प्रदेश की बड़ी पर्दे के पीछे की खबरों का खुलासा पढ़िए सीनियर जर्नलिस्ट डॉ हिमांशु जोशी का कॉलम
“स्टोरी बिहाइंड द कर्टन”
इंदौर से लड़ते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।
इंदौर में पदस्थ रहे दो आईपीएस अफ़सरों का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। भोपाल में बैठे सीनियर आईपीएस की जांच को जूनियर ने हाईकोर्ट में चैलेंज किया और जीत भी मिल गई। लेकिन सीनियर आईपीएस कहाँ मानने वाले थे उन्होंने इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करा दी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फिर से जाँच करने के आदेश दे दिए हैं। एक अफ़सर एडिशनल डीजी रैंक हैं तो दूसरे आईजी रैंक हैं। एक जांच से शुरू हुआ विवाद शो कॉज नोटिस के अंग्रेज़ी में जवाब देने पर बढ़ गया और अब सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुँचा।
पोस्टिंग के लिए IPS ने अघोरी से कराया लाखों का अनुष्ठान फिर आर्डर प्रकट नहीं हुआ।
एमपी पुलिस के एक सीनियर आईपीएस इन दिनों पोस्टिंग के लिये एक अघोरी बाबा के संपर्क में हैं । बाबा मे पोस्टिंग के वादे के साथ लाखों रूपए का अनुष्ठान भी करा दिया लेकिन पोस्टिंग का आर्डर प्रकट नहीं हुआ। अब साहब अपना लाखों रूपया वापस लेने के लिए लगातार अघोरी के मोबाइल पर फ़ोन लगा रहे हैं। लेकिन अब अघोरी फ़ोन नहीं उठा रहा है।
एसपी की पोस्टिंग की वेलेडिटी केवल छह माह या एक साल
हाल ही में ट्रांसफ़र हुए प्रदेश सरकार के दो आईपीएस एसपी स्तर के अफ़सरों को साल छह महीने से ज़्यादा एसपी की पोस्ट पर रहने को नहीं मिल रहा है । क्योंकि कुर्सी पर बैठते ही वे ऐसा कुछ कर देते हैं की कुर्सी उन्हें छोड़ना पड़ती है या सरकार रवानगी दे देती है। एक साल में तीन बार तबादले को प्राप्त हुए इन अफ़सरों को लेकर चर्चा है कमी कहीं न कहीं इन में ही रही होगी वरना 3 बार सरकार मौक़े नहीं देती।
ऑन रिकॉर्ड शुभ लाभ में फंसे आईपीएस
इंदौर में एसपी के रूप में पदस्थ रहे फिर उज्जैन संभाग में एसपी बने एक आईपीएस आर्थिक अपराध के मामले में घिरते नज़र आ रहे हैं। ऑन रिकॉर्ड वसूली की रिपोर्ट राज्य शासन को उनके चाहने वालों ने भेज दी है। दस्तावेज कह रहे हैं की लेन देन तो हुआ है।
साहब को लग रहा था की कोई नहीं देख रहा है लेकिन कई काग़ज़ ऐसे तैयार हो गए जो गले की हड्डी बन जाएँगे।
376 की कायमी ने करा दिया तबादला।
एक एसपी का ट्रांसफ़र हुआ तो लोगों ने कहा की प्रशासनिक सख़्ती के कारण राजनीतिक वजह से तबादला हुआ है जबकि पर्दे के पीछे की कहानी है की एक एफ़आइआर साहब के तबादले का कारण बनी है जिससे शासन भी नाराज़ था।आईपीएस ने एसपी बनने के बाद रंग ढंग तो बदले ही जानकारों से कम्यूनिकेशन भी बंद कर दिया।
एसपी साहब को भा गई ससुराल की पोस्टिंग।
निमाड क्षेत्र में एक आईपीएस की पोस्टिंग ससुराल में होने के बाद अब साहब यहाँ से हटना नहीं चाह रहे हैं। तीन साल हो चुके हैं ट्रांसफ़र होनी है लेकिन जोड़ तोड़ शुरू हो गई। दो सरकारें बदलीं लेकिन एसपी वहीं बने रहे।
अब बात ब्यूरोक्रेसी की
क्यों परेशान है 5 प्रमोटी आईएएस ?
जोड़ तोड़ से कलेक्टरी पाने वाले 5 प्रमोटी आईएएस ज़िला न मिलने से परेशान हैं क्योंकि तीन ज़िले के बाद कलेक्टरी की आदत पड़ गई है लेकिन अब किसी की नज़रें इनायत नहीं हो रही है। इसलिए बे मन से काम कर रहे हैं।
कोई डायरेक्ट IAS क्यों नहीं टिक पाता इस ज़िले में ?
प्रदेश का एक ज़िला चर्चित ज़िला ऐसा है जहां किसी भी डायरेक्ट आईएएस की पोस्टिंग ज़्यादा दिन नहीं चल पाती। क्योंकि यहां के प्रमोटी कलेक्टर से पटरी नहीं बैठ पाती । कलेक्टर को अपने से ज़्यादा ज्ञानी कोई भी पसंद नहीं आता । वे वल्लभ भवन की पकड़ का इस्तेमाल कर रवानगी करा देते हैं। इस ज़िले में सीईओ ज़िला पंचायत से लेकर एडीएम भी प्रमोटी को बनाया जाता है।