकार या यूं कहें की टीम द्वारा ग्रीन फील्ड अलाइनमेंट बनाने की बात कह कर इस रोड को अब फोरलेन से जोड़ने की बात कहीं जा रही है। मगर दुर्भाग्य है कि ऐसी स्थिति में अगर ग्रीन फील्ड अलाइनमेंट के अंतर्गत रोड दिल्ली से बड़ौदा के लिए जोड़ा भी गया तो उज्जैन से सीधा कटकर राजस्थान के कोटा में जुड़ जाएगा और फिर इसी रोड पर जो वर्तमान में सड़क बनी हुई है उसी से लोगों को आना-जाना करना पड़ेगा।
ग्रीन फील्ड अलाइनमेंट बनाने के पूर्व हालांकि नेशनल हाईवे ने इसे 552 जी यानी कि उज्जैन से झालावाड़ को नेशनल हाईवे में 552 जी का नाम तो दिया गया है। मगर आप ही सोचिए क्या नेशनल हाईवे इस तरह के होते हैं जो ना डबल है ना सिंगल। बड़ी बात यह है कि इतने बड़े रोड में इतना भारी ट्रैफिक होने के बाद भी उसे नेशनल हाईवे का नाम तो दे दिया मगर चौड़ीकरण के नाम पर सिर्फ मायूसी मिली।
अगर हम आगर मालवा जिले की जनता की बात करें तो जनता इतनी ज्यादा प्रताड़ित हो चुकी है या यूं कहें कि दुर्घटनाओं से जनता इतनी आहत है कि इस रोड के फोरलेन के लिए कई तरह के जतन किए जा रहे हैं। जनता द्वारा सरकार से यह आग्रह भी किया जा रहा है कि इस रोड को फोरलेन बनाया जाए क्योंकि लगातार बढ़ते हुए यातायात के दबाव के साथ में प्रतिदिन मौतों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं और ऐसे में कब कौन कैसे इस रोड की भेंट चढ़ जाए यह कोई नहीं जानता।