लेखक डॉ आनंद शर्मा रिटायर्ड सीनियर आईएएस अफ़सर हैं और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी हैं।
रविवारीय गपशप
———————
क्या आप जानते हैं कि किस किस्म के न्यूसेंस पर्सन (गड़बड़ी फैला रहे व्यक्ति) को गिरफ्तार करने में सबसे ज्यादा परेशानी आती है ? आपको जानकर आश्चर्य होगा वो है शराबी …. क्योंकि शराब के नशे में धुत्त बदहाल व्यक्ति को तो कुछ पता रहता नहीं है पर उसे पकड़ कर सुरक्षित हवालात में रखे रहना बड़ा ही श्रम साध्य कार्य होता है ।
मुझे आज अपने सेवाकाल के कुछ वाकये आज याद आ रहे हैं । बात पुरानी है लगभग सन 1988 की , उन दिनों मैं डोंगरगढ़ तहसील में एस डी एम हुआ करता था । माँ बमलेश्वरी देवी की इस नगरी में नवदुर्गा के अवसर को छोड़ कर आम तौर पर शांति रहा करती थी | नवदुर्गा के नौ दिन हमारी परीक्षा के होते । क़ानून व्यवस्था के साथ साथ गणमान्य हस्तियों के आगमन के प्रबंध , दोनों एक साथ देखने पड़ते | ऐसे ही एक दिन शाम को जब हम मंदिर व्यवस्था देखने के लिए जा रहे थे तो रास्ते में एक शराबी नशे में धुत्त मिल गया , मेरे साथ एस डी ओ पुलिस भी थे उन्होंने तुरंत थानेदार साहिब को बुला कर उसे थाने में बंद करने को कहा और आगे मेले में चले गए | देर रात मेले की व्यवस्था देख कर हम वापस लौट रहे थे तभी एस डी ओ पुलिस बंसल साहब बोले , चलो थाने से चाय पीते हुए चलते हैं | मुझे क्या ऐतराज हो सकता था , शादी हुई नहीं थी , घर जाकर किसी के उलाहने सुनने का चक्कर ही नहीं था सो मैंने भी कहा चलिए | लगभग रात के 12 बज रहे होंगे , हम आकर थानेदार के कमरे में बैठे , हमारे साथ श्री कतरोलिया तहसीलदार भी थे | बैठते ही श्री बंसल ने थानेदार साहब को चाय बुलाने को कहा , उन दिनों थाना प्रभारी सब इन्स्पेक्टर हुआ करते थे और इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी उन दिनों सी आई हुआ करते थे | सब इन्स्पेक्टर नौजवान ही था वो चाय के प्रबंध के लिए अपने चेम्बर से उठ कर सामने किसी को कहने गया , सामने ही लाकअप था । थाना प्रभारी किसी को चाय के प्रबंध के लिये बोल कर आये ही थे कि लाकअप में बंद शराबी ने आवाज लगानी चालू की ए थानेदार…….अरे ओ थानेदार……..। हम चौंके पूछा ये क्या है ? नवजवान इन्स्पेक्टर ने गुस्से को दबाते हुए कहा अरे सर ये वही सरफिरा है , दो हड्डी का है मारो तो मर जाये ऐसा , और जब से बंद किया है ऐसा ही तंग कर रहा है । बात सही थी , उसके जुर्म के लिए उसे सुबह अदालत में पेश किया जा सकता था पर शराब के नशे में धुत्त उस सींकिया पह्लवान का रात भर क्या किया जाए ये बड़ी समस्या थी । हम ये बात कर ही रहे थे कि कतरोलिया जो की कई दिनों से वहां तहसीलदार थे , बोले अरे देखूं कौन बदतमीज है और ये कह कर वो लाकअप तक गए और उसे डांट लगाई चुप रहो जरा ,क्यों बिना वजह चिल्ला रहे हो , इतना कह वे हमारे पास लौटे ही थे कि पीछे से जोरों की आवाज आई , ए तहसीलदार …… तहसीलदार ……अरे ओ तहसीलदार..।
उज्जैन जिले के खाचरोद अनुविभाग में मैं जब एस डी एम था तब का एक और वाक़या है । पोस्टिंग के दौरान चुनाव का समय आया । चुनाव में कुछ शासकीय कर्मी ये कोशिश करते हैं कि चुनाव ड्यूटी न कर रिज़र्व में बने रहें । चुनाव की सामग्री वितरण के दिन एक मतदान कर्मी के बारे में शिकायत मिली कि वो नशे में धुत्त घूम रहा है , जोनल ऑफीसर से पुष्टि की तो बात सच थी । उसे तुरंत वहां से हटा के उसके स्थान पर रिज़र्व दल से दुसरे सज्जन को ड्यूटी में लगाया और नशे में धुत्त ऐसे महोदय के लिए सोचा कि बाद में कार्यवाही तो करेंगे पर फिलहाल उसे रिज़र्व दल के लिए ठहरने के लिए नियत स्थान पर भिजवा दिया जावे । रिज़र्व पार्टी के प्रभारी जो नायब तहसीलदार साहब थे वे खुद पीने के भारी शौक़ीन थे । चुनाव दुसरे दिन थे , चुनाव कर्मियों के दल को रवाना कर मैं घर आ गया । खाना खा कर बैठा ही था कि रिज़र्व दल के दस पंद्रह लोग मेरे घर के सामने आ गए , मैं बाहर आया तो सब हाथ जोड़ के बोले साहब हमारी भी ड्यूटी चुनाव कराने में लगा दो | मैंने कहा भाई कल तक का इंतिजार करो , ऐसा क्या हो गया ? समवेत स्वर में उन्होंने बताया कि उस शराबी मतदान कर्मी के साथ नायब साहब ने बैठक जमा ली है और दोनों मिल के दारु खेंच रहे हैं और बाक़ियों को बुरा भला कह रहे हैं । मैंने तहसीलदार साहब को मौक़े पर भेजा बड़ी मुश्किल से दोनों को उनके अपने घर रवाना करवाया ।